चौधरी भजनलाल का जीवन परिचय 

चौधरी भजनलाल का जीवन परिचय,  चौधरी भजन लाल का जन्म, चौधरी भजन लाल का राजनीतिक जीवन, चौधरी भजन लाल की मृत्यु 

चौधरी भजनलाल का जीवन परिचय 

चौधरी भजन लाल जी एक अनुभवी और दूरदर्शी राजनीतिज्ञ होने के साथ लोकप्रिय नेता थे बिश्नोई समाज की जनसंख्या हरियाणा में मात्र 8% है और इसके बावजूद चौधरी भजनलाल अपनी मिलनसार प्रवृत्ति वह समाज के लोगों को साथ लेकर चलने की क्षमता के चलते तीन- तीन बार मुख्यमंत्री बने चौधरी भजनलाल बिश्नोई मृदुभाषी व सरल व्यक्तित्व के धनी थे

उन्होंने एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छाप छोड़ी उन्होंने अपने कार्यकाल में बिश्नोई समाज के प्रवर्तक गुरु जंभेश्वर के नाम पर हिसार में विश्वविद्यालय की स्थापना कर पर्यावरण के प्रति संदेश दूरदर्शिता का परिचय दिया चौधरी भजन लाल जी ने जीवन पर्यंत देश सेवा के साथ समाज सेवा कि

उन्होंने बिश्नोई समाज के उत्थान व मंदिरों के निर्माण में अपना अहम योगदान दिया चौधरी भजन लाल जी को बिश्नोई समाज के विकास में योगदान के लिए बिश्नोई समाज द्वारा “बिश्नोई रतन” उपाधि से नवाजा गया भारतीय राजनीतिक परिवेश में चौधरी भजन लाल जी की विशेष पहचान है हरियाणा के उन 3 लोगों में से एक थे जिन्होंने तीन दशकों से भी अधिक समय तक राजनीतिक व्यवस्था का नेतृत्व किया | चौधरी भजनलाल का जीवन परिचय |

चौधरी भजन लाल का जन्म 

चौधरी भजन लाल का जन्म 6 अक्टूबर 1930 को ब्रिटिश भारत के बहावलपुर रियासत के कोरानवाली गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है वह एक बिश्नोई परिवार से थे चौधरी भजन लाल को राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है उन्होंने ‘जसमा देवी’ से विवाह किया था जिनसे सुनने दो बेटे हुए चंद्रमोहन बिश्नोई, कुलदीप बिश्नोई और एक बेटी रोशनी हुई उन्होंने अपने पेशे की शुरुआत हिसार जिले के आदमपुर शहर में एक व्यापारी के रूप में की

बाद में आदमपुर से राजनीति में प्रवेश किया एक अपना राजनीतिक जीवन आत्मा पुर ग्राम पंचायत पर एक पेंट के रूप में शुरू किया था और बाद में उसी पंचायत में सरपंच बने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण की बदौलत वे दो दशक तक हरियाणा की राजनीति के शिखर पुरुष बने रहे पंजाबी बोली के चित्र और पानी के मुद्दे पर भजनलाल पंजाब के अंत तक वादियों के निशाने पर भी रहे 

चौधरी भजन लाल का राजनीतिक जीवन

 भजनलाल तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने पहली बार 28 जून 1979 से 5 जुलाई 1985 तक और दूसरी बार 23 जुलाई 1991 से 11 मई 1996 तक और तीसरी बार 28 अप्रैल 1996 को भजनलाल 1968 में बंसीलाल सरकार में शामिल हुए और लंबे समय तक उनके संकट मोचन बने रहे सन 1972 के विधानसभा चुनाव के बाद वह राज्य के मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आएवह वर्ष 1977 में देवीलाल की बहुमत वाली सरकार गिराने के बाद चर्चा में आए

इसके बाद 1975 में उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया हालांकि अपनी जोड़-तोड़ की कला की बदौलत वे 1979 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और बाद में 1980 में पूरे जनता पार्टी विधायक दल का कांग्रेस आई में दल बदल करा दिया उनका राजनीतिक सफर हरियाणा तक ही सीमित नहीं रहा उन्होंने केंद्र में कांग्रेस सरकार में कई पदों पर योगदान दिया राजीव गांधी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में उन्होंने कृषि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के कामकाज संभाले थे गैर जाट समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले भजनलाल लंबे समय तक हरियाणा की राजनीति के केंद्र में रहे थे

