मिल्खा सिंह का जीवन परिचय, मिल्खा सिंह का जन्म, मिल्खा सिंह की इंडियन आर्मी में भर्ती, मिल्खा सिंह का ओलंपिक में हिस्सा, मिल्खा सिंह पर बनी मूवी, मिल्खा सिंह का विवाह, मिल्खा सिंह की मृत्यु
मिल्खा सिंह का जन्म
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 गोविंदपुरा, पंजाब में हुआ था गोविंदपुरा उस समय हिंदुस्तान में ही था पर बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान के हिस्से में चला गया मिल्खा सिंह के पिता लालपुर के एक बहुत ही इज्जत दार किसान थे मिल्खा सिंह की एथलेटिक ट्रेनिंग की शुरुआत उस समय हो गई थी जब वह स्कूल में पढ़ा करते थे वह अपने गांव से 10 किलोमीटर दूर स्कूल जाया करते थे जिस 10 किलोमीटर के सफर में वह कई बार दौड़ कर भी जाया करते थे
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद कत्लेआम मच गया इसलिए बहुत से लोग पाकिस्तान से भारत और बहुत से लोग भारत से पाकिस्तान अपनी अपनी जान बचाने को भाग रहे थे लेकिन मिल्खा सिंह के पिता ने यह फैसला लिया कि वह अपनी धरती अपनी जमीन छोड़कर नहीं जाएंगे कुछ दिनों के बाद ही मिल्खा सिंह के पिता और और भी घर वालों को मिल्खा सिंह के सामने ही मार दिया गया पर मिल्खा सिंह वहां से भाग कर निकल आए और वह हिंदुस्तान आ गए
मिल्खा सिंह की इंडियन आर्मी में भर्ती
हिंदुस्तान आकर उन्हें उन लोगों के साथ दिल्ली में रखा गया जिनके पास अपना घर नहीं था और वही वह अपनी कई महीनों से बिछड़ी बहन से मिले थे माता पिता के अलावा मिल्खा की बहन ही थी जो उनका ख्याल रखती थी कैंप के कुछ दिन के बाद मिल्खा और उनकी बहन को रहने के लिए घर मिल गए थे हिंदुस्तान आने के बाद मिल्खा सिंह ट्रेनों के साथ रेस लगाते थे मिल्खा सिंह बहुत ही फूर्तीले थे और अब “इंडियन आर्मी” जॉइन करना चाहते थे
इंडियन आर्मी में भर्ती देखते हुए मिल्खा सिंह एक के बाद एक लगातार तीन बार रिजेक्ट हुए उन्होंने कभी हार मानना सीखा ही नहीं था चौथी बार के प्रयास में उनका सिलेक्शन ‘इंडियन आर्मी’ में हो गया आर्मी जॉइन करने से पहले भी मिल्खा सिंह ने कटक में 200 और 400 मीटर रेस में हिस्सा लिया था उन्होंने यह रेस जीतकर यहां पर नेशनल रिकॉर्ड बना दिया मिल्खा सिंह आर्मी में पहुंचकर भी खेलों में हिस्सा लेने लगे मिल्खा को दूध पीना बहुत पसंद था इसलिए उन्होंने आर्मी में स्पोर्ट कोटा चुना
आर्मी में अच्छी दौड़ करते देख उन्हें एक सीनियर धावक के द्वारा चैलेंज किया गया मिल्खा सिंह ने यह चैलेंज स्वीकार कर लिया और इस रेस में अपनी जीत हासिल की उनको रेस करता देख सभी हैरान रह गए थे इसके बाद उन्हें एथलीट की स्पेशल ट्रेनिंग के लिए चुन लिया गया था स्पेशल ट्रेनिंग करते हुए मिल्खा सिंह ने अपने आप को बहुत ही मजबूत बना लिया था मिल्खा सिंह ट्रेनिंग इतनी कड़ी किया करते थे कि उनके पसीने से 2 लीटर की बोतल भर जाए
