भारत के प्रमुख आंदोलन और घटनाएं

भारत के प्रमुख आंदोलन और घटनाएं,भारत के प्रमुख आंदोलन, स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाएं, भारत के प्रमुख क्रांतिकारी के नाम

1.होमरूल लीग आंदोलन

 बाल गंगाधर तिलक ने 16 अप्रैल 1916 को बेलगांव में होमरूल लीग का गठन किया इनकी लीग का कार्यक्षेत्र कर्नाटक महाराष्ट्र मध्य प्रांत एवं बरार था सितंबर 1916 में एनी बेसेंट ने अपनी लीग का गठन किया था एनी बेसेंट ने अपनी लीग का मुख्यालय आडयार में स्थापित किया एनी बेसेंट के लीग का कार्य क्षेत्र तिलक के कार्य क्षेत्र को छोड़कर संपूर्ण भारत में था

इस आंदोलन के बढ़ते प्रभाव को देखकर सरकार इसके दमन के लिए सक्रिय हुई तथा बाल गंगाधर तिलक पर मुकदमा चलाया गया इसके बाद मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में वकीलों की एक टीम ने तिलक की ओर से मुकदमा लड़ा बाल गंगाधर तिलक के साथ ही एनी बेसेंट को भी जेल में डाल दिया गया था सितंबर 1917 में एनी बेसेंट को रिहा कर दिया गया तथा दिसंबर 1917 में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में तिलक के प्रस्ताव पर एनी बेसेंट को अध्यक्ष चुन लिया गया

 2.लखनऊ अधिवेशन 

1916 में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार ने की थी इसी अधिवेशन में गर्मपंथीयो की  कांग्रेस में पुनर्वासी हुई थी इसी अधिवेशन में ‘कांग्रेस लीग’ समझौता हुआ जिसे लखनऊ पैक्ट के नाम से जाना जाता है इस समझौते को संपन्न कराने में जिन्ना  एवं तिलक ने महत्वपूर्ण  भूमिका निभाई थी कांग्रेस लीग समझौते के तहत कांग्रेस ने पहली बार मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की मांग को औपचारिक तौर पर स्वीकार कर लिया इसी अधिवेशन में राजकुमार शुक्ला की महात्मा गांधी से मुलाकात हुई और उन्होंने चंपारण की समस्याओं से महात्मा गांधी को अवगत कराया | भारत के प्रमुख आंदोलन और घटनाएं |

3.गांधीवादी आंदोलन

 गांधीजी एक मुकदमे के सिलसिले में 1893 में ‘दक्षिण अफ्रीका ‘गए वहां उन्होंने अंग्रेजों की रंगभेद नीति का विरोध किया गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में “नटाल इंडियन कांग्रेस” और “फिनिक्स आश्रम” की स्थापना की थी इसके बाद जर्मन मित्र हर्मन कालेबाख की सहायता से “टॉलस्टॉय फार्म” स्थापित किया गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में इंडियन ओपिनियन नामक एक पत्रिका भी निकाली इंडियन ओपिनियन पत्रिका के प्रथम संपादक “मनसुखलाल” थे यह पत्रिका गुजराती, हिंदी, तमिल तथा अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी इसके बाद 1915 में गांधीजी वापस भारत लौट आए

उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था इन्होंने ब्रिटिश सरकार से समर्थन हासिल करने के उद्देश्य से युद्ध कार्यों में सरकार की सहायता की जिससे सरकार ने इन्हें केसर- ए- हिंद की उपाधि दी इसके बाद 1915 में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना अहमदाबाद में की गई 1917 में सत्याग्रह आश्रम को ‘साबरमती नदी’ के किनारे पुनः स्थापित किया गया गांधीजी ने 1916 के होमरूल आंदोलन को अपना समर्थन नहीं दिया क्योंकि वह होमरूल आंदोलनकारियों की इस रणनीति के खिलाफ थे कि अंग्रेज के ऊपर मुसीबत अपने लिए एक सुनहरा अवसर है | भारत के प्रमुख आंदोलन और घटनाएं |