इसके अतिरिक्त 17 जून 1987 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में चौधरी भजन लाल जी की धर्मपत्नी श्रीमती ‘जसमा देवी’ कांग्रेस प्रत्याशी ने धर्मपाल सरसाना को भारी बहुमत से पराजित कर दिया था भजन लाल 10 मार्च 2000 को हरियाणा विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता बने थे इसके बाद 1 अगस्त 2002 को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे भजनलाल ने 2004 में भिवानी लोकसभा सीट से बेटे कुलदीप बिश्नोई को चुनाव लड़ाया हरियाणा में 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद राज्य इकाई में गंभीर मतभेद उभर कर सामने आए उस समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भजनलाल के स्थान पर राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया

साल 2007 में उन्होंने आधिकारिक रूप से कांग्रेस से अलग होने और नई पार्टी बनाने की घोषणा की और इसका नाम हल्का लोहारू रखा गया इसके बाद साल 2008 में कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए भजनलाल को पार्टी से निलंबित कर दिया इसके बाद 2009 का लोकसभा चुनाव भजनलाल के राजनीतिक सफर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था जहां उन्होंने प्रदेश के दो प्रमुख नेताओं संपत सिंह और जयप्रकाश को पराजित किया उस समय उनके छोटे पुत्र चंद्रमोहन सुरक्षा में आ गए जब उन्होंने दूसरे विवाह के लिए दिसंबर 2008 में इस्लाम कबूल कर लिया और बाद में 2009 में फिर हिंदू धर्म अपनाया | चौधरी भजनलाल का जीवन परिचय |

चौधरी भजन लाल जी का योगदान 

चौधरी भजन लाल ने बिश्नोई समाज तथा बिश्नोई धर्म की उन्नति के लिए बहुत सी सेवाएं प्रदान की है उन्होंने जंभेश्वर जी की समाधि स्थल पर भवन मंदिर का निर्माण करवाया था उनकी उपलब्धि में दिल्ली जैसे महानगर में समाज की करोड़ों रुपए की संपत्ति के रूप में छात्रावास, जंभेश्वर मंदिर एवं धर्मशाला भी विशेष उपलब्धि रहा है चौधरी भजन लाल ने पंचकूला सिरसा डबवाली व टोहाना में भी बिश्नोई मंदिर का निर्माण करवाया था

उन्होंने मथुरा में बिश्नोई मंदिर के निर्माण के लिए प्लाट ले लिया था पर मंदिर निर्माण का अवसर नहीं मिला इसके साथ ही उन्होंने विश्नोई समाज में जांभोजी द्वारा प्रतिपादित पर्यावरण संरक्षण के सूत्रों एवं पर्यावरण रक्षा की खेजड़ली बलिदान जैसी घटनाओं को भारत की लोकसभा में प्रस्तुत कर विश्व पटल पर चमकाया भजनलाल के मार्गदर्शन में समाज के विभिन्न प्राचीन स्थलों के जीर्णोद्धार का कार्य भी अद्भुत तरीके से किया गया उनके कार्यकाल में ही खेजड़ली गांव में शहीद स्मारक बनाया जा सका | चौधरी भजनलाल का जीवन परिचय |

चौधरी भजन लाल की मृत्यु 

भजनलाल की दिल का दौरा पड़ने से 3 जून 2011 को हिसार में मृत्यु हो गई वर्ष 1995 में आई भीषण बाढ़ के समय किसानों को ₹3000 से लेकर ₹10000 तक प्रति एकड़ व ट्यूबवेल के लिए ₹50000 का मुआवजा तुरंत प्रदान करके और बाढ़ पीड़ितों की मदद को जुटे रहकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है चौधरी भजन लाल ने अपने कार्यकाल में ना केवल समाज की 36 बिरादरी के कल्याण के लिए अहम फैसले लिए बल्कि लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे का विस्तार करवाया

तीन बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी भजनलाल ने अपने कार्यकाल में ऐसे अनेक जनकल्याणकारी कदम उठाए जो कालांतर में मील का पत्थर साबित हुए उनके व्यक्तित्व का हर पहलू हमें यही शिक्षा देता है कि अगर व्यक्ति सच्ची लगन, कठोर श्रम, दृढ़ निश्चय , उच्च  साहस, ईमानदारी व पूर्ण समर्पण के साथ आगे