हवा महल का इतिहास हवामहल का निर्माण हवा महल की बनावट हवा महल की विशेषता
हवा महल का इतिहास
हवामहल भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर शहर की बड़ी चौपड़ चौराहे के मुख्य रोड पर सिटी पैलेस के किनारे स्थित है यह जयपुर शहर के दक्षिण में है हवा महल जयपुर में स्थित आलीशान महल है वास्तव में यह एक विशाल आवरण वाली दीवार है जिसे मुख्य तौर पर शाही परिवार की औरतों के लिए बनाया गया था ताकि वे सड़क पर हो रहे त्योहारों और उत्सवों और प्रजा की दैनिक दिनचर्या को भीतर से ही देख कर आनंदित हो सके क्योंकि पर्दा प्रथा के चलते उन्हें बाजार जाने की अनुमति नहीं थी | हवा महल का इतिहास |
हवामहल का निर्माण
हवामहल का निर्माण सन 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था हवामहल को डिजाइन करने की जिम्मेदारी प्रसिद्ध वास्तुकार लालचंद उस्ताद को दी गई थी जिन्होंने हिंदू देवता भगवान श्री कृष्ण के मुकुट के रूप के समान इस इमारत को डिजाइन किया था इस अनोखी इमारत के डिजाइन के खास बात यह भी है कि बाहरी और से देखने पर यह मधुमक्खी के उल्टे छत्ते की भांति दिखाई देता है
इस पांच मंजिला इमारत जिसके ऊपर से नीचे तक 953 छोटी बड़ी जालीदार खिड़कियां है, जिन्हें झरोखा कहा जाता है इन जालियों को लगाने के पीछे यही मकसद था कि पर्दा प्रथा का पालन का पालन भी हो सके और जालियों द्वारा महल परिसर के भीतरी भाग में ठंडी हवा का संचार हो सके जिससे महल का वातावरण “वातानुकूलित सा रहता है इसी से इस महल का नाम हवामहल” पड़ गया | हवा महल का इतिहास |
हवा महल की बनावट
यह पांच मंजिला पिरामिड आकार की स्मारक है जिसके आधार से लगभग 15 मीटर ऊंची है महल के ऊपर ही तीन मंजिलों की संरचना का परिमाप एक कमरे की चौड़ाई के बराबर है जबकि पहली और दूसरी मंजिल के सामने आंगन भी मौजूद है खूबसूरत जालीदार खिड़कियां और नक्काशी दार गुंबद इसकी सुंदरता को चार चांद लगाते हैं महल की इमारत के पीछे के आंतरिक परिसर में जरूरत के मुताबिक खंभों के साथ कमरों का निर्माण किया गया है
और गलियारों की हल्की सजावट के साथ मनाया गया है जिनके द्वारा सबसे ऊपरी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है हवा महल में सोने की पॉलिश से सजाया गया खूबसूरत फुवारा आंगन के केंद्र में स्थित है हवा महल के निर्माण में लाल गुलाबी बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है जो जयपुर की ज्यादातर की इमारतों में प्रयोग किया गया है | हवा महल का इतिहास |
हवा महल की विशेषता
हवा महल की संस्कृति और वास्तु कला विरासत हिंदू राजपूत वास्तुकला और इस्लामिक मुगल वास्तुकला का यथार्थ प्रतिबिंब है राजपूत वास्तु कला में गुंबद आकार छतरिया स्तंभ ,कमल पुष्प प्रतिमा के आकार सम्मिलित हैं जबकि मुगल वास्तुकला में चंडी के महीन काम द्वारा पत्थरों को जोड़ना और मेहराब सम्मिलित है, हवा महल में प्रवेश पीछे की तरफ सिटी पैलेस से होकर शाही दरवाजे के माध्यम से किया जाता है यह दरवाजा एक विशाल आंगन में खुलता है जिसके तीनों और एक दो मंजिला इमारत है जो हवा महल के पूर्वी भाग से जुड़ी हुई है
महल के आंगन में एक पुरातत्व संग्रहालय भी है इस महल में कोई भी सीढी नहीं है इसलिए इसको “ सीढी रहित महल ” भी कहा जाता है हवामहल बिना आधार के बना हुआ विश्व का सबसे ऊंचा महल है हवा महल की छोटी-छोटी जालीदार झरोखों वाली उन्नत दीवार मात्र 8 इंच चौड़ी है जिस पर पूरी पांच मंजिले खड़ा होना निर्माण कला की अपनी एक विशिष्टता है हवा महल की सबसे ऊपरी मंजिल पर पहुंच कर सिटी पैलेस और जंतर मंतर के सुंदर दृश्य दिखाई पड़ते हैं
इस महल का रखरखाव राजस्थान सरकार के पुरातात्विक विभाग द्वारा किया जाता है वर्ष 2005 में 50 साल के लंबे अंतराल के बाद बड़े स्तर पर इस महल की मरम्मत और नवीकरण का कार्य किया गया था जिसमें लगभग ₹45679लाख रुपए का खर्च आया था | हवा महल का इतिहास |