जगद्गुरु कृपालु महाराज का जीवन परिचय

जगद्गुरु कृपालु महाराज का जीवन परिचय, श्री कृपालु जी महाराज की महिमा, जगद्गुरु कृपालु महाराज का जन्म, प्रेम मंदिर का निर्माण, कृपालु महाराज का निधन 

जगद्गुरु कृपालु महाराज का जीवन परिचय 

कृपालु महाराज का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था जगदगुरू श्री कृपालुजी महाराज का कोई गुरु नहीं है और वे स्वयं जगतगुरु है यह पहले जगतगुरु है जिन्होंने एक भी शिष्य नहीं बनाया ,किंतु इनके लाखों अनुयाई है जगदगुरू श्री कृपालुजी महाराज वर्तमान काल में मूल जगतगुरु है भारत के इतिहास में इनके पूर्व लगभग 3000 वर्ष में चार और मौलिक जगतगुरु हो चुके हैं किंतु श्री कृपालु जी महाराज के जगद्गुरु होने में एक अनूठी विशेषता यह है कि उन्हें “जगतगुरुत्तम” की उपाधि से विभूषित किया गया है | जगद्गुरु कृपालु महाराज का जीवन परिचय |

श्री कृपालु जी महाराज की महिमा 

श्री कृपालु महाराज एक सुप्रसिद्ध हिंदू अध्यात्मिक प्रवचन कर्ता थे वह अपने प्रवचनों में समस्त वेदों, उपनिषदों, पुराणों, गीता, वेदांत सूत्रों आदि के खंड अध्याय आदि सहित संस्कृत मंत्रों की संख्या क्रम तक बतलाते थे जो न केवल उनकी विलक्षण स्मरण शक्ति का द्योतक था बल्कि उनके द्वारा कंठस्थ सारे वेद, ब्राह्मणों, और श्रुतियो ,स्मृतियों विभिन्न ऋषियों और शंकराचार्य जगतगुरुओ द्वारा विरचित टिकाओ आदि पर उनके अधिकार और अद्भुत ज्ञान को भी दर्शाता था.

वृंदावन और मथुरा को राधा कृष्ण की पूजा का केंद्र माना जाता है वृंदावन में भगवान कृष्ण का लीला स्थान पर यह राधा कृष्ण मंदिर है जहां कृष्ण के उन भक्तों के लिए जाना आवश्यक है जो 84 कोस परिक्रमा यात्रा को पूरा करते हैं यह मंदिर सदियों पुराना है और पहला भारतीय मंदिर है जो इस दिव्य युगल और उनकी अष्ट सखियों को समर्पित है.

राधा की इन आठ सखियों का वर्णन वेद पुराणों और श्रीमद भगवत गीता के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है इस मंदिर कोकहा जाता है- श्री राधा रास बिहारी अष्ट सखी मंदिर और  भगवान कृष्ण और राधा रानी की दिव्य रासलीला का स्थान है यह श्री बांके बिहारी मंदिर के निकट स्थित है | जगद्गुरु कृपालु महाराज का जीवन परिचय |

जगद्गुरु कृपालु महाराज का जन्म

 जगद्गुरु कृपालु महाराज का जन्म 6 अक्टूबर 1922 को प्रतापगढ़ जिले के मनगढ़ में हुआ था इनका पूरा नाम राम कृपालु त्रिपाठी था कृपालु महाराज की ख्याति आज भी देश विदेश तक फैली हुई है कृपालु महाराज का जन्म “भगवती देवी” और “ललिता प्रसाद” की संतान के रूप में हुआ था इनके माता-पिता ने इनका नाम राम कृपालु रखा था रामकृपालु त्रिपाठी ने स्कूल के हाई स्कूल से सातवीं तक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए मध्यप्रदेश चले गए थे 14 वर्ष की आयु में कृपालु महाराज ने तृप्त ज्ञान प्राप्त कर लिया था इन्होंने अपने ननिहाल में ही अपनी पत्नी के साथ ग्रस्त जीवन की शुरुआत की थी और राधा कृष्ण की भक्ति में लीन हो गए इनके प्रवचन को सुनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु मनगढ़ आने लगे थे इसके बाद इनकी ख्याति देश के अलावा विदेश तक जाने लगी इनके परिवार में इनके दो बेटे थे घनश्याम और बालकृष्ण त्रिपाठी इनके अलावा उनकी तीन बेटियां भी है इन्होंने अपने दोनों बेटों की शादी कर दी जो कि दिल्ली में रहकर ट्रस्ट का सारा कारोबार संभालते हैं इनकी तीनों बेटियों ने अपने पिता की राधा कृष्ण भक्ति को देखते हुए विवाह करने से मना कर दिया और कृपालु महाराज की सेवा में लग गई कृपालु महाराज जगत गुरु कृपालु परिषद के संस्थापक थे इन्होंने हिंदू धर्म की शिक्षा और योग के लिए पांच केंद्रों की स्थापना की थी जो कि एक केंद्र अमेरिका में स्थापित है वाराणसी की काशी विद्युत परिषद ने 34 वर्ष की उम्र में मकर सक्रांति के मौके पर 14 जनवरी 1957 को “जगद्गुरु” की उपाधि प्रदान की थी | जगद्गुरु कृपालु महाराज का जीवन परिचय |

प्रेम मंदिर का निर्माण 

भारत में मथुरा के समीप वृंदावन में कृपालु महाराज ने प्रेम मंदिर का निर्माण करवाया था इस मंदिर के निर्माण में 11 वर्ष का समय लगा था और इसे बनाने में 100 करोड की लागत लगी थी इस मंदिर के निर्माण में इटालियन करारा संगमरमर पत्थर का निर्णय किया गया है इस मंदिर को उत्तर प्रदेश और राजस्थान के 1000 शिल्पकारों ने तैयार किया था इस मंदिर का शिलान्यास स्वयं कृपालु महाराज नहीं कर पाए थे यह मंदिर प्राचीन भारतीय शिल्प कला का एक बहुत सुंदर नमूना है मंदिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है सभी वर्ण जाति तथा देश के लोगों के लिए हमेशा खुले रहने वाले इस के दरवाजे सभी दिशाओं में खुलते हैं मुख्य प्रवेश द्वार पर 8 मयूरो के नकाशीदार तोरण है एवं संपूर्ण मंदिर की बाहरी दीवारों को राधा-कृष्ण की लीलाओं से सजाया गया है मंदिर में कुल 94 स्तंभ है जो राधा कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से सजाए गए हैं अधिकांश स्तंभों पर गोपियों की मूर्तियां अंकित है जगद्गुरु कृपालु महाराज ने एक वैश्विक हिंदू संगठन का गठन भी किया था जिसके पांच आश्रम पूरे विश्व में स्थापित है कृपालु महाराज को कई नामों से जाना जाता है जैसे -कृपालु महाराज ,राम कृपालु त्रिपाठी ,परमहंस जी, जगद्गुरु महाराज जी कृपालु महाराज ने अपने जन्म स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण भी करवाया था जिसे आज ‘भक्ति मंदिर मनगढ़’ के नाम से जाना जाता है कृपालु महाराज ने अक्टूबर 1996 में इस मंदिर का शिलान्यास किया था और 2005 में यह मंदिर बनकर पुरन तैयार हो गया था जो कि आज पूरे प्रतापगढ़ के लिए गौरव की बात है 

कृपालु महाराज का निधन 

15 नवंबर 2013 को कृपालु महाराज 91 वर्ष की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली थी  कृपालु महाराज प्रतापगढ़ के आश्रम में फिसल गए थे जिसके कारण उनके सिर में बहुत अधिक चोट लगी थी चोट लगने के कारण वह कोमा में चले गए थे जिसके बाद उन्हें गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहां उनका ऑपरेशन हुआ था | जगद्गुरु कृपालु महाराज का जीवन परिचय |

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