बीरबल की मृत्यु का रहस्य
बीरबल की मृत्यु का रहस्य
बीरबल का जन्म 1528 में उत्तर प्रदेश के एक कालपी के नजदीक यमुना किनारे बसे एक छोटे से गांव में एक गरीब ब्राह्मण के घर हुआ था बीरबल के बचपन का नाम महेश दास था वे अपने पिता गंगादास माता अपना देवी की तीसरी संतान थे बीरबल हिंदी संस्कृत और फारसी भाषा में पारंगत है बीरबल अपने दिमाग से नहीं बल्कि साहित्य में अपने योगदान के लिए भी जाने जाते हैं बीरबल एक हिंदु थे और वह राजा अकबर के दरबार में काम करते थे बीरबल अकबर के नवरत्नों में से एक थे राजा अकबर ने उन्हें उनकी बुद्धि और चतुराई के कारण उन्हें मंत्री का पद दे रखा था
बीरबल ने अपनी बुद्धि बल की महारत से अकबर पर अपना जादू चला दिया था और अकबर ने उनकी बल बुद्धि का महिमामंडन भी किया था और उन्हें अपने दरबार में वजीर यानी की मंत्री का पद दे दिया था अकबर ने बीरबल को वजीर से राजा बनाने का भी फैसला कर लिया था इसी के तहत अकबर ने बीरबल को खूब सारा सोना, सेना और कांगड़ा में विशाल जागीरे दे दी इसके बाद लोगों ने बीरबल को राजा कहना शुरू कर दिया था बीरबल की मृत्यु का रहस्य
अफगानिस्तान के खिलाफ विद्रोह
1586 ईसवी में अफगानिस्तान ने मुगलों के खिलाफ विद्रोह कर दिया अफगानिस्तान के बाजारों में कुछ आतंकी लोग वहां के लोगों को अपनी ताकत से लौट रहे थे वहां के लोग जबरन वसूली से बहुत ही ज्यादा परेशान हो गए थे आबादी बर्बाद और नगर वीरान हो रहे थे हजारों लोगों का सामूहिक पलायन होना शुरु हो गया था ऐसी स्थिति में अकबर ने अपने अहम सिपहसलाह जैन खान कोका को अफगानिस्तान में शांति करने के लिए चुन लिया
वह मुगल सेना का प्रमुख सैनिक था जैन खान युद्ध का साजो सामान लेकर अफगान कि उस कठिन इलाके की और निकल पड़ा जाने का रास्ता पहाड़ियों से होकर गुजरता था जिसके बारे में सेना के किसी भी इंसान को जानकारी नहीं थी इसके बाद नदियों पहाड़ों और जंगलों को पार करते हुए मुगल सेना उस इलाके में पहुंची जहां उनका मुकाबला अफगानिस्तान के ताकतवर कबीले के साथ होना था जब अफगानीयो के साथ युद्ध होता था तो वह बड़ी बहादुरी से लड़ता था इनके लिए पहाड़ों पर चढ़ना बाएं हाथ का खेल होता था और वह पेड़ों पर चढ़ने में भी माहिर होते थे परंतु मुगल सेना इन सब बातों से अनजान थी
इसके बाद उन्होंने जंग शुरु की परंतु अफगानी सेना सामने से मुकाबला नहीं कर रही थी वह गोरिल्ला युद्ध की तरह मुगल सेना से लड़ते रहे इसका खामियाजा मुगल सेना को भुगतना पड़ा और उनका काफी नुकसान भी हुआ मुगल सेना पहाड़ो की चढ़ाई करते हुए थक चुकी थी उनका राशन पानी भी खत्म हो चुका था जिससे भूख प्यास के साथ और चढ़ाई नहीं कर सकते थे अफगान सेना से लड़ना उनकी उम्मीद से कहीं ज्यादा मुश्किल हो चुका था \ बीरबल की मृत्यु का रहस्य
बीरबल को युद्ध की आज्ञा
इस युद्ध में लगभग मुगल सेना हार चुकी थी तभी जैन खान कोका ने एक चाल चली खान ने अकबर को एक झूठी चिट्ठी लिखी जिसमें उसने कहा कि हम यह जंग जीत चुके हैं परंतु अफगान को पूरी तरह से पाने के लिए थोड़ी और सेना की जरूरत है इसकेइसके बाद वह दूसरी टुकड़े के आने के इंतजार में पहाड़ियों में छिप कर बैठ गया
