देवी प्रसाद रॉय का जीवन परिचय

देवी प्रसाद रॉय का जीवन परिचय, देवी प्रसाद राय चौधरी का जन्म, देवी प्रसाद राय के प्रमुख चित्र , देवी प्रसाद राय को प्राप्त सम्मान, देवी प्रसाद राय की मृत्यु 

देवी प्रसाद रॉय का जीवन परिचय 

देवी प्रसाद राय के कार्यों को सरकारी संग्रहालय चेन्नई, नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली, जगमोहन पैलेस, सालारजंग संग्रहालय हैदराबाद ,त्रावणकोर गैलरी केरल में प्रदर्शित किया गया है देवी प्रसाद के चित्रों में टीशियन के चित्रों जैसी अनुभूति होती है देवी प्रसाद राय चौधरी के कई शिष्यों ने कला के क्षेत्र में अपना झंडा बुलंद किया है इन शिष्यों में थे निरोध मजूमदार, प्रदोष दासगुप्ता ,परितोष सेन 

देवी प्रसाद राय चौधरी का जन्म 

देवी प्रसाद चौधरी का जन्म रंगपुर जिले के ताज हॉट पूर्वी बंगाल में 15 जून 1899 ईस्वी में हुआ था वर्तमान में यह जगह बांग्लादेश में है यह संपन्न जमींदार घराने से संबंधित थे और इनका बचपन से ही कला के प्रति रुझान था जिसे देखते हुए इन्हें 1914 ईस्वी में अवनींद्र नाथ टैगोर के पास कला शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेजा गया इसके बाद देवी प्रसाद ने हिरण में चौधरी के कला स्टूडियो में मूर्ति कला की बारीकियां भी सीखी थी और जल्द ही अवनींद्र नाथ टैगोर के प्रतिभाशाली शिष्यों में शामिल हो गए थे

देवी प्रसाद राय चौधरी मूर्तिकार तथा चित्रकार दोनों होने के साथ पोट्रेट पेंटिंग, जल रंग, पैनल पेंटिंग, वाश तकनीक तथा जापानी तकनीक से सिल्क पर चित्रांकन भी किया करते थे देवी प्रसाद एवं अवनींद्र नाथ के चित्रों में इतनी समानता थी कि अंतर कर पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता था सन 1925 ईस्वी के आसपास में देश के प्रथम कोटि के शिल्पी माने जाने लगे थे देवी प्रसाद राय ने इटालियन शिल्पी  से पाश्चात्य पद्धति में तेल रंगों में चित्र बनाना सीखा था

उनका तेल रंग का सबसे प्रसिद्ध चित्र है “दुर्गा पूजा यात्रा”देवी प्रसाद राय ने प्रारंभ में वाश तकनीक से चित्र बनाया फिर यथार्थवादी शैली में व्यक्ति चित्रण और फिर बाद में रोडिन व बाडर की मूर्ति कला से प्रभावित होकर मिट्टी व प्लास्तर में मूर्तियां बनाने लगे देवी प्रसाद राय चौधरी को डी पी राय चौधरी के नाम से भी जाना जाता है यह मूर्तिकार के रूप में ज्यादा प्रसिद्ध हुए देवी प्रसाद के मूर्ति शिल्प पर पाश्चात्य कलाकार “रोंदा” और “बोरदेले” का प्रभाव पड़ा था | देवी प्रसाद रॉय का जीवन परिचय |

 देवी प्रसाद राय के प्रमुख चित्र 

देवी प्रसाद राय के कुछ प्रमुख चित्र हैं जैसे कि- तूफान के बाद, पुल, दुर्गा पूजा यात्रा, ग्रीन एंड गोल्ड, पुजारिन ,भूटिया औरत, तिब्बत की बालिका,नेपाली लड़की, लेपचा कुमारी, कुतूहल आदि देवी प्रसाद राय ने व्यक्ति चित्रों में रविंद्र नाथ टैगोर और ओसी गांगुली का बनाया देवी प्रसाद ने मूर्ति शिल्प के माध्यम से दीन हीन मजदूरों का संघर्षपूर्ण जीवन और उनकी विषम परिस्थितियों की कितने ही समस्याओं को छुआ उनकी प्रसिद्ध कांस्य प्रतिमा “श्रम की विजय” में संघर्ष और कसमकास को प्रदर्शित किया