ट्रेनिंग करते हुए कई बार उनके पैरों से खून भी आने लगता था यह उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा था कि उसी दौरान जब पटियाला में एक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ तो वहां उन्होंने 400 मीटर की दौड़ में एक नेशनल रिकॉर्ड बना दिया उन्होंने यह रेस 47 पॉइंट 9 सेकेंड में पूरी कर दी इससे पहले यह रिकॉर्ड 48 सेकंड का था | मिल्खा सिंह का जीवन परिचय |
मिल्खा सिंह का ओलंपिक में हिस्सा
पटियाला में रिकॉर्ड ब्रेकिंग परफॉर्मेंस के बाद मिल्खा सिंह को 1956 में होने जा रही मेलबर्न ओलंपिक में जाने का मौका मिल गया मेलबर्न ओलंपिक मिल्खा सिंह का पहला ओलंपिक था एक्सपीरियंस की कमी की वजह से वहां कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए इस ओलंपिक में हार जाने के बाद मिल्खा सिंह को खुद पर बहुत गुस्सा आया क्योंकि उन्होंने यहां कुछ ऐसी गलतियां की थी जो नहीं करनी चाहिए थी इस हार से सबक लेकर मिल्खा सिंह ने अपने ट्रेनिंग का टाइम और अधिक बढ़ा दिया था
साल 1958 में मिल्खा सिंह ने बड़ा शानदार प्रदर्शन किया उन्होंने एशियन गेम्स में 200 और 400 मीटर दौड़ में “गोल्ड मेडल” अपने नाम किए और 1958 में ही कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने 400 मीटर गोल्ड मेडल जीता कॉमनवेल्थ में उन्होंने पाकिस्तान के अब्दुल खालिद को हराया था और इस हार का उन पाकिस्तानी एथलीट को बहुत दुख हुआ था मिल्खा सिंह को 1960 में एक बार फिर ओलंपिक में खेलने का मौका मिला यह ओलंपिक रोम में हुआ था रोम ओलंपिक में जाने से पहले मिल्खा सिंह ने 80 रेसो में हिस्सा लिया था जिनमें उन्होंने 77 जीती थी इसलिए सबको उम्मीद थी ना सिर्फ भारतीयों को सभी को उम्मीद थी कि मिल्खा सिंह ही है जो यह रेस जीतेंगे रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और एक के बाद एक रेस जीतते हुए फाइनल में पहुंच गए
फाइनल में भी रेस शुरू होने के कुछ ही सेकेंड के बाद मिल्खा सिंह सबसे आगे निकल गए और वहां बहुत नर्वस थे उन्हें लगा कि वह बहुत आगे आ गए हैं इसलिए उन्होंने पीछे मुड़कर देखा इस प्रिंटिंग में 1-1 पल बहुत मायने रखते है मिल्खा के पीछे देखते ही उनकी स्पीड थोड़ी सी कम हुई और 3 एथलीट उनसे आगे निकल गए मिल्खा सिंह यह फाइनल रेस भी हार चुके थे जिसका अफसोस उन्हें पूरी जिंदगी रहा था | मिल्खा सिंह का जीवन परिचय |
पाकिस्तान द्वारा आमंत्रित
साल 1960 में मिल्खा सिंह को पाकिस्तान की तरफ से एक चैलेंज की तरह आमंत्रित किया गया मिल्खासिंह ने पाकिस्तान जाने से मना कर दिया क्योंकि यहां उनके मां बाप की कतल की दर्दनाक यादें जुड़ी हुई थी मिल्खा सिंह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे और उस समय के प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने मिल्खा सिंह से बोला कि वक्त हर मरहम भर देता है, आज देश के लिए तुम इस प्रतियोगिता में हिस्सा लो प्रधानमंत्री की बात मानकर मिल्खा सिंह पाकिस्तान जाने को तैयार हो गए