4.रौलेट एक्ट सत्याग्रह 

फरवरी 1919 में रोलेट एक्ट में यह व्यवस्था की गई थी कि सरकार किसी व्यक्ति को जब तक चाहे बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रख सकती है इसलिए इस कानून को ,बिना वकील, बिना अपील एवं बिना दलील का कानून कहा गया है रोलेट एक्ट के विरोध में स्वामी श्रद्धानंद ने लगान ना देने का आंदोलन चलाने का सुझाव दिया था रौलेट एक्ट के विरोध में गांधीजी के अनुरोध पर 6 अप्रैल 1919 को देशभर में हड़तालो का आयोजन किया गया

10 अप्रैल 1919 को पंजाब के लोकप्रिय नेता सैफुद्दीन किचलू एवं डॉ. सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया गया जिसके विरोध में 13अप्रैल को अमृतसर के जलियांवाला बाग में सरकार की नीतियों के विरोध में शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया गया था इस सभा स्थल  पर उपस्थित अमृतसर के फौजी कमांडर जनरल डायर ने जनता को आतंकित करने के उद्देश्य से निहत्थे भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया

जिसमें हजारों लोग मारे गए इस हत्याकांड के विरोध में “रविंद्र नाथ टैगोर” ने अपनी नाइट की उपाधि त्याग दी तथा वायसराय की कार्यकारिणी परिषद के सदस्य “शंकर नायर” ने अपना पद त्याग दिया इस हत्याकांड की जांच के लिए “हंटर कमीशन” की नियुक्ति की गई इस समिति में तीन भारतीयों को भी शामिल किया गया था 

5.खिलाफत आंदोलन 

तुर्की का सुल्तान धार्मिक खलीफा था प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात विजेता देश जिसमें इंग्लैंड भी था इंग्लैंड तुर्की को दंडित करना चाहते थे और वहां से खलीफा पद को समाप्त करना चाहता थाइससे मुसलमान नाराज हो गए नवंबर 1919 में दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी इस आंदोलन में अन्य नेताओं ने अपना पूरा समर्थन दिया तथा इसे हिंदुओं मुसलमानों के बीच एकता स्थापित करने का सुनहरा अवसर माना

6.असहयोग आंदोलन 

1 अगस्त 1920 से असहयोग आंदोलन शुरू हो गया था इसी दिन लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का देहांत हो गया था इसके बाद  सितंबर 1920 में कांग्रेस द्वारा कोलकाता में अधिवेशन बुलाया गया जिसमें विदेशी शासन के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने, विधान परिषदों का बहिष्कार करने एवं असहयोग व “सविनय अवज्ञा” आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया गया

इस अधिवेशन की अध्यक्षता “लाला लाजपत राय” ने की थी नागपुर अधिवेशन में सी. आर. दास ने ही असहयोग आंदोलन से संबंधित प्रस्ताव पेश किया  इस आंदोलन के दौरान सबसे पहले गिरफ्तार होने वाले नेता सी. आर. दास तथा उनकी पत्नी बसंती देवी थी रविंद्र नाथ टैगोर ने विदेशी वस्तुओं को जलाए जाने का विरोध किया था इस आंदोलन के दौरान ही गांधी जी ने एक वर्ष में ‘स्वराज’ प्राप्त करने का नारा दिया था | भारत के प्रमुख आंदोलन और घटनाएं |

7.चौरी चौरा कांड 

5 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा में भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला कर आग लगा दी जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए इसलिए गांधी जी ने 12 फरवरी 1922 को गुजरात में बारदोली में बैठक की तथा एक प्रस्तावना के द्वारा इस आंदोलन को वापस ले लिया गांधी जी द्वारा इस आंदोलन को अचानक वापस लेने पर जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस आदि ने आलोचना की थी 

8.स्वराज पार्टी 

असहयोग आंदोलन की विफलता के बाद जनवरी 1923 में इलाहाबाद में सी. आर. दास एवं मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी की स्थापना कर ली सी आर दास इसके अध्यक्ष एवं मोतीलाल नेहरू महामंत्री बनाए गए 1925 में विट्ठलभाई पटेल को सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली का अध्यक्ष निर्वाचित कराने में सफल हुए 