चेन्नई में समुंदर किनारे देश का प्रथम दिवस मनाया गया था “श्रम की विजय” शिल्प में देवी प्रसाद चौधरी ने चार श्रमिकों को अलग-अलग मुद्रा में बड़ी सी चट्टान को लकड़ी की बलियों की सहायता से हटाने का प्रयास करते हुए दिखाया है इस शिल्प में मानव शक्ति व गति को प्रदर्शित करने में भाव व शरीर की मांसपेशियों का सुंदर चित्रण किया गया है वर्तमान में यह मूर्ति शिल्प राष्ट्रीय आधुनिक संग्रहालय नई दिल्ली में सुरक्षित है इस प्रकार अन्य मूर्ति शिल्प ‘जब शीत ऋतु आती है’, सड़क बनाने वाले, शहीद स्मारक, स्वतंत्रता समारोह आदि में उनका उदार एवं करुणा का भाव झलकता है| देवी प्रसाद रॉय का जीवन परिचय |

देवी प्रसाद राय को प्राप्त सम्मान 

देवी प्रसाद राय इंडियन सोसायटी ऑफ आर्ट में शिक्षक भी थे देवी प्रसाद राय लगभग 30 वर्ष तक मद्रास स्कूल ऑफ आर्ट के प्राचार्य रहे थे इसके बाद सन् 1955 में जापान के टोक्यो शहर में आयोजित यूनेस्को कला सेमिनार का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के फेलो एवं संस्थापक अध्यक्ष भी रहे थे रविंद्र नाथ भारती विश्वविद्यालय द्वारा डि.लीट से सम्मानित किया गया

डी पी राय चौधरी को भारत सरकार द्वारा 1958 ईस्वी में “पदम भूषण” से सम्मानित किया गया था डीपी चौधरी ने महान हस्तियों की प्रतिमा भी बनाई जिनमें पारसी ब्राउन, जगदीश चंद्र बोस, एनी बेसेंट ,महात्मा गांधी और मोतीलाल नेहरू आदि शामिल हैं देवी प्रसाद का प्रमुख चित्र “शिल्प शहीद स्मारक” की स्थापना 1956 ईस्वी में पटना सचिवालय के बाहर की गई थी

इसमें 7 युवाओं को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के प्रयास में अपने प्राणों का बलिदान करते दिखाया गया है “भारत छोड़ो आंदोलन” 1942 के दौरान पटना सचिवालय पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के संकल्प के साथ एक जुलूस आगे बढ़ रहा था तभी अंग्रेजों ने उस पर गोली चला दी और इस घटना में 7 युवक शहीद हो गए देवी प्रसाद ने इस घटना को मूर्ति शिल्प में जीवित कर दिया इस शिल्प में प्रथम युवक राष्ट्रीय ध्वज लिए आगे बढ़ रहा है एक युवक घायल अवस्था में गिरते हुए तथा अन्य युवकों को देशभक्ति से ओतप्रोत आगे बढ़ते हुए दिखाया गया है | देवी प्रसाद रॉय का जीवन परिचय |

देवी प्रसाद राय की मृत्यु 

देवी प्रसाद राय चौधरी ने 1956 ईस्वी में महात्मा गांधी की प्रतिमा बनाई थी स्वतंत्रता स्मारक मूर्ति शिल्प को 1972 ईस्वी में बनाया जो पटेल मार्ग नई दिल्ली में स्थापित है इसमें अनेकता में एकता को दिखाया गया है इसमें कुल 11 मानव मूर्तियां है और सबसे आगे गांधी जी की प्रतिमा है देवी प्रसाद राय चौधरी की मृत्यु 15 अक्टूबर 1975 ईस्वी में कोलकाता हुई थी देवी प्रसाद राय एक मूर्तिकार होने के साथ-साथ एक पहलवान भी थे देवी प्रसाद चौधरी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे उनमें चित्र, शिल्प ,साहित्य, संगीत आदि विविध कलाओं का संगम बसा था | देवी प्रसाद रॉय का जीवन परिचय |

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