इंडिया और पाकिस्तान का आज की क्रिकेट की तरह तब का यह हाई टेंशन में था पाकिस्तान की तरफ से वही एथलीट इस रेस में हिस्सा ले रहे थे जिन्हें 1958 कॉमनवेल्थ गेम्स में मिल्खा सिंह ने हराया था पाकिस्तान एथलीट अब्दुल खान का इरादा उस हार का बदला लेने का था जो 2 साल पहले मिल्खा सिंह से हुई थी जब वह रेस शुरू हुई तो मिल्खा सिंह एक झटके में ही सबसे आगे निकल गए
उनके आसपास कोई भी नहीं था उनकी रफ्तार को वहां बैठे सभी लोग देखकर हैरान रह गए पाकिस्तान एथलीट अब्दुल खान इस रेस के खत्म होने तक पीछे रह गए थे मिल्खा सिंह की रफ्तार देखकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल आयूब खान ने मिल्खा सिंह को मेडल पहन आते हुए कहा आज तुम दौड़े नहीं बल्कि उड़े हो “आयुब खान” ने ही उनको फ्लाइंग सिख नाम दिया
मिल्खा सिंह पर बनी मूवी
मिल्खा सिंह की जिंदगी पर एक मूवी भी बन चुकी है जिसका नाम “भाग मिल्खा भाग है” जब मिल्खा सिंह के पिताजी का कत्ल हुआ तब उनके यही शब्द थे जो इस मूवी का नाम है मिल्खा सिंह की जिंदगी पर बनी यह मूवी हिंदुस्तान की सबसे बड़ी मोटिवेशनल मूवी में से एक है मिल्खा सिंह ने जब ‘भाग मिल्खा मूवी ‘के लिए अपने पूरी जिंदगी की कहानी बताई तो उन्होंने डायरेक्टर “ओम प्रकाश” मेहरा से ₹1 फेस चार्ज की थी मिल्खा सिंह की लाइफ पर मूवी तो बनी है पर इसके अलावा उनकी लाइफ पर एक किताब भी लिखी हुई है
इस किताब का नाम ‘द रेस ऑफ माय लाइफ’ है जो मिल्खा सिंह और उनकी बेटी ने मिलकर लिखी है मिल्खा सिंह की इच्छा हमेशा यह रही कि जो साल 1960 “रोम ओलंपिक” में उनके हाथ से गोल्ड मेडल चला गया था अब उसे कोई भारतीय एथलीट लेकर आए लेकिन रनिंग में तो नहीं पर बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा इंडिया के लिए पहला और एकमात्र गोल्ड मेडल लेकर आए थे | मिल्खा सिंह का जीवन परिचय |
मिल्खा सिंह का विवाह
मिल्खा सिंह की मुलाकात साल 1960 में एक राष्ट्रीय वॉलीबॉल प्लेयर निर्मल कोर सी हुई थी जिनसे साल 1962 में उन्होंने शादी कर ली मिल्खा सिंह की तीन बेटियां और एक बेटा है जिनका नाम “जीव मिल्खा सिंह” है जीव मिल्खा सिंह एक जाने-माने गोल्फ प्लेयर हैं अभी उनकी उम्र 49 साल है साल 1983 में मिल्खा सिंह को पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया मिल्खा सिंह के पास बहुत से मेडल और अवार्ड हैं उन्होंने अपने सारे मेडल देश को समर्पित कर दिए जो पहले दिल्ली में रखे थे और बाद में वह मेडल पटियाला के एक म्यूजियम में रख दिए गए
मिल्खा सिंह की मृत्यु
18 जून 2021 को मिल्खा सिंह की मृत्यु करोना के कारण चंडीगढ़ में हुई थी 91 साल की उम्र में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी मिल्खा सिंह की मृत्यु के कुछ दिनों बाद ही इनकी पत्नी निर्मल भी करोना के कारण अपनी जिंदगी की जंग हार गई थी उस समय उनकी आयु लगभग 85 वर्ष थी मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया था अंतिम संस्कार के दौरान कई बड़े नेता मौजूद थे | मिल्खा सिंह का जीवन परिचय |