हिस्टीरिया बीमारी क्या है हिस्टीरिया की आयुर्वेदिक दवा
वैसे तो दुनिया में अलग-अलग प्रकार की बहुत सारी खतरनाक बीमारियां फैली हुई है लेकिन इनमे से कुछ ऐसी बीमारियां होती है जो कुछ ही समय के लिए होती हैं और बाद में अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन कई बीमारियां ऐसी होती है जो कि इलाज के बाद ही पीछा छोड़ती है लेकिन कई बीमारियां ऐसी भी होती है जो कि बहुत घातक बीमारी होती है.
लेकिन इनके बारे में हमें ज्यादा पता नहीं होता क्योंकि इन बीमारियों का नाम ही कुछ ऐसा होता है तो हिस्टीरिया भी इसी तरह की बीमारी है जो कि एक खतरनाक बीमारी है और यह ज्यादातर महिलाओं में उत्पन्न होती है तो आज किस ब्लॉक में हम हिस्टीरिया बीमारी के उत्पन्न होने के कारण इसके बचाव और इसके लक्षण आदि के बारे में बात करने जा रहे हैं.
हिस्टीरिया रोग क्या है
उससे पहले हम बात करते हैं कि आखिरकार हिस्टीरिया रोग क्या होता है हिस्टीरिया रोग को आयुर्वेदिक भाषा में ‘योषापस्मार’ रोग नाम से भी जाना जाता है इसमें योषा शब्द का अर्थ स्त्री से संबंधित है और अपस्मार का मतलब मिर्गी के रोगी से हैं यानी यह एक ऐसा रोग है जिसमें मिर्गी रोग के रोगी के समान दौरे पड़ते हैं और यह रोग ज्यादातर अविवाहित स्त्रियों में उत्पन्न होता है जो कि एक खतरनाक रोग है इससे कई बार दौरा पड़ने पर स्त्री की मृत्यु भी हो सकती है
हिस्टीरिया रोग के कारण
अगर हिस्टीरिया रोग के कारणों की बात की जाए तो इस रोग के उत्पन्न होने के बहुत सारे कारण होते हैं जैसे ज्यादा अश्लील साहित्य पढ़ना, उत्तेजक फिल्में देखना, श्वेत प्रदर ज्यादा समय तक दर्द रहना, बांझपन होना, शरीर में नाड़ियों की कमजोरी होना, आकस्मिक मानसिक आघात होना, मासिक धर्म का रुक जाना, ज्यादा कठिन मासिक धर्म होना, घर में लड़ाई का माहौल रहना, सामाजिक एवं पारिवारिक संबंध ठीक न रहना, चिंता भाव रहना, चिंता, भय,
शोक उत्पन्न होना ज्यादा, भावुक होना, डिंबाशय व जरायु रोग उतपन्न होना, पति पत्नी की आयु का सही मेल न होना, लंबे समय तक बीमार होना, किसी अन्य मर्द से प्रेम का चक्कर चलना, लंबे समय तक संभोग न कर पाना जवानी निकलने के बाद विवाह होना, मन में किसी बात का डर होना, मस्तिष्क में बुद्धि की कमी होना, ज्यादा भोग विलास में जीवन जीना, बलात्कार के कारण मन में डर उत्पन्न होना, ज्यादा शारीरिक संबंधों पर जोर देना, प्रेमी से बिछड़ जाना, शारीरिक कमजोरी होना, पति से शारीरिक सुख में मिल पाना, ऐसे बहुत सारे कारण होते हैं जिससे लड़कियों में हिस्टीरिया रोग उत्पन्न हो जाता है
हिस्टीरिया रोग के लक्षण
जिस तरह से मैंने आपको इस रोग के उत्पन्न होने के बहुत सारे कारण बताए हैं उसी तरह से इस पर रोक के उत्पन्न होने पर या उत्पन्न होने से पहले बहुत सारे लक्षण भी देखने को मिलते हैं जैसे इस रोग के उत्पन्न होने पर स्त्रियों को दौरा पड़ने का आभास होता है लेकिन जब दौरा पड़ जाता है तब उसको इसके बारे में एहसास नहीं होता और जब किसी को यह दौरा पड़ता है तब वह स्त्री बेहोशी में 24 से 48 घंटे तक रह सकती है और जब स्त्री बेहोशी की हालत में होती है
तब उसको झटके महसूस होते है उसकी मुट्ठी बिल्कुल बंद हो जाती है, दांत बिल्कुल चिपक जाते हैं ,शरीर में कंपन होने लगती है, गले की मांसपेशियां बिल्कुल जकड़ जाती है, बहुत ज्यादा मात्रा में पेशाब आने लगता है, सांसे रुकी हुई नजर आने लगती है, सांस लेने में तकलीफ होती है, पेट फूल जाता है, स्त्री को स्मृति का लोप हो जाता है, इसके अलावा कई स्त्रियों में दौरा आने पर हाथ पैर पटकने की समस्या देखी जाती है सांसे बहुत ज्यादा तेज चलने लगती है, ह्रदय की धड़कन बहुत तेज या कम हो सकती है, शरीर में बेचैनी व तेज दर्द महसूस होने लगता है, स्त्रियों बहकी बहकी बात करने लगती है, कभी कभी रोने, हंसने, गाने भी लगती है, स्त्रियों खुद के बाल व शरीर को रोशनी लगती है, इसके अलावा आंसू आना और उल्टी आदि की समस्या भी बहुत सारे स्त्रियों में देखने को मिलती है
क्या क्या खाना चाहिए
जब किसी स्त्री में यह रोग उत्पन्न हो जाता है तब उसको खाने पीने की चीजों पर ध्यान देना चाहिए वह को गलत चीजों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
- हमेशा गाय का दूध, नारियल का पानी या छाछ पीना चाहिए
- रोगी को हरी सब्जी जैसे पालक पुदीना गाजर मूली मेथी आदि खिलानी चाहिए
- दूध में अपनी इच्छा अनुसार शहद और 10-12 किशमिश मिलाकर पीना चाहिए
- फलों में संतरा मौसमी अनार पपीता आदि खाने चाहिए
- रोगी को आंवले का मुरब्बा सुबह-शाम भोजन के साथ देना चाहिए
- रोगी को पुराने चावल ,दलिया, मूंग की दाल, मसूर की दाल, गेहूं के आटे की रोटी देनी चाहिए
क्या नहीं खाना चाहिए
- रोगी को तली भुनी हुई वह बेमौसमी चीजें नहीं खानी चाहिए
- ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू, गुटखे आदि
- रोगी को कम से कम मिर्च-मसालेदार, चटपटी चीज खानी चाहिए
- रोगी को गुड़, तेल, हरी-लाल मिर्च, खटाई, अचार नहीं खानी चाहिए
- रोगी मांस, मछली, अंडा आदि से परहेज करना चाहिए
क्या करना चाहिए
- रोगी को सुबह-सुबह खुली हवा में घूमना चाहिए
- रोगी को सुबह-सुबह हल्के-फुल्के व्यायाम व प्राणायाम आदि करने चाहिए
- अगर रोगी की शादी नहीं हुई है तो शादी करवानी चाहिए
- रोगी को अलग-अलग जगह पर घुमाना चाहिए
- रोगी को ज्यादा मानसिक व शारीरिक चीजों के बारे में बताना चाहिए
- रोगी के साथ ख़ुशी का माहौल रखना चाहिए
- दौरा पड़ने पर रोगी की कपड़े ढीले कर देना चाहिए और हवा वाली जगह पर लिटाना चाहिए
- दौरा पड़ने पर रोगी के मुंह पर ठंडे पानी के छींटे मारने चाहिए
- रोगी को होश में लाने के लिए प्याज या लहसुन का रस या अमृतधारा की दो दो बूंदे नाक डालनी चाहिए
- अगर किसी स्त्री को शारीरिक धर्म से संबंधित समस्या है तो उसको तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए
- स्त्री को शारीरिक सुख देना चाहिए
क्या नहीं करना चाहिए
- शरीर में शरीर के मल मूत्र आदि के वेगों को नहीं रोना चाहिए
- रोगी को अकेले में नहीं रहना चाहिए
- रोगी को ज्यादा अश्लील फिल्में व साहित्य आदि नहीं पढ़ने चाहिए
- रोगी को शराब तम्बाकू वह उत्तेजक पदार्थों से दूर रखना
- रोगी को किसी भी प्रकार की मानसिक व शारीरिक परेशानी नहीं रखनी चाहिए
- रोगी को शरीर में गैस व कब्ज की शिकायत नहीं पालनी चाहिए
हिस्टीरिया की आयुर्वेदिक दवा
लेकिन फिर भी अगर किसी स्त्री में हिस्टीरिया रोग उत्पन्न हो जाता है तो उसको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहती थी इसके अलावा आप आयुर्वेदिक चीजों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जिनके बारे में हमने आपको नीचे बताया है इन सभी को आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ले सकते हैं.
- गर्ग हिस्टीरियान्तक कैपसल- हिस्टीनाशक अति उत्तम औषधि है। मात्रादि के लिए दवा निर्माता का दवा के साथ दिया गया पत्रक (साहित्य/लिटरेचर) देखें।
- चरक नेड टेबलेट – अपस्मार (मृगी) व योषापस्मार (हिस्टीरिया) में उपयोगी है। 2-3 गोली दिन में 3 बार दें। बालकों को 1 गोली दिन में 3 बार सेवन करायें।
- हिमालय सर्पिना टेबलेट – रक्तचाप, उच्च रक्तचाप, हिस्टीरिया, अनिद्रा आदि में उपयोगी है। हिस्टीरिया, उन्माद में 1-3 गोलियाँ प्रतिदिन 3 बार दें।
हिस्टीरिया के घरेलू नुस्खे
थोड़ा सा नमक पानी में घोलकर रोगी के नासाछिद्रों में 4-5 बूंदें डालने से या प्याज कूटकर सूंघाने से, प्याज की नस्य देने से, प्याज का रस आँखों में आँजने से या चूना व नौसादर समान भाग मिलाकर सुंघाने से हिस्टीरिया दौरे से बेहोश रोगी को होश आ जाता है।
जटामांसी, बच और गाय के घी में भुनी (यानि शद्ध) हींग प्रत्येक 2-2 तोला, कूट व कालानमक दोनों 4-4 तोला, और बायविडंग 16 तोला लेकर सभी को कूटपीसकर तथा कपड़छान कर सुरक्षित रख लें। इस चूर्ण को 1-3 माशा की मात्रा में इसत जल के साथ प्रतिदिन 3 बार सेवन करायें। यह चूर्ण योषापस्मार, आक्षेप, गर्भाशयिक विकार, कम्पवात, अपस्मार व अनिद्रा नाशक है तथा मस्तिष्क तनाव में भी गुणकारी है।
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