अकबर का जीवन परिचय और इतिहास

अकबर का जीवन परिचय और इतिहास 

 

अकबर का जन्म

अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ई. अमरकोट के राणा  वीरसाल के महल में हुआ था  अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर था अकबर के पिता जी का नाम हुमायूं और उनकी माता जी का नाम नवाब हमीदा बानो बेगम था अकबर मुगल वंश का तीसरा शासक था 

 

अकबर के जन्म के समय घर की स्थिति

जिस समय अकबर का जन्म हुआ उस समय उनके पिता हुमायूं की स्थिति बहुत ही कमजोर थी क्योंकि वह शेरशाह सूरी से पराजित हो गया था अकबर का जब जन्म हुआ उस समय  घर में सभी खुश थे परंतु खुशी मनाने के लिए एक कस्तूरी के अलावा घर में कुछ नहीं था इस कस्तूरी को तोड़कर हुमायूं ने अपने सरदारों में बांटि और खुशियां मनाई यानी कि अकबर का प्रारंभिक जीवन बहुत ही कठिनाइयों से व्यतीत हुआ | अकबर का जीवन परिचय और इतिहास

अकबर की आयु केवल 9 वर्ष की थी यानी कि 1551 ई. मैं अकबर को गजनी की सुबेदारी सौंपी गई थी

 

अकबर के पिता की मौत और राज्यभिषेक

27 जनवरी 1556 के दिन अकबर के पिता हुमायूं की मौत हो गई थी हुमायूं की मौत का पता बैरम खां को लगते ही गुरदासपुर के निकट कलानौर में अकबर का राज्याभिषेक करा दिया था अकबर को हुमायूं की गद्दी के ऊपर बिठा दिया था अकबर को मुगल साम्राज्य का तीसरा शासक बना दिया राज्य अभिषेक के समय अकबर की आयु केवल 13 वर्ष 4 महीने की थी | अकबर का जीवन परिचय और इतिहास

पानीपत का दूसरा युद्ध

पानीपत का दूसरा युद्ध 5 नवंबर 1556 ईस्वी में लड़ा गया था यह जो युद्ध लड़ा गया था अकबर और हेमू के बीच में लड़ा गया था हेमू की आंख में तीर लग गया था जिस कारण इस युद्ध में हेमू हार गए  थे और अकबर जीत गए थे अकबर बलशाली होने के  साथ कुशल योद्धा भी थे

अकबर का विवाह

अकबर का विवाह हिंदू धर्म की लड़की जोधाबाई से 6 फरवरी 1562 को हुआ था जोधा बाई जयपुर के राजा भारमल की लड़की थी जोधा बाई की शादी अकबर से होने के बाद मल्लिका ए हिंदुस्तान बनी

दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना

सभी बादशाहो में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था जिसे हिंदू और मुस्लिम दोनों वर्गों के लोगों से सम्मान और प्यार मिला था हिंदू और मुस्लिम को मिलाने के लिए यानी कि हिंदू और मुस्लिम संप्रदाय के बीच की दूरी को कम करने के लिए उन्होंने एक धर्म की भी स्थापना की जिस धर्म का नाम था दीन-ए-इलाही धर्म |

जजिया कर समाप्त

जजिया कर वह कर था जो गैर मुसलमान लोगों से कर लिया जाता था जो लोग मुसलमान नहीं थे उन लोगों से जो कर लिया जाता था उसे जजिया कर कहा जाता था किस कर को अकबर ने खत्म कर दिया था 

दास प्रथा पर रोक

उस समय जब जो युद्ध लड़ा जाता था तो जो सेना हार जाती थी उसके सैनिकों को बंदी बनाकर रखा जाता था यानी कि उनको दास बना कर रखा जाता था इसी को ही दास प्रथा कहा जाता था इस प्रथा पर अकबर ने 1562 ईस्वी में रोक लगा दी थी 

अकबर के पुत्र का जन्म

अकबर का एक पुत्र था जिसका नाम जहांगीर था जहांगीर का जन्म 31 अगस्त 1569 को फतेहपुर सीकरी  मैं हुआ था जहांगीर को बचपन में सलीम के नाम से पुकारा जाता था

अकबर ने फतेहपुर सीकरी को राजधानी बनाया:-

अकबर ने फतेहपुर सीकरी को 1571 ईसवी में अपनी राजधानी बनाई थी फतेहपुर सीकरी में अकबर ने एक बुलंद दरवाजा भी बनवाया

हल्दीघाटी का युद्ध

हल्दीघाटी का युद्ध अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 19 जून 1576 को लड़ा गया इस युद्ध में इतिहासकारों का कहना है कि  महाराणा प्रताप की हार हुई

अकबर का नया कैलेंडर

अकबर ने अपने खुद का एक नया कैलेंडर जारी किया जिसका नाम था इलाही सवंत यह कैलेंडर 1583 में अकबर ने जारी किया था

विवाह की न्यूनतम आयु निर्धारित

पुराने समय में लड़कों और लड़कियों की शादी छोटी उम्र में ही कर दी जाती थी छोटी उम्र में शादी के कारण बच्चों में अनेक प्रकार की बीमारियां हो जाती थी और कई बच्चों की मौत भी हो जाती थी  अकबर को यह बहुत ही गलत लगा उन्होंने लड़कों के विवाह की न्यूनतम आयु 16 वर्ष और लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 14 वर्ष निर्धारित कर दी थी | अकबर का जीवन परिचय और इतिहास

अकबर के 9 नवरत्न के नाम

अकबर ने अपने राजमहल में 9 व्यक्तियों को नवरत्न का दर्जा दिया जिनका नाम था अबुल फजल ,फैजी, तानसेन, बीरबल, टोडरमल,  मानसिंह, अब्दुल रहीम खान ए खाना, फकीर अजीउद्दीन,मुल्ला दो प्याजा

अकबर की मृत्यु 

अकबर को पेचिश की बीमारी थी जो कि बहुत समय से थी इसके कारण अकबर बहुत ही बीमार रहते थे और परेशान भी रहते थे इसी  पेचिश बीमारी के कारण  27 अक्टूबर 1605 को हो गई उनका अंतिम संस्कार फतेहपुर सीकरी आगरा में किया गया

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