भाई दूज क्यों मनाई जाती है इसका महत्व
भाई दूज क्यों मनाई जाती है इसका महत्व
दीपावली उमंग और उत्साह के त्यौहार के 1 दिन बाद गोवर्धन पूजा की जाती है और गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाइयों और बहनों के प्यार के पवित्र रिश्तो का त्यौहार भाई दूज मनाई जाती है पूरे भारत में भैया दूज को भाई और बहन बड़ी धूमधाम से मनाते हैं भैया दूज शुक्ल पक्ष में आता है और इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है भाइयों की आरती करती है और मंगल कामना करती है कि भाई और बहन का प्यार जन्म जन्मांतर तक बना रहे और भाई की उम्र लंबी हो इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने भाई को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती है | भाई दूज क्यों मनाई जाती है इसका महत्व |
भाई दूज की पहली कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार हिंदू धर्म में भैया दूज को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया हिंदू धर्म में लगभग सभी त्योहार और प्रथाएं किसी न किसी विशेष चरित्र या आदर्श से जुड़ी होती है और इन्हीं से जुड़ी कहानी इस बिन बताई जाती है तो पहली कहानी इस प्रकार है -एक गांव में एक परिवार रहा करता था जिसमें दो बच्चे थे एक बड़ी बहन और उसका छोटा भाई उनकी बहन बड़ी थी उसकी शादी भी पहले होगी शादी होकर बहन अपने ससुराल चले गई तो भाई अकेला रह गया समय के साथ-साथ भाई बड़ा हुआ धीरे-धीरे उसकी बहन की याद उसकी बहन की तस्वीर उसके दिलो-दिमाग में धुंधली पड़ती चली गई
यह समय वह था जब कोई फोटोग्राफी का साधन नहीं हुआ करता लेकिन जब दूसरी बहनों के साथ अपने भाइयों को कोई खास दिन मनाते हुए देखता था तो उसे बड़ा दुख होता था उसे बहुत याद आती थी वह अपनी बहन की कमी को महसूस करता था एक दिन उसने अपनी मां से पूछा- उसकी बहन इतने सालों से उससे मिलने क्यों नहीं आई तब उसकी मां ने उसे जवाब दिया कि दोनों गांव के बीच में एक खतरनाक और डरावना जंगल है जिसे पार करना बेहद कठिन है और इसीलिए उस गांव से इस गांव में कोई भी मिलने के लिए नहीं आता है
तब भाई ने तय किया कि वह अपनी बहन से जरूर मिलेगा किसी भी खतरे का विचार किए बगैर भाई अपनी बहन से मिलने के लिए निकल पड़ा जंगल में खतरों का सामना करने पर उसने सांपों पहाड़ों आदि से प्रार्थना की कि वे उसे अपनी बहन से मिलने के लिए जाने दे और वापस आने पर चाहे उसे मार दे उसने सभी से कहा एक बार मुझे अपनी बहन से मिलने दीजिए इस पर सभी ने उसे जाने दिया अंत में वह उस गांव में पहुंच गया और अपनी बहन से मिला उसकी बहन ने स्नेह से उसकी देखभाल की इसके बाद उसने वापस लौटने का निश्चय किया और उसने अपनी बहन को बताया कि वह रास्ते में ही मर जाएगा क्योंकि उसने सांपों, पर्वतों, और जंगली जानवरों को वचन दिया है यह सुनकर उसकी बहन ने भी अपना सामान बांध लिया और वह उसके साथ जंगल की ओर चलने लगी उसने उन विपत्तियों को चढ़ावा चढ़ाने के लिए चढ़ावा भी अपने साथ बांध लिया उसका सामना सांप से हुआ तो उसने उसे दूध चढ़ाया और सांप संतुष्ट होकर वहां से चला गया उसने उसके भाई को जाने दिया तथा शेर का सामना होने पर उसने उसे मांस दिया और वह भी संतुष्ट होकर उसे छोड़कर चला गया
जब उन्हें पर्वत ने डराया तो उसने उसे धातु और कुछ फूल अर्पित किए और उसे सुरक्षित जाने के लिए निवेदन किया तो उसने भी उन्हें छोड़ दिया सभी खतरों को पार करने के बाद वह बहुत थक गई और प्यास लगने पर जहां बंजारे काम कर रहे थे वहां पास के खेत में वहां पानी लेने के लिए चली गई और उसका भाई एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुक गया बंजारों ने उसे बताया कि उसके भाई के सर पर से विपत्ति अभी भी समाप्त नहीं हुई है और उसे बचाने का एक ही उपाय है कि वह सारा समय उसे डांटते और श्राप देती रहे उसकी शादी करवाएं और मांग करें कि सारे रीति रिवाज पहले उसके साथ निभाए जाए बंजारों की बात मानकर बहन ने ऐसा ही किया पूरे रास्ते भाई को कोसती रही भाई को श्राप देती रही लड़का बहन के इस बदले हुए रूप को देखकर बेहद चौक गया
