गुजरी महल का इतिहास , गुजरी महल का निर्माण , फिरोज शाह द्वारा बनाई गई इमारत
गुजरी महल का इतिहास
फिरोजशाह तुगलक1351 ईसवी में दिल्ली की गद्दी पर बैठा फिरोजशाह तुगलक गयासुद्दीन तुगलक के छोटे भाई रज्जब का पुत्र था यह इतिहास में अपने निर्माण कार्यों के लिए प्रसिद्ध है इसके द्वारा गठित विशेष विभाग दारुल सफा ,दीवाने खैरात, गुप्तकाल दफ्तर ,दीवानेबदगान आदि प्रसिद्ध है फिरोज शाह ने फिरोजाबाद, फिरोजपुर ,हिसार (हरियाणा), फिरोजा, जौनपुर (जोना खान की याद में)आदि शहर बनवाए थे
फिरोज शाह का राज्याभिषेक सिंधु के तट पर थट्टा में हुआ था फिरोज शाह ने ‘मलिक मकबूल’ को “खाने जहां” की उपाधि प्रदान की वह अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया फिरोज शाह का शौकीन था इसके काल में दासो की संख्या करीब एक लाख 80 हजार थी इसलिए उन्होंने अपने दासो के लिए ‘दीवान ए बंदगान’ नामक विभाग की स्थापना की थी फिरोज शाह की न्याय व्यवस्था इस्लामिक नियमों पर आधारित थी वह केवल सुन्नी मुसलमानों को ही उच्च पदों पर नियुक्त करता था
फिरोजशाह तुगलक नहरों का जाल बिछाने के लिए भी प्रसिद्ध है उड़ीसा में पुरी के “जगन्नाथ मंदिर” को फिरोजशाह तुगलक ने 1360 में ध्वस्त किया था नगरकोट के प्रसिद्ध “ज्वालामुखी मंदिर” को फिरोजशाह तुगलक ने 1361 में ध्वस्त किया था फिरोजशाह तुगलक सश ज्ञानी नामक सिक्का चलाया था फिरोजशाह तुगलक ने “ताशे घड़ियाल नामक जल घड़ी” का निर्माण करवाया था इन्होंने अनुवाद विभाग की स्थापना की थी
इन्होंने सिहासन पर बैठने के बाद 24 कष्टप्रद टैक्स को समाप्त कर दिया और उनके स्थान पर केवल चार कर लगाए- जजिया कर, जकात कर, खराज कर, खम्स ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाने वाला फिरोज शाह एकमात्र सुल्तान था फिरोजशाह अपनी आत्मकथा “तुजुक- ए- फिरोजशाही” लिखने वाला एकमात्र सुल्तान था इन्होंने मेरठ तथा टोपरा से अशोक के अभिलेखों को दिल्ली में स्थानांतरित किया था हेनरी ‘एलफिंस्टन’ ने फिरोजशाह तुगलक को सल्तनत युग अकबर कहा है फिरोजशाह तुगलक ने सरकारी पदों को वंशानुगत बनाया था | गुजरी महल का इतिहास |
गुजरी महल का निर्माण
गुजरी महल भारत के हरियाणा राज्य के हिसार शहर में स्थित है 1354 में दिल्ली के सम्राट फिरोजशाह तुगलक ने अपनी प्रेमिका गुजरी के लिए गुजरी महल बनवाया था फिरोज की मां हिंदू थी और पिता मुसलमान थे फिरोजशाह तुगलक ने भारत देश पर 37 सालों तक राज किया था फिरोज खान ने पूरे उत्तर भारत में भवनों, महलों किलो,शहरों का जाल बिछाया था उस समय हिसार की जमीन रेतेली और ऊंची नीची थी और चारों तरफ घना जंगल था जिसमें एक कबीला था और कबीले के पास पीर का डेरा था जहां लोग दूध देने आते थे और वही से पानी लेते थे
फिरोज उस जंगल में अक्सर शिकार करने के लिए जाया करता था 1 दिन फिरोजशाह तुगलक शिकार करते हुए डेरे के पास आ पहुंचा उस दिन उन्होंने पहली बार गुजरी को देखा और देखते ही फिरोजशाह को गुजरी से प्रेम हो गया इसके बाद फिरोजेशाह शिकार के बहाने हर रोज जंगल में डेरे में आता था कुछ समय के बाद बादशाह ने डेरे में गुजरी के विवाह का प्रस्ताव भेजा और गुजरी ने वह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गुजरी ने बादशाह के सामने शर्त रखी कि वह अपने बूढ़े मां बाप को छोड़कर दिल्ली नहीं जाएगी इसके बाद बादशाह ने गुजरी के लिए हिसार में गुजरी महल बनवाया फिरोजशाह यमुना नदी से नहर लेकर आया और हिसार शहर को बसाया था | गुजरी महल का इतिहास |
फिरोज शाह द्वारा बनाई गई इमारत
फिरोज शाह ने 1200 फलों के बाग लगवाए थे फिरोज शाह ने व्यापार को बढ़ाने के लिए टैक्स बंद किया और बहुत सारे हॉस्पिटल बनवाए थे फिरोज शाह ने विधवा औरतों ,असहाय औरतों और अनाथ लड़कियों के लिए एक “दीवानेमुस्लिम” संस्था भी बनवाई थी गुजरी महल में एक मस्जिद भी है जिसका नाम लाट की मस्जिद है यह मस्जिद 20 फुट ऊंची बलुआ पत्थर से बनाई गई है आज भी गुजरी महल में दीवाने आम मौजूद है इस ‘दीवाने आम’ में बादशाह कचहरी लगाता था इस मस्जिद में एक प्रेम महल भी है यह महल भले ही आगरा के प्रेम महल जैसा नहीं है लेकिन फिर भी दोनों की निव प्रेम पर आधारित है
यह महल 2 सालों में बनकर पूरा हुआ था आगरा के ताजमहल और गुजरी महल में एक असमानता यह है कि आगरा का ‘ताजमहल’ एक मकबरा है और ‘गुजरी महल’ गुजरी के रहने के लिए बनाया गया था इस महल के खंडहर आज भी यह दर्शाते हैं कि यह महल कभी एक भव्य इमारत हुआ करता था गुजरी महल एक मुस्लिम शासक द्वारा हिंदू ग्वालियन के लिए तोहफा था हिसार शहर एक किले के अंदर एक दीवारों के बंदोबस्त के बीच बसा था जिसमें 4 दरवाजे थे दिल्ली गेट, मोरी गेट, नागोरी गेट और तलाकी गेट दीवान- ए -आम के पूर्वी हिस्से में स्थित कोठी फिरोजशाह तुगलक का महल बताया जाता है
इस इमारत का निचला हिस्सा आज भी महल जैसा दिखाई देता है फिरोज शाह तुगलक महल के बगल में लाट की मस्जिद है फिरोज शाह ने लगभग 300 नगरों की स्थापना की किंतु फिरोजशाह को दिल्ली में स्थित कोटला नगर बहुत पसंद था इसने इसे यमुना नदी के किनारे स्वयं स्थापित कराया नंबर 1388 में फिरोज शाह की मृत्यु हो गई फिरोज शाह की मृत्यु के बाद तुगलक वंश का पतन प्रारंभ हो गया
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