स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय और उनकी यात्राएं
किसी भी देश को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में उस देश के युवाओं का बहुत बड़ा हाथ होता है जिस देश के युवा पढ़े-लिखे व सक्षम होते हैं वह देश हमेशा ही तेजी से तरक्की करता है इसी का उदाहरण आप अमेरिका जापान चाइना और रसिया जैसे देशों का ले सकते हैं क्योंकि इन सभी देशों में पढ़ाई के ऊपर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है और इसी कारण यह सभी देश दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले में ज्यादा तेजी की तरक्की करते हैं.
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इन सभी देशों की युवा अब ही पढ़ाई के ऊपर जोर देने लगे हैं बल्कि यह सभी देश बहुत समय पहले से ही अपने शिक्षा और दूसरी ऐसी चीजों के ऊपर जोर दे रहे हैं जो कि एक देश को तेजी से विकसित करने में मदद करती है पिछले कुछ सालों में भारत में भी बहुत सारे ऐसे कार्य किए गए हैं.जिससे भारत को विकास की राह पर चलने में मदद मिली है.
भारत भी पिछले लगभग 3 से 4 दशकों में दुनिया के उन देशों में शामिल हुआ है जोकि तक की तेजी से तरक्की कर रहे हैं क्योंकि भारत में भी कुछ ऐसे प्रसिद्ध लोग पैदा हुए जिन्होंने भारत को एक सही राह पर चलाने के लिए अपने जीवन को निछावर कर दिया और भारत को तरक्की की ओर ले गए एक समय था जब भारत अंग्रेजों का गुलाम होता था.
लेकिन भारत के हर नौजवान ने अंग्रेजों से आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और जब भारत आजाद हुआ तब भारत में कई ऐसे महान नेता व व्यक्ति सामने आए जिन्होंने भारत के उज्जवल भविष्य के लिए बहुत सारे बलिदान दिए इस ब्लॉग में हम आपको ऐसे ही एक सख्स के बारे में बताने वाले हैं.
जिन्होंने भारत को विकास की राह पर तेजी से दौड़ आने के लिए अपने पूरे जीवन को लगा दिया इसीलिए इस ब्लॉग में हम आपको स्वामी विवेकानंद के जीवन परिचय के बारे में बताने वाले हैं इस ब्लॉग में हम आपको स्वामी विवेकानंद जी ने भारत के लिए दिए गए महत्वपूर्ण बलिदान और उनके कार्यों के बारे में बताने वाले है.
स्वामी विवेकानंद
दुनिया के हर देश में कोई ना कोई ऐसा शख्स जरूर पैदा होता है जिसको उसके देशवासी किसी भगवान से कम नहीं मानते क्योंकि वे लोग अपने देश की तरक्की उन्नति और खुशहाली के लिए अपने पूरे जीवन को लगा देते हैं इसलिए वे लोग अक्सर मरने के बाद भी अपने देश के लोगों के दिलों में जिंदा रहते हैं ऐसे ही भारत में भी बहुत सारे महान क्रांतिकारी, देशभक्त वह समाजसेवी पैदा हुए हैं.
जिन्होंने भारत के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है उन्ही में से स्वामी विवेकानंद भी एक ऐसे ही इंसान हैं जिन्होंने भारत के लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित कर दिया स्वामी विवेकानंद ने ऐसे बहुत सारे कार्य किए जो कि आज भी भारत के लोगों के दिलों में याद रहते हैं स्वामी विवेकानंद एक ऐसे इंसान थे जो कि हमेशा भारत की खुशहाली और तरक्की के लिए ही काम करते थे.
स्वामी विवेकानंद एक बहुत बड़ी गुरु भक्त और सन्यासी थे भगवान को पाने की चाहत रखते हैं स्वामी विवेकानंद नहीं दुनिया के बहुत सारे देशों में यात्राएं की और अपने जीवन में उन्होंने बहुत सारी कठिनाइयों का भी सामना किया लेकिन स्वामी विवेकानंद एक ऐसे इंसान थे जो कि हर कठिनाई का डटकर सामना करते थे और स्वामी विवेकानंद एक बहुत बड़े ज्ञानी सन्यासी थे. उनको बहुत सारी चीजों के बारे में ज्ञान था.
इसी के कारण वे भारत के साथ-साथ दूसरे देशों में भी प्रसिद्ध हुए और स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति को दुनिया के हर एक कोने तक फैलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया स्वामी विवेकानंद ही वो इंसान थे जिन्होंने हिंदू धर्म को दूसरे देशों तक पहुंचाने में मदद की और दूसरे देशों में जाकर हिंदू धर्म के महत्व के बारे में बताया स्वामी विवेकानंद ने अपने बहुत ही छोटे से जीवन काल में बहुत बड़े-बड़े कार्य किए
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में कोलकाता के एक परिवार में हुआ उनके परिवार में उनके 9 भाई बहन थे स्वामी विवेकानंद के पिता जी का नाम विश्वनाथ दत्ता था जो कि पेशे से एक वकील थे उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था जो कि घरेलू धार्मिक महिला थी स्वामी विवेकानंद का पूरा नाम नरेंद्र नाथ विश्वनाथ दत्ता था.
बचपन में विवेकानंद को नरेंद्र नाम से ही पुकारा जाता था उनके परिवार में उनके दादाजी भी थे जो कि संस्कृत और फारसी के बहुत बड़े विद्वान थे स्वामी विवेकानंद ने सिर्फ 25 साल की उम्र में ही अपने घर परिवार को त्याग दिया और एक सन्यासी का जीवन अपना लिया स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बहुत शरारती बच्चे हुआ करते थे हालांकि भी पढ़ने लिखने में बहुत तेज थे.
उनकी बुद्धि घर में दूसरे बच्चों के मुकाबले में ज्यादा तेज थी स्वामी विवेकानंद जी को बचपन में ही उपनिषद भागवत गीता रामायण महाभारत जैसी चीजों के बारे में पढ़ना व सुनना पसंद था स्वामी विवेकानंद के पुरे परिवार में धार्मिक माहौल था लेकिन बचपन में ही उनको ईश्वर को पाने व उनको जानने की इच्छा थी.स्वामी विवेकानंद बचपन से ही खेलने कूदने योग और संगीत शास्त्र में बहुत दिलचस्पी रखते थे.
इसके अलावा उनको दर्शन धर्म इतिहास विज्ञान कला साहित्य और सामाजिक विश्व के बारे में भी पढ़ना बहुत अच्छा लगता था और वे इन सभी विषयों में अव्वल रहते थे स्वामी विवेकानंद ने 1871 में ईश्वरचंद्र विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन में दाखिला लिया और उसके बाद में वे प्रेज़िडेंसी कॉलेज में पहले नंबर पर आए इस कॉलेज में नंबर एक पर आना एक बहुत बड़ा अचीवमेंट माना जाता है.
इसके अलावा स्वामी विवेकानंद जी को अलग-अलग प्रकार की दूसरी पुतके पढ़ना भी पसंद था विवेकानंद ने 1884 कला स्थानक में अपनी डिग्री को प्राप्त किया.जब स्वामी विवेकानंद सन्यासी का जीवन अपना आया तब उसके बाद में भी पैदल ही पूरे भारत की यात्रा पर निकल पड़े और इस समय उन्होंने गेरुआ रंग के कपड़े पहने थे.
स्वामी विवेकानंद की दूसरे देशों की यात्राएं
इसके अलावा भी स्वामी विवेकानंद ने भारत के अलावा भी दूसरे देशों में कई यात्राएं की जिनमें 21 मई 1893 में उन्होंने जापान की यात्रा शुरू की जिसमें जापान के कई बड़े शहरों नागासाकी टोक्यो जैसे शहरों में घूमे इसके बाद उन्होंने चीन कनाडा अमेरिका और शिकागो की यात्रा की शिकागो में एक बहुत बड़े सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था और भारत की तरफ से स्वामी विवेकानंद को इसी सम्मेलन में भाग लेना था.
इसी सम्मेलन में यूरोप के बहुत सारे भारतीय लोग इकट्ठा हुए हैं और उसी सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद को बोलने का मौका मिला वहीं से स्वामी विवेकानंद के भाषणों ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई क्योंकि जब भी स्वामी विवेकानंद भाषण देते थे तब उनके भाषण लोगों को इतने पसंद आते थे.कि पूरी जनता उनके भाषण को बहुत ही शांतिपूर्वक तरीके से सुनती है.
जब स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण को शुरू किया तो सम्मेलन में मौजूद बड़े-बड़े विद्वान भी चकित रह गए इसके बाद 3 वर्षों तक स्वामी विवेकानंद अमेरिका में ही रहे उन्होंने भारतीय लोगों को ज्ञान दिया क्योंकि स्वामी विवेकानंद को अपने धर्म अपनी संस्कृति अपने इतिहास के बारे में बहुत ज्ञान था और वे हिंदू धर्म को दुनिया के दूसरे देशों में अपनी पहचान दिलाना चाहते थे.
उन्होंने हिंदू धर्म के बारे में खुलकर सभी को बताया स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में कई बड़े-बड़े कार्य किए और भारत और भारतीयता को विश्व में एक पहचान दिलाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है इसके अलावा उन्होंने और भी बहुत सारी यात्राएं की.इसके अलावा स्वामी विवेकानंद नहीं दुनिया की बहुत सारी अलग-अलग देशों में जाकर हिंदू धर्म की बारे में लोगों को बताया.
उसके बाद में 8 जुलाई 1902 में स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु हो गई और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए लेकिन स्वामी विवेकानंद आज भी हमारे देश के लोगों के दिलों में जिंदा है उन्होंने हमारे देश हमारे धर्म और हमारी भविष्य के लिए जो किया वह शायद और कोई नहीं कर पाता वे एक बहुत बड़े सन्यासी ज्ञानी और महान इंसान थे
F&Q
Q. स्वामी विवेकानंद का जन्म कब हुआ था
Ans. 12 जनवरी 1863 में
Q. स्वामी विवेकानंद का निधन कब हुआ
Ans. 8 जुलाई 1902 में
Q. स्वामी विवेकानंद को पहली बार किस सम्मेलन में बोलने का मौका मिला
Ans. शिकागो सम्मेलन में
Q. स्वामी विवेकानंद ने कितनी वर्ष की आयु में सन्यासी जीवन अपनाया
Ans. 25 वर्ष की आयु में
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई स्वामी विवेकानंद जी के जीवन परिचय के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी तो यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है और आप ऐसी ही और जानकारियां पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट करें.