संभाजी महाराज का जीवन परिचय और इतिहास
संभाजी महाराज का जन्म
संभाजी भोसले मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी पहली पत्नी सईबाई के बड़े बेटे थे अपने पिता की मृत्यु के बाद उनके राज्य के वारिश थे संभाजी राजे का साम्राज्य ज्यादातर हमें मुगलों और मराठों के युद्ध के बीच दिखाई देता है बचपन से ही वे मुगल साम्राज्य के विरुद्ध थे उनका साम्राज्य मुगल, सिंधी ,मैसूर ,और पुर्तगाल के बीच फैला था संभाजी महाराज का “जन्म 14 मई 1657 ईसवी” में शिवाजी पुरंदर किले पर हुआ था जब संभाजी 2 वर्ष के थे तब उनकी माता का देहांत हो गया था उनकी दादी जीजाबाई ने इनका पालन पोषण किया इसके बाद 9 साल की उम्र में संभाजी को अंबेर के राजा जयसिंह के साथ रहने के लिए भेजा गया था |संभाजी महाराज का जीवन परिचय और इतिहास
मुगलों द्वारा किया गया धोखा
एक बार छत्रपति शिवाजी इन्हें अपने साथ आगरा चलने के लिए कहते हैं वहां के शासक औरंगजेब से मिलने के लिए कहते हैं इसके बाद इन्हें 1250 किलोमीटर दूर घोड़े पर बिठाकर आगरा ले गए वहां पर औरंगजेब ने पहले तो इनकी बेइज्जती की इसके बाद दोनों को कारागार में डाल दिया था यह सब देख कर संभाजी महाराज ने वहां से निकलने की योजना बनाई सबसे पहले उन्होंने शिवाजी महाराज को बाहर निकाला और कुछ समय के बाद वह खुद भी बाहर आ गए थे ताकि वह मुगलों द्वारा 1665 की धोखेबाजी को जान सके और उनके राजनीतिक दावो को समझ सके संभाजी महाराज उस समय केवल 9 वर्ष के थे |संभाजी महाराज का जीवन परिचय और इतिहास
संभाजी महाराज की शिक्षा
संभाजी महाराज ने 13 वर्ष की आयु में 13 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था संभाजी महाराज शस्त्र और शास्त्र दोनों में निपुण थे महाराज संभाजी साहित्य पढ़ते भी थे और लिखते भी थे उन्हें साहित्य पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता था संभाजी महाराज घुड़सवारी और तलवारबाजी में बहुत ही निपुण थे संभाजी भोसले ने 16 वर्ष की आयु में पहला युद्ध रामनगर का जीता था यह बहुत ही बलशाली योद्धा थे
संभाजी महाराज के गुरु
संभाजी महाराज ने उज्जैन के कवि कलश को अपना गुरु बनाया जो अपनी कविताओं के माध्यम से इनकी विचारधारा को तैयार किया करते थे कवि कलश एक महान सलाहकार थे वह हमेशा संभाजी महाराज के साथ रहते थे उस समय उनके पिताजी युद्ध में व्यस्त थे और उन्होंने 19 वर्ष की आयु में अपने रायगढ़ के किले को संभाला था इसके बाद छत्रपति शिवाजी महाराज की 1681 में मृत्यु हो गई थी
23 वर्ष की उम्र में संभाजी महाराज ने औरंगाबाद के औरंगजेब के किले को लूट लिया और उस पर आक्रमण कर दिया था यह सब देख कर औरंगजेब परेशान हो गया था औरंगजेब ने अपने सेनापति हुसैन अली खान को 20000 घोड़ों और हाथियों के साथ संभाजी भोसले को खत्म करने के लिए भेजा परंतु अली खान ने कहा कि मैं 2 दिन में संभाजी को खत्म कर आऊंगा परंतु अली खान ने 1680, 1681, 1682 में युद्ध किया परंतु वह हर बार हार गया पूरे इतिहास के अंदर संभाजी महाराज जी एक ऐसे योद्धा रहे जिन्होंने 9 वर्ष की आयु में 120 लड़ाइयां लड़ी थी परंतु है एक भी लड़ाई में नहीं हारे थे |संभाजी महाराज का जीवन परिचय और इतिहास
संभाजी महाराज का विवाह