9.साइमन कमीशन 

नवंबर 1927 में ब्रिटिश सरकार द्वारा सन जॉन साइमन की अध्यक्षता में इंडिया स्टेट्यूटरी कमिशन (साइमन कमीशन) की घोषणा की गई लॉर्ड इरविन के सुझाव पर भारतीयों को साइमन कमीशन से बाहर रखा गया इसके सभी सदस्य श्वेत थे इसे ‘व्हाइट मैन कमीशन’ भी कहा जाता है इसका एक कारण यह भी था कि भारतीयों ने इसका विरोध किया था इस समय लाहौर में लाठीचार्ज भी हुआ जिसमें लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी 

नेहरू रिपोर्ट 1928 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई जिसने अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट प्रस्तुत की इस में सेवैधानिक सुधारों का खाका प्रस्तुत किया गया नेहरू रिपोर्ट में डोमिनियन स्टेटस भाषाई आधार पर प्रांतों का गठन ,मौलिक अधिकार, जिसमें महिलाओं को सम्मान अधिकार, पृथक निर्वाचन मंडल, की समाप्ति आदि

सम्मिलित थी इसके बाद 1929 के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया इसी अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर पूर्ण स्वराज को कांग्रेस का लक्ष्य घोषित किया गया 31 दिसंबर 1929 को आधी रात के समय रावी नदी के किनारे भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा फहराया गया जनवरी 1930 को भारत का प्रथम ‘स्वाधीनता दिवस’ घोषित किया गया | भारत के प्रमुख आंदोलन और घटनाएं |

10.सविनय अवज्ञा आंदोलन 

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत 12 मार्च 1930 को गांधी जी की दांडी मार्च के साथ हुई यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के द्वारा अपनाए गए नमक के एकाधिकार के मुद्दे पर शुरू हुआ गांधीजी ने 78 अनुयायियों के साथ मिलकर साबरमती आश्रम से लगभग 375 किलोमीटर दूर स्थित गुजरात के समुद्र तट पर स्थित गांव दांडी में 6 अप्रैल को नमक कानून को भंग किया इस दांडी यात्रा में अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर भी महात्मा गांधी के साथ थे

नमक कानून तोड़ने के लिए जब महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया तो आंदोलन के नेता के रूप में अब्बास तैयब ने उनका स्थान लिया इसके बाद पूरे देश में नमक कानून तोड़ने से संबंधित सत्याग्रह शुरू हो गया तमिलनाडु के तंजौर में समुंदर तट पर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने “त्रिचनापल्ली से वेदारण्यम तक नमक यात्रा” आरंभ की थी इसके बाद “अब्दुल गफ्फार खान”  के नेतृत्व में गठित खुदाई खिदमतगार संगठन ने इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई

खुदाई खिदमतगारो को लालकुर्ती के नाम से भी जाना जाता है मणिपुर में जनजाति समाज के लोगों ने भी सविनय अवज्ञा आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था इस आंदोलन में महिलाओं ने बहुत बड़ी संख्या में भाग लिया था सविनय अवज्ञा आंदोलन में लड़कों की वानर सेना और लड़कियों की मंजरी सेना का गठन किया गया था

11. गांधी इरविन समझौता 

तेज बहादुर एवं एम.आर. जयकर के प्रयासों की वजह से 5 मार्च 1931 को गांधी- इरविन समझौता संपन्न हुआ था ‘सरोजिनी नायडू’ ने गांधी और इरविन को दो महात्मा की संज्ञा दी है इस समझौते को दिल्ली समझौते के नाम से जाना जाता है 29 मार्च 1931 को सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में कांग्रेस का कराची अधिवेशन हुआ था कराची अधिवेशन में कांग्रेस ने मौलिक अधिकारों एवं राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम से संबंधित एक प्रस्ताव पारित किया था 

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