इतना प्रेम करने वाली बहन अपने भाई को इतना क्यों डांट रही है बहन ने इतना काम करने पर गांव वाले भी उसका रूप देखकर डरने लगे गांव वाले भी यह चाहने लगे कि यह लड़की जल्दी से जल्दी इस गांव से बाहर चली जाए लड़के की शादी होने पर वह जिद करने लगे कि सेहरा पहले उसके सर पर बांधा जाए जहा उसकी डोरी की जगह उसने देखा कि सांप मिला इस तरह अपने भाई की जान बचा ली जब फेरों के समय बहन सो रही थी तो अग्नि के चारों ओर फेरे लेते समय भाई बेहोश हो गया था शोर सुनकर उसकी बहन जाग गई और उसने चिल्लाना शुरू कर दिया बहन के इस रूप को देखकर उसके भाई को वश में करने आई बुरी आत्मा भाग गई और उसकी जान बचा ली लौटते समय उसकी बहन ने बंजारों द्वारा की गई भविष्यवाणी के बारे में सब को बतायाऔर बंजारों द्वारा बताए गए उपाय के बारे में भी बताया इसके बाद उसके भाई को एहसास हुआ कि प्रेम करने वाली उसकी बहन ने उसकी जान बचाने के लिए यह सब किया इसके बाद उसने भगवान से प्रार्थना की कि हर भाई को ऐसी बहन मिले | भाई दूज क्यों मनाई जाती है इसका महत्व |
भाई दूज की दूसरी कहानी
भगवान सूर्य देव जो पूरे जगत को रोशनी और ऊर्जा देते हैं उनकी पत्नी का नाम छाया था उनकी पत्नी ने अपनी कोख से बेटा यमराज और बेटी यमुना को जन्म दिया उन दोनों भाई बहन में बहुत ही प्रेम था यमुना अपने भाई यमराज से निवेदन करती थी कि ईस्ट और मित्रों के सहित उसके घर आकर भोजन अवश्य करें लेकिन यमराज अपने कार्य में व्यस्त होने के कारण हमेशा अपनी बहन की बात को टाल दिया करते थे कार्तिक शुक्ल का दिन आया यमुना ने फिर से यमराज को भोजन के लिए आमंत्रित किया कई बार निवेदन करने पर यमराज मान गए और यमराज ने उसी दिन बहन को अपने घर पर आने का वचन दिया यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता हर व्यक्ति मुझसे नफरत करता है बहन सद्भावना से मुझे बुला रही है तो उसका पालन करना मेरा धर्म है तो यमराज बहन के घर की ओर निकल पड़े बहन के घर आते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले सभी जीवो को मुक्त कर दिया
यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना बेहद खुश हुई उसकी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा उसने स्नान व पूजा करके छप्पन प्रकार के व्यंजन , मिठाइयां व्यंजन अपने भाई के लिए तैयार किए और स्नेह पूर्वक बैठाकर तिलक लगाकर भोजन कराया यमुना द्वारा किए गए अपने इस सत्कार से यमराज बेहद प्रसन्न हुए और प्रसन्न होकर यमराज अपनी बहन यमुना को वर मांगने के लिए कहा तब यमुना ने कहा कि आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो मेरे अतिथि सत्कार को स्वीकार किया करो और मेरी तरह जो भी बहन धरती पर इस दिन अपने भाई को यानि भैया दूज के दिन अपने भाई को आदर सत्कार से अपने घर बुलाती है उसे तिलक लगाकर टीका करके उसे भोजन कराती है उसे तुम्हारा डर ना रहे भाई उन दोनों भाई बहन को तुम्हारा डर नहीं होना चाहिए यमराज ने अपनी बहन को तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र आभूषण देकर यमराज यमलोक की तरफ चले गए उस समय से कार्तिक शुक्ल पक्ष को यह परंपरा बन गई | भाई दूज क्यों मनाई जाती है इसका महत्व |
भाई दूज का महत्व
यह तुम्हारा बहन के अटूट प्रेम को बनाए रखने के लिए मनाया जाता है शास्त्रों में इसे यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है यह रिश्ता है सम्मान का यह रिश्ता है रक्षा का यह रिश्ता है विश्वास का मजबूत होगी से बंधी इस त्यौहार में बहने जहां अपने भाई की सलामती की दुआएं करती है तो वही भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं प्रेम भाव को दर्शाता भाई दूज एक ऐसा त्यौहार है जो भाई-बहन के अटूट प्रेम को जोड़े रखने के लिए बनाया जाता है भाई दूज पर बहने अपने भाइयों को तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं रक्षाबंधन की तरह भाई दूज का भी अपना महत्व है इसे भाई बहन के प्यार और त्याग के त्योहार के रूप में मनाया जाता है इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है इस दिन भाइयों को चावल खिलाने चाहिए | भाई दूज क्यों मनाई जाती है इसका महत्व |