संभाजी महाराज ने राजनीतिक समझौते के चलते जीवबाई से विवाह कर लिया इसके बाद मराठा रीति-रिवाजों के अनुसार उनका नाम यशू बाई रखा गया 20 जुलाई 1680 को संभाजी की ताजपोशी हुई थी
संभाजी द्वारा युद्ध
1680 में मराठा फौज की मुगलों के साथ एक भयंकर लड़ाई हुई थी संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य के शासनकाल में 120 युद्ध किए थे उनकी सेना किसी भी युद्ध में एक बार भी पराजित नहीं हुई थी इस तरह का पराक्रम करने वाले वह एक महान योद्धा थे उनके पराक्रम को देखकर दिल्ली के बादशाह औरंगजेब परेशान हो गया था और उसने कसम खाई थी कि जब तक संभाजी भोसले पकडे नहीं जाएंगे तब तक वह अपने सिर पर ताज नहीं रखेगा मुगलों ने संभाजी महाराज को पकड़ने के लिए कई असफल प्रयास किए
औरंगजेब चाहता था कि दक्षिण में तो मेरा राज हो ही गया है अब मैं ढक्कन पर अपना परचम लगा दूं इसके लिए औरंगजेब ने महाराष्ट्र की ओर बढ़ना शुरू कर दिया जब इस बात का पता संभाजी महाराज को लगा तो उन्होंने गोवा में जाकर पुर्तगालियों को मार दिया क्योंकि पुर्तगालियों ने औरंगजेब का साथ दिया था इसके बाद चिका देव नाम का एक राजा था जिसने औरंगजेब का साथ दिया था उसको भी संभाजी महाराज ने मार डाला था इसके बाद संभाजी महाराज ने सबको बोल दिया कि यदि किसी ने मुगलों का साथ दिया या फिर धर्म परिवर्तन के मिशन में शामिल हुए तो मैं उसे मार डालूंगा उन्होंने कहा था कि मैं मराठा हूं अपने देश के लिए काम करता हूं इसके बाद औरंगजेब को यह समझ आ गया कि हम संभाजी भोसले को नहीं हरा सकते इसलिए कुछ और करना चाहिए
संभाजी महाराज की मृत्यु
संभाजी भोसले ने अपने साले गन्नू जी को वेतन देने से मना कर दिया था इस बात की खबर औरंगजेब को लग गई थी इसके बाद गन्नू जी संभाजी का दुश्मन बन गया एक दिन जब संभाजी और उनके कवि कलश दोनों एक खास मीटिंग के लिए जा रहे थे तो इनके साले ने औरंगजेब को उस गुप्त रास्ते के बारे में बता दिया था इसके बाद औरंगजेब अपने 2000 सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया और उसने संभाजी भोसले और उनके साथ कवि कलश को बंधक बना लिया इसके बाद औरंगजेब ने उन दोनों को ऊंट पर लटका कर पूरे शहर में चक्कर लगवाया और इसके बाद उन दोनों को काल कोठरी में डाल दिया
औरंगजेब ने उन्हें जीवित छोड़ने के लिए तीन शर्ते रखी कहा कि यदि तुम मुझे मराठा साम्राज्य सौंप दो ,लूटा हुआ सोना वापस कर दो, और अपना धर्म परिवर्तित कर लो इसके बाद मैं तुम्हें जीवित छोड़ दूंगा औरंगजेब ने उन्हें बहुत प्रताड़ित किया और यातनाएं दी थी परंतु उन दोनों ने ऐसा करने से मना कर दिया था इसके बाद औरंगजेब ने क्रोधित होकर अपने सैनिकों द्वारा उनके शरीर के टुकड़े टुकड़े करके फेंकने को कह दिया था औरंगजेब ने उन्हें मारने से पहले कहा कि मेरे चार बेटों में से एक भी तुम्हारे जैसा होता तो सारा हिंदुस्तान कब का मुगल सल्तनत में समाया होता औरंगजेब ने अपना डर कायम रखने के लिए ऐसा किया था “11 मार्च 1689 को” उनकी मृत्यु हो गई थी इसके बाद मराठों ने उनके शरीर उठाकर और सील कर उनका अंतिम संस्कार किया था छत्रपति संभाजी महाराज की बड़ी क्रूरता के साथ हत्या कर दी थी मृत्यु के समय उनकी आयु 32 वर्ष थी |संभाजी महाराज का जीवन परिचय और इतिहास
देश धर्म पर मिटने वाला शेर शिवा का छावा था, महा पराक्रमी परम प्रतापी एक ही शंभू राजा था