इसके बाद अकबर ने खान द्वारा भेजी गई चिट्ठी पर गौर किया कि आखिर किसको भेजा जाए जो खान के साथ जीत का परचम लहराए उस वक्त दरबार में अबुल फजल, जिसमें बीरबल नामा और अकबरनामा लिखी थी और बीरबल मौजूद थे जब अबुल फजल ने युद्ध में जाने की इच्छा जताई उन्होंने साफ मना कर दिया इसके बाद जब अकबर से बीरबल ने युद्ध में जाने की आज्ञा मांगी तो वह तुरंत प्यार हो गया
बीरबल का आफगानों के साथ युद्ध
इस युद्ध में बीरबल को सेनापति नियुक्त किया गया और 8000 की फौज के साथ अफगानिस्तान रवाना कर दिया गया बीरबल अकलमंद व्यक्ति तो थे मगर उन्हें युद्ध नीतियों के बारे में महारत हासिल नहीं थी जब बीरबल की सेना अफगानीओ के साथ मुकाबला करने को मैदान में उतरी तो पहाड़ी लोगों के सामने बीरबल की फौज भारी पड़ गई मुगल सेना ने कई अफ़गानों को मार दिया इसके बाद लड़ते-लड़ते अंधेरा हो गया था जिसके कारण युद्ध पर विराम लगाना पड़ा
इसके बाद बीरबल अपनी सेना के साथ अगले दिन की लड़ाई के लिए की रणनीति बनाने लगेइसके बाद बीरबल अपनी फौज के साथ अफगानी और से युद्ध कर रहे थे उस समय अकबर ने अपने एक और दरबारी हकीम को युद्ध के लिए मैदान में भेज दिया था हकीम फतेह को भी बीरबल की तरह युद्ध की जानकारी नहीं थी जैन खान, हकीम फतेह और बीरबल में आपसी मतभेद होते रहे तीनों एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन थे जिसके कारण तीनों एक दूसरे की सलाह को मानने से इनकार करते थे
उनकी एक बात पर भी सहमति नहीं बनती थी आपसी फूट के कारण वह तीनों अफगानिस्तान की घाटी में घुस गए इसके बाद बीरबल ने आगे की योजना बताई परंतु कोई भी उनकी इस सलाह पर सहमत नहीं हुआ था इसके बाद तीनों ने अपने अलग रास्तों पर जाने की ठान ली बीरबल के साथ धोखा
बीरबल अगले दिन आक्रमण के लिए तीन से चार कोश चलने के बाद रात के अंधेरे में वहीं पर रुक गए थे वहीं पर दुश्मन की सेना घात लगाए बैठी थी \ बीरबल की मृत्यु का रहस्य
बीरबल की मौत
रात के अंधेरों में अचानक अफ़गानों की सेना ने बीरबल की सेना को चारों ओर से घेर लिया और उन पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए घबराहट के कारण सेना तितर-बितर हो गई जो जहां भाग पाया वहां पर भाग गया इससे कई सारे सैनिकों की मौत हो गई बीरबल ने भी कोशिश की थी इससे बचने की लेकिन अफगानी सेना ने उनको तीरों से तार-तार कर दियादुर्बल को कोई मदद ना मिल पाने के कारण वहीं पर उनकी मौत हो गई कहा जाता है कि लाशों के अंबार में बीरबल की लाश का भी कुछ पता नहीं चला और बीरबल का उनके के धर्म के अनुसार क्रिया कर्म नहीं हो सका
अकबर की नीति
इतिहासकार कहते हैं कि बीरबल की की मौत से अकबर को बहुत बड़ा झटका लगा लेकिन ऐसा नहीं था अकबर राजा था और सभी धर्मों का मसीहा बनना चाहता था इसलिए उसे बीरबल की बुद्धि का उपयोग अपने आप को और अपने साम्राज्य विस्तार को बचाने और बढ़ाने में किया था
अकबर ने यह जानते हुए कि बीरबल एक हिंदू है उसे उस समय राजा बनाया जिस समय वह अन्य हिंदू राजाओं को बर्बाद करने, साम्राज्य हड़पने की नीतियां बना रहा था जब लोगों ने बीरबल को राजा बुलाना शुरू किया तो अकबर अपने वंश का सर्वनाश होने की शुरुआत को जान गया इसलिए अकबर ने बीरबल को ऐसे सेनापतियों के साथ भेजा जिसके साथ बीरबल की सोच दरबार में ही नहीं मिलती थी इस इतिहास से पता चलता है कि बीरबल की मृत्यु अकबर द्वारा सोची समझी साजिश का परिणाम थी जिसे अकबर केवल रहस्य बनाए रखना चाहता था
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