अमृता शेरगिल का जीवन परिचय

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अमृता शेरगिल का जन्म 

अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी 1913 को हंगरी के बुडापेस्ट गांव में हुआ था इनके पिता जी का नाम “श्री उमराव सिंह” था वह बहुत ही विद्वान और प्रतिभाशाली थे वह शिक्षा के लिए विदेश गए थे वहां पर उन्होंने हंगरी की एक युवती से शादी कर ली थी इसके बाद उनके यहां एक बेटी ने जन्म लिया जिसका उन्होंने अमृताशेरगिल नाम रखा था

अमृता शेरगिल की माता का नाम “मारिया” था अमृता के बाल्यकाल से चित्रकला की और बहुत ही रुचि थी जब वे 5 वर्ष की हुई तो उन्होंने बाग के पेड़ पौधों के चित्र कागज पर बनाना शुरू कर दिया था और उनमें रंग  भरा करती थी जब अमृता 8 वर्ष की थी तब वह अपने माता-पिता के साथ भारत आई थी कुछ समय तक वह गोरखपुर के पास अपनी जागीर में रही थी वहां पर उनकी चीनी की मील थी इसके बाद वह शिमला में रही | अमृता शेरगिल का जीवन परिचय |

अमृता शेरगिल की शिक्षा 

पहले तो किसी का ध्यान उनकी चित्रकारी पर नहीं गया किंतु धीरे-धीरे उनकी मां अपनी पुत्री की चित्रकारी से बहुत ही प्रभावित हुई और भारत आने पर उन्होंने अमृता के लिए एक अंग्रेज चित्रकार शिक्षक नियुक्त कर दिया अंग्रेज शिक्षक के तत्वधान में चित्रकला का अध्ययन करती रही और अपनी विलक्षण प्रतिभा सच्ची लगन कठोर परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति से बहुत कम आयु में कुशल चित्रकार बन गई

अमृता की योग्यता और बुद्धिमता पर वह अंग्रेजी चित्र का शिक्षक विदं रह गया और उसने शेरगिल दंपति को बाहर विदेशों में अपनी पुत्री को चित्रकारी की उच्च कोटि की शिक्षा दिलाने की सम्मति दी इसके बाद 1924 में शेरगिल परिवार इटली चला गया 15 वर्ष की आयु में भी इतनी सुंदर चित्रकारी करने लगी कि जो कोई भी उनके बनाए चित्रों को देखता था

वह विश्वास नहीं करता अंत में अपने चित्रकला की शिक्षा के लिए अमृता को फ्रांस की राजधानी पेरिस भेजा गया पेरिस में विश्व प्रसिद्ध कलाकार पीरैवेना की शिष्य हो गई उस समय पेरिस शहर चित्रकला ,मूर्तिकला और चित्रकारों के लिए प्रसिद्ध था पेरिस के आर्ट स्कूल में अमृता ने 5 साल तक अध्ययन किया उन्होंने चित्रकला का प्रमाणित ज्ञान प्राप्त किया और धीरे-धीरे पाश्चात्य पद्धति पर तेल रंगों में बड़े-बड़े  चित्र बनाने की अभ्यस्त हो गई | अमृता शेरगिल का जीवन परिचय |

भारतीय चित्रकला की ओर आकर्षित 

इसके बाद 1934 में अमृता वापस भारत आ गई अमृता शेरगिल का जीवन अधिकतर भारत से बाहर व्यतीत हुआ था जब  वह भारत से बाहर होती थी तब उन्हें भारत की बहुत याद आती थी अमृता शेरगिल के दिल में भारत के प्रति बहुत ही स्नेह था जब भारत वापस आए तब उन्होंने देखा कि उस समय भारत पर अंग्रेजों का राज था उस समय चारों तरफ गरीबी और ऊंच-नीच और भेदभाव का चलन था भारत की इस हालात को देखकर अमृता शेरगिल को बहुत दुख हुआ और उन्होंने अपनी डायरी में इन हालातों का वर्णन किया है

19वीं शताब्दी के प्रारंभिक चरण में भारतीय चित्रकला का इंडो ग्रीक और बौद्ध कला का विशेष प्रभाव था धीरे-धीरे गुप्तकालीन कला पर भी लोगों का ध्यान आकृष्ट हुआ और भारतीय कलाकारों ने गुप्तकालीन चित्रकला की प्रणाली को अपनाया था ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना के पश्चात तो भारतीय कला भी नष्ट हो गई थी किंतु बंगाल में कला की पुनरावृत्ति हुई उस समय के उदासी का यह साम्राज्य अमृता के दिल पर हावी हो गया उन्होंने जो भी चित्र बनाएं उनमें इस उदासी  की छाप रही है

