हैदर अली का इतिहास

हैदर अली का इतिहास और जीवनी हिंदी में

हैदर अली का जन्म

हैदर अली का जन्म 1722 में  बुदिकोट में हुआ था पहले दक्षिण भारत  मैं एक बहुत बड़ा राज्य हुआ करता था जिसको विजय नगर  साम्राज्य के नाम से जानते हैं 1565 ईस्वी में तालिकोटा के युद्ध में विजयनगर साम्राज्य का सर्वनाश हो जाता है और वह पतन की ओर चला जाता है इसके बाद विजयनगर के साम्राज्य में से छोटे-छोटे  स्वतंत्र राज्यों का उदय होता है उन्हीं राज्यों में से एक था  मैसूर आज के समय में जो कर्नाटक राज्य है उसे उस समय में मैसूर के नाम से जाना जाता था उस समय दिल्ली पर मुगलों का शासन हुआ करता था उस समय मैसूर राज्य के जो हिंदू शासक थे  वह  योग्य के शासक नहीं थे हैदर अली एक सामान्य से सैनिक थे वह कोई राजा नहीं थी वह अपनी योग्यता के बल पर ऊपर उठता चला गया था हैदर अली ने मैसूर राज्य की अव्यवस्था कदेखकर उस पर अपना अधिकार कर लिया था और वह 1761 में मैसूर का सुल्तान बन गया था

हैदर अली की शिक्षा

हैदर अली ने एक फ्रांसीसी व्यक्ति जोसेफ  फ्रेकबाय डूप्ले  युद्ध कौशल शिक्षा ली थी  हैदर अली ने 1749 में मैसूर में स्वतंत्र कमान प्राप्त की बाद में उसने प्रधानमंत्री नंजराज की जगह ले ली और राजा को उसके ही महल में नजरबंद कर दिया था हैदर अली का इतिहास 

 महत्वपूर्ण घटना 

1761 में भारत में एक महत्वपूर्ण घटना घटी उसी समय पानीपत की लड़ाई हुई थी पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा की बुरी तरह से हार हो जाती है कुछ समय के लिए  मराठे शक्ति हीन हो जाते हैं इसका फायदा हैदर अली को होता है और वह 1761 में  मैसूर में स्वतंत्र राज्य की स्थापना करता है  हैदर अली अनपढ़ था परंतु फिर भी उसमें सैनिक और राजनीतिक योग्यता अद्वितीय थी वह एक कुशल योद्धा थे वह सेना का नेतृत्व बहुत ही अच्छे तरीके से कर लेते थे वह बड़े से बड़ा युद्ध की योजना बहुत ही अच्छी तरीके से बना लेता था हैदर अली का इतिहास 

प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध 

मैसूर के चार युद्ध लड़े गए थे इनमें से प्रथम युद्ध 1767 -69 तक लड़ा गया था इस युद्ध में  ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी  ने मैसूर के विरोधियों से हाथ मिला लिया था  मराठे, निजाम और कर्नाटक का नवाब अंग्रेजों के साथ मिल गए थे 1766 में हैदराबाद के निजाम ने अंग्रेजों से संधि कर ली और उन्हें उत्तरी सरकार का क्षेत्र प्रदान कर दिया और बदले में अंग्रेजों ने हैदर अली के विरुद्ध निजाम को सहायता देने का वादा किया

अंग्रेजों ने निजाम से कहा कि जब भी तुम हैदर अली पर आक्रमण करोगे तो हम तुम्हारी सहायता करेंगे हैदर अली को इस बात का पता चल गया कि मेरे खिलाफ संगठन बन रहा है इसके बाद हैदर अली ने इस संगठन को बहुत ही आसानी से तोड़ दिया था हैदर अली ने मराठों को बहुत सारा धन दिया और उनसे कहा कि तुम सब मेरी तरफ मिल जाओ हैदराबाद के निजाम को प्रदेशों का लालच देकर अपनी तरफ मिला लिया था

और हम सब मिलकर अंग्रेजों को मार भगाएंगे इस युद्ध में जब अंग्रेजों की जीत होने लगती है तो निजाम वापस अंग्रेजों के पास चला जाता है इसके बाद हैदर अली की सेना मद्रास तक जा पहुंची और मद्रास को घेर लिया था 

मद्रास की संधि 

हैदर अली की सेना ने मद्रास को घेर लिया था इसके बाद  मजबूर होकर अंग्रेजों ने हैदर अली के साथ संधि कर ली थी जिसे मद्रास की संधि कहा जाता है इस संधि के बाद दोनों ने एक दूसरे के जीते हुए प्रदेशों को वापस लौटा दिया था अंग्रेजों ने हैदर अली को आक्रमण के समय सहायता का वचन दिया 1769मैं यह संधि हुई थी हुई थी हैदर अली का इतिहास 

द्वितीय कर्नाटक का युद्ध

द्वितीय कर्नाटक का युद्ध1780-84 तक चला था  हैदर अली पर 1770-71 मैं मराठों ने आक्रमण कर दिया था  इसके बाद हैदर अली ने अंग्रेजों से सहायता के लिए अनुरोध किया उन्होंने अंग्रेजों से कहा कि मद्रास की संधि के अनुसार तुम्हें मेरी सहायता करनी पड़ेगी परंतु अंग्रेजों ने सहायता करने के लिए मना कर दिया था हैदर अली का फ्रांसीसीयों के साथ घनिष्ठ संबंध थे

उसी समय अमेरिकी स्वतंत्रता आंदोलन भी आरंभ हो गया था जिसमें फ्रांस ने अमेरिका का सहयोग किया था फ्रांस कई तरह से हैदर अली की भी सहायता कर रहा था माही जोकि हैदर अली के अधिकार क्षेत्र में एक फ्रांसीसी बस्ती थी यह एक प्रमुख बंदरगाह था वारेन हेस्टिंग्स उस समय बंगाल का गवर्नर था वह फ्रांस और हैदर अली के संबंध को संदेह की दृष्टि से देख रहा था हैदर अली का इतिहास 

अंग्रेजों द्वारा माही पर अधिकार 

मार्च 1779 में अंग्रेजों ने माही पर अपना अधिकार कर लिया था  हैदर अली ने निजाम तथा मराठों से मिलकर सब के शत्रु ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध एक संयुक्त मोर्चा बना लिया था 1780 में हैदर अली ने कर्नाटक पर आक्रमण कर कर्नल बेली के अधीन अंग्रेजी सेना को परास्त कर अर्काट को जीत लिया था बंगाल के गवर्नर ने हैदर अली के विरुद्ध आए कूट को दक्षिण में भेजा जिसने कूटनीति पूर्वक मराठों  व निजाम को हैदर अली से अलग कर दिया इससे हैदर अली बिल्कुल भी विचलित नहीं हुआ  किंतु नवंबर 1781 में पोर्टोनोवो  में पराजित हुआ अगले ही वर्ष कर्नल ब्रेथवेट को बुरी तरह से हराकर उसे युद्ध बंदी बना लेता है और वह अपने साथ ले आता है 

हैदर अली की मृत्यु 

7 दिसंबर 1782 में हैदर अली की मृत्यु हो जाती है इसके बाद हैदर अली के बेटे टीपू सुल्तान ने युद्ध को जारी रखा1784 में मंगलौर की संधि हुई थी हैदर अली का इतिहास 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top