अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास 

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास, अलाउद्दीन खिलजी का जन्म, प्रारंभिक विद्रोह व उनका दमन, खिलजी द्वारा भू – राजस्व सुधार, अलाउद्दीन खिलजी द्वारा किए गए आक्रमण, अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु

अलाउद्दीन खिलजी का जन्म

 अलाउद्दीन खिलजी का जन्म 1250 ईस्वी में हुआ था अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश का दूसरा शासक था उसका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर उत्तर- मध्य भारत तक फैला था इसके बाद इतना बड़ा भारतीय साम्राज्य अगले 300 सालों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया था अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर राजगद्दी को अपने अधीन कर लिया और स्वयं शासक बन गया

अलाउद्दीन खिलजी का शासन काल 1296- 1316 ईस्वी तक रहा था अलाउद्दीन खिलजी का मूल नाम “अली गुरशास्प”  था इनके पिता जी का नाम “शहाबुद्दीन मसूद खिलजी” था जो बलवन के अधीन कार्य करते थे अलाउद्दीन खिलजी की 4 पत्नियां थी मलिक -ए -जहां, महरु, कमला देवी, झत्यापाली अलाउद्दीन खिलजी निरंकुश शासक था जो राज्य की नीति में धर्म का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करता था

यह ऐसा सुल्तान था जो महानता के करीब तक पहुंचा, परंतु महान नहीं कहलाया इसलिए इसकी तुलना फ्रांस के शासक लुई 14 से की जाती है अलाउद्दीन खिलजी अनपढ़ था उसे शासन के तरीकों के बारे में कुछ भी नहीं पता था इसलिए उसने शासन चलाने के लिए बयाना के काजी मूगीसुदीन को सलाह देने के लिए बुलाया और पूछा हिंदुओं के साथ कैसा बर्ताव किया जाए तब उसने बताया कि यदि सुल्तान हिंदुओं से चांदी मांगे तो उन्हें सोना देने के लिए तैयार रहना चाहिए

अर्थात राजा को अपनी प्रजा के साथ कठोर व्यवहार करना चाहिए इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने कहा काजी साहब तनख्वाह कितनी लोगे, तब काजी ने कहा एक घुड़सवार के वेतन का हजार गुना लूंगा, तभी मैं तुम्हें शासन चलाने की नीतियों के बारे में बताऊंगा इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने काजी को विदाई भेंट दी और कहा मौलाना साहब न तो मैं पढ़ा लिखा हूं और ना ही मैंने कोई धर्म ग्रंथ पढ़ा है राज्य के हित वह कल्याण के लिए जो भी मुझे उचित लगता है वही करता हूं चाहे मुझे शरीयत इसकी अनुमति देती है या नहीं

मैं यह भी नहीं जानता कयामत के दिन अल्लाह मुझे क्या सजा देगा इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने सर्वप्रथम विश्व विजय करने की योजना बनाई और ‘सिकंदर- ए- सानी’ की उपाधि धारण की परंतु दिल्ली के कोतवाल अलाउलमुल्क ने योजना को निरर्थक कहा, आप विश्वविजय नहीं कर सकते क्योंकि आपके पास कोई सिकंदर के गुरु जैसा नहीं है तत्पश्चात सुल्तान ने नया धर्म चलाने की योजना बनाई जिसे भी कोतवाल अलाउलमुल्क ने निरर्थक कहा “धर्म चलाना पैगंबर का काम है, सुल्तान का नहीं”इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने साम्राज्य विस्तार की योजना बनायी | अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास |

प्रारंभिक विद्रोह व उनका दमन 

अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में चार विद्रोह हुए जिनका सफल पूर्वक दमन भी कर दिया गया था  सबसे पहले 12 से 99 ईसवी में नवीन मुसलमानों ने गुजरात अभियान से प्राप्त लूट के माल के बंटवारे के प्रश्न पर विद्रोह कर दिया और रणथंबोर के राणा हम्मीर देव की शरण में चले गए जब वह रणथंभौर के अभियान में व्यस्त था तब अलाउद्दीन खिलजी के भतीजे अकत खान ने विद्रोह कर दिया जिसे दबा दिया गया था

1301 ईस्वी में कोतवाल अलाउलमुल्क की मृत्यु हो गई और हाजी मौला दिल्ली का कोतवाल बनना चाहता था परंतु अलाउद्दीन खिलजी ने ‘तीमिर्ची’ को दिल्ली का कोतवाल बना दिया था जब रणथंबोर के लिए निकला तब हाजी मौला ने विद्रोह कर दिया था इसके बाद मलिक उम्र तथा मंगू खान द्वारा भी विद्रोह किए गए जिन्हें खिलजी ने दबा दिए थे इन विद्रोह के बाद सुल्तान चार निष्कर्ष पर पहुंचा था 

1.पहला यह था कि सुल्तान जनता के दैनिक कार्यों से अनभिज्ञ  रहता है उसे मालूम नहीं होता कि उसकी जनता में क्या हो रहा है

2. अमीर व राज्य कर्मचारियों के पास अधिक धन हो गया है इसलिए उन्हें विद्रोह करना अच्छा लगता है

3. सल्तनत में लोग शराब की दावते करते हैं जिनमें इकट्ठे हुए लोगों को विद्रोह करने का मौका मिलता है

4.सरदार आपस में वैवाहिक संबंध बनाते हैं और ऐसे मौकों पर इकट्ठा लोगों को भी विद्रोह करने का मौका मिलता है 

इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने इन समस्याओं का समाधान निकाला उसने गुप्तचर विभाग का गठन किया और जगह-जगह पर गुप्तचर की नियुक्ति की गई जो विभाग का प्रमुख ‘बरीदे -ए-मालिक’ कहलाता था इसके बाद धनी व्यक्तियों की संपत्ति छीनने का आदेश दिया गया अवैध कब्जे की जमीन भी छीन ली गई जैसे- मिल्क, राज्य द्वारा प्रदत्त भूमि, धर्म के आधार पर प्राप्त भूमि, इनाम पुरस्कार में मिली भूमि इसके साथ ही मदिरा निषेध के अतिरिक्त जुआ खेलने वाली गोष्ठियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया

हालांकि बाद में दिल्ली से 20- 25 किलोमीटर दूर जाकर है या घरों में एकांत में बैठकर शराब पीने की अनुमति प्रदान की गई और अमीरों के मेल मिलाप व वैवाहिक संबंधों पर सुल्तान की अनुमति अनिवार्य कर दी गई | अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास |

खिलजी द्वारा भू – राजस्व सुधार 

अलाउद्दीन खिलजी ने पैमाइश को भू राजस्व निर्धारण का आधार बनाया और बिसवा को मानक इकाई बनाया भू राजस्व उपज का आधा भाग 50% था इसके साथ ही इसने बिचौलियों का भी दमन करके गांव से सीधा संबंध स्थापित करने का प्रयास किया यह हिंदू अनुवांशिक अधिकारी होते थे जो राजस्व का अधिकांश हिस्सा अपने पास रखकर शेष राजकोष में जमा करवा देते थे

भू राजस्व को खराज कहा जाता था इसके काल में भू राजस्व दरें सबसे ऊंची थी इसके अलावा दो कर और मुख्यतः वसूले जाते थे घरी कर- घरों पर लगने वाला कर, चरी कर- चारागाहो पर लगने वाला कर अलाउद्दीन खिलजी सर्वाधिक ‘कर’ वसूलने वाला सुल्तान था सर्वाधिक खराज भूमि भी इसी के शासनकाल में थी | अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास |

अलाउद्दीन खिलजी द्वारा किए गए आक्रमण

 अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 ईस्वी में चित्तौड़गढ़ के किले पर आक्रमण किया था और उसे अपने अधीन कर लिया उस समय चित्तौड़गढ़ का रावल ‘रतन सिंह’ था उसकी पत्नी पद्मावती बहुत ही सुंदर थी उसकी सुंदरता के चर्चे काफी दूर तक फैले हुए थे 1 दिन पुरोहित परिवार के ही एक सदस्य ने अलाउद्दीन खिलजी के सामने पद्मावती की सुंदरता का बखान किया इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती से प्रेम करने लगा और वह उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता था

इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती को देखने के लिए चित्तौड़गढ़ पहुंचा वह सामने नहीं आना चाहती थी तब उसने कहा कि यदि वह मुझे देखना चाहता है तो आईने में देखें आईने में देखने के बाद खिलजी उसे पाने के लिए हर कोशिश करने लगा इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने रतन सिंह को अपने ही किले में बंदी बना लिया

उसने शर्ते रखी कि या तो पद्मावती दे दो या युद्ध करो इसके बाद रतन सिंह ने युद्ध का रास्ता चुना और इस युद्ध में रतन सिंह मारा गया इसके बाद पद्मावती ने जौहर का रास्ता चुना वह किसी भी कीमत पर खिलजी के साथ रहना नहीं चाहती थी रानी पद्मावती निखिल जी से खुद की आत्मरक्षा के लिए कई हजार राजपूत रानियों के साथ जोहर कर लिया था

इसके बाद 1306 में खिलजी ने बंगलाना राज्य पर जीत हासिल की और फिर 1308 ईस्वी में खिलजी की सेना ने मेवाड़ के सिवाना किले पर अपना अधिकार जमा लिया था 1310 ईसवी में अलाउद्दीन खिलजी ने होयसल साम्राज्य कोहासिल पर भी विजय प्राप्त कर हासिल कर लिया था 1311 ईस्वी में अलाउद्दीन की सेना ने मबार के इलाके में खूब लूटपाट की और उत्तर भारतीय राज्यों में अपना शासन चलाया

इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सबसे विश्वासपात्र सेनापति मलिक काफूर की मदद से दक्षिण भारत में विजय प्राप्त कर ली थी इस दौरान दक्षिण भारत के सभी राज्य खिलजी को भारी टैक्स देते थे जिसके चलते खिलजी के पास काफी धन और संपत्ति हो गई थी इसके अलावा खिलजी ने अपने शासनकाल में कृषि पर करीब 50 फ़ीसदी टैक्स माफ कर दिया था जिससे किसानों की हालत में काफी सुधार हुआ था 

अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 

1316 ईस्वी में 66 साल की उम्र में अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु हो गई थी अलाउद्दीन खिलजी दक्षिण भारत पर जीत हासिल करने वाला भारत का पहला मुस्लिम सुल्तान था यहां उसने भव्य मस्जिद का निर्माण भी करवाया था अलाउद्दीन खिलजी की मौत के बाद भारत की राजधानी दिल्ली के महरौली में स्थित है क़ुतुब कॉन्प्लेक्स में उनकी कब्र बनाई गई थी कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के कुछ सालों बाद ही खिलजी साम्राज्य का पतन हो गया था  | अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास |

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