लोगों की उदासी और संवेदना की भावना उनके चित्रों में साफ देखने को मिलती है उनकी प्रारंभिक भारतीय पद्धति के चित्र कृतियों में राजपूत कला का कुछ प्रभाव झलकता है किंतु बाद में उन्होंने कला क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति की ओर दो सर्वथा स्वतंत्र एक भिन्न देशों के प्रमुख कला तत्वों को लेकर एक भौतिक रूप दिया तथा एक नवीन शैली का प्रवर्तन किया अमृता शेरगिल ने अपने चित्रों की प्रदर्शनी मुंबई के ताज होटल में दी थी दिल्ली में प्रदर्शनी के दौरान अमृता शेरगिल की भेंट ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ से हुई थी | अमृता शेरगिल का जीवन परिचय |

अमृता शेरगिल की चित्रकारी 

अमृता शेरगिल ने पूरी तरह से चित्रकला में समर्पित होकर लग्न और भावना से  चित्र बनाए थे अमृता शेरगिल ने अपने चित्रों में ब्रह्मचारी, गरीबी ग्रामीण, क्षेत्र पर्वतीय, आदि का चित्रण किया है अमृता शेरगिल के चित्र उल्लेखनीय चित्र है अमृता शेरगिल के चित्र सामाजिक व्यवस्था को भी दर्शाते हैं उनके चित्रों की एक विशेषता यह भी है कि उनके चित्रों में आत्मीयता भी दिखाई देती है

अमृता शेरगिल के चित्रों ने भारत में आधुनिक कला की शुरुआत की थी अमृता शेरगिल के चित्र में पहाड़ी दृश्यों का बहुत ही सुंदर चित्रण किया गया है अमृता शेरगिल की कला पर गोगिन और अजंता चित्रकला का विशेष प्रभाव है अमृता शेरगिल को “भारतीय लड़कियां” चित्र पर ‘ऑल इंडिया एंड क्राफ्ट सोसायटी’ की ओर से पुरस्कार दिया गया था अमृता को 1933 में ‘टोरसो’ नामक चित्र पर ग्रांड सेलोन पुरस्कार मिला था अमृता शेरगिल के चित्रों की मुख्य विषय वस्तु पहाड़ी अंचलों पर बसने वाले संवेदनशील ग्रामीण थे | अमृता शेरगिल का जीवन परिचय |

अमृता शेरगिल का विवाह 

अमृता शेरगिल का विवाह सन 1932 में विक्टर एगन से हुआ था उनका दांपत्य जीवन बहुत ही सुख और आनंद से पीता था कलात्मकता के साथ-साथ एक संवेदनशील नारी आदर्श पत्नी भी थी मैं ऐसे व्यक्तियों से नफरत करती थी जो कला की पूर्ण जानकारी का दावा तो करते थे किंतु कला को परखना और समझना नहीं जानते थे

ऐसे ही एक अवसर पर उन्होंने “शिमला कला प्रदर्शनी” से पुरस्कार अस्वीकार कर दिया था क्योंकि प्रदर्शनी ने अमृता के उन चित्रों को वापस कर दिया था जो उनकी दृष्टि में उत्तम कलात्मक चित्र थे और जिन पर “पेरिस कला प्रदर्शनी” से स्वीकृति मिल चुकी थी उन्होंने ऐसी संस्था से पुरस्कार लेने में अपमान समझा जिसे चित्र परखने तक की योग्यता न थी 

अमृता शेरगिल की मृत्यु 

5 दिसंबर 1941 को अमृता शेरगिल की अचानक पाकिस्तान के लाहौर में मृत्यु हो गई थी उस समय उनकी उम्र केवल 28 वर्ष थी अमृता शेरगिल 5 से 6 वर्ष में ही कला से भारत को बहुत ही प्रभावित कर गई उन्होंने इतनी ख्याति प्राप्त कर ली थी कि वह विश्व प्रख्यात कलाकार मानी जाने लगी अमृता शेरगिल की कला प्राचय तथा पाश्चात्य संस्कृतियों का मिश्रण था अमृता शेरगिल का अंतिम अधूरा चित्र 1941 में बना चित्र आज राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय नई दिल्ली में संग्रहित है 

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