दशहरा क्यों मनाया जाता है
दशहरा क्यों मनाया जाता है
दशहरा यानी विजयादशमी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी के रूप में पूरे देश भर में मनाया जाता है इस दिन भगवान राम ने लंका पति रावण का वध करके विजय की प्राप्ति की थी इस दिन जीत का प्रतीक दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है इस दिन अलग-अलग स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता है वहां पर जगह-जगह रावण के वध का प्रदर्शन होता है इस दिन जो क्षत्रिय लोग होते हैं वह शस्त्र की पूजा करते हैं | दशहरा क्यों मनाया जाता है |
पहली पुराणिक कथा-
रामायण के अनुसार राम तथा सीता के वनवास के दौरान रावण प्रभु श्री राम की पत्नी सीता का अपहरण कर ले जाता है और भगवान राम अपनी पत्नी सीता को रावण के बंधन से मुक्त कराने के लिए अपने भाई लक्ष्मण ,हनुमान एवं वानर सेना के साथ मिलकर रावण के साथ एक बड़ा युद्ध करते हैं युद्ध के दौरान भगवान श्री राम 9 दिन तक युद्ध की देवी मां दुर्गा की पूजा करते हैं और दसवीं के दिन रावण का वध करते हैं और माता सीता को उसके बंधन से मुक्त कराते हैं
विजयदशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था इसलिए इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है और मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है भगवान श्रीराम ने भी युद्ध के समय शक्ति के आह्वान के लिए मां दुर्गा की पूजा की थी भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखी है कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया
क्योंकि श्री राम को राजीव नयन यानी कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिए उन्होंने अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया जैसे ही में अपना नेत्र निकालने लगी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजय होने का वरदान दिया यह माना जाता है कि इसके पश्चात दशमी के लिए प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है विजयादशमी का दशहरे का त्यौहार है दशहरा जीत की जश्न के रूप में मनाया जाता है राम और रावण के बीच का युद्ध नवरात्रों में हुआ था | दशहरा क्यों मनाया जाता है |
दूसरी पौराणिक कथा-
महिषासुर को उसकी तपस्या से खुश होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया था वरदान पाकर महिषासुर ने उसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया महिषासुर ने सूर्य, चंद्र, इंद्र ,अग्नि, वायु , वरुण और अन्य देवताओं के अधिकार भी छीन लिए और स्वर्ग लोक का स्वामी बन बैठा महिषासुर के दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने मां दुर्गा की रचना की 9 दिनों तक मां दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया
और अंत में विजय दशमी के दिन महिषासुर का वध कर दिया राम और रावण दोनों ही शिव के उपासक हैं लेकिन दोनों की व्याख्या अलग-अलग होती है क्योंकि रावण की साधना और भक्ति स्वार्थ ,भोग, विलास और समाज को दुख देने हेतु थी जबकि राम की साधना न्याय, मर्यादा ,शांति, सत्य और समाज कल्याण के उद्देश्य के लिए थी की तभी तो इतने सालों बाद आज भी हम श्री राम की तरह रावण के पुतले का अंत करते हैं इस पावन पर्व पर ईश्वर सभी को सत्य ज्ञान और शक्ति दे
रावण के विषय में विशेष जानकारी
रावण सर्व शक्तिशाली और एक कुशल राजा था रावण भगवान शिव का एक असीम भगत था इनके पिता जी का नाम ऋषि विश्रवा था और उनकी माता जी का नाम केकेसी था इनके पिताजी एक ब्राह्मण थे और उनकी माताजी एक राक्षसी थी इनकी माता जी को एक ब्रह्मराक्षस के नाम से भी जाना जाता है रावण के पास ब्राह्मण की बुद्धि और राक्षस की शक्ति थी रावण का पुष्पक विमान बहुत ही प्रसिद्ध था जिसका प्रयोग बाद में भगवान श्री राम ने सीता को बचाने के बाद वापस लौटने के लिए किया था
एक समय रावण भगवान शिव जी को कैलाश पर्वत से लंका ले जाना चाहता था परंतु भगवान शिव जी ने लंका जाने के लिए मना कर दिया था इसके बाद रावण ने पूरे कैलाश पर्वत को लंका ले जाने के लिए अपने हाथों पर उठा लिया था फिर भगवान शिव जी ने कैलाश पर्वत पर अपना पावर रखा जिसके कारण रावण की पर्वत के नीचे उंगली दब गई दर्द होने के बाद भी रावण जोर-जोर से शिवजी का तांडव करता रहा यह देखकर भगवान शिव जी को अजीब लगा कि दर्द होने के बाद भी व्यक्ति इतनी जोर से तांडव कैसे कर सकता है उसी समय भगवान शिव जी ने रावण को रावण का नाम दिया था
रावण सर्व शक्तिशाली था जिसका प्रमाण इस बात से लगता है कि वह तीनों लोकों का स्वामी था रावण ने इंद्रलोक को ही नहीं बल्कि भूलोक में भी बड़े-बड़े क्षेत्र को अपने कब्जे में कर रखा था रावण अपने समय का सबसे विद्वान व्यक्ति था “ वह चार वेद और छह शास्त्रों का ज्ञाता था” इसलिए उसे दशानन कहा जाता है जब युद्ध के अंत में रावण मृत्यु शैया पर लेटा हुआ था तब भगवान श्री राम ने लक्ष्मण को उनके पास जाकर ज्ञान लेने के लिए कहा था रावण इतना शक्तिशाली था उसने 9 ग्रहो को भी अपने अधिकार में ले लिया था
जब रावण के पुत्र मेघनाथ का जन्म हुआ तो रावण ने सभी ग्रहों को 11 स्थान पर रहने के लिए कहा था ताकि उनके पुत्र को अमरता मिल सके लेकिन शनिदेव ने ऐसा करने के लिए मना कर दिया और वह 12वें स्थान पर जाकर विराजित हो गए इसके बाद रावण शनि देव पर बहुत अधिक क्रोधित हुए और उन्होंने उन पर आक्रमण कर दिया और शनिदेव को कुछ समय के लिए बंदी बना लिया था रावण एक आदर्श भाई और एक आदर्श पति था उसने अपनी बहन सुपनखा के अपमान का बदला लेने के लिए इतना बड़ा फैसला किया कि वह अंत में उसकी मौत का कारण बन गया
दूसरी और वह अपनी पत्नी को बचाने के लिए वह उस यज्ञ से उठ गया जिससे वह राम जी की सेना को तबाह कर सकता था इसके अलावा जब ब्रह्मा जी ने कुंभकरण को हमेशा के लिए नींद में सोने का वरदान दिया तब रावण ने वापस तपस्या करके इसकी अवधि को 6 महीने के लिए कराया था कई देशों में रावण की पूजा की जाती है श्रीलंका में दशहरा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन लोग रावण की पूजा करते हैं कानपुर का कैलाश मंदिर साल में एक बार खुलता है वह दशहरे के दिन खोला जाता है इस दिन इस मंदिर में रावण की पूजा होती है | दशहरा क्यों मनाया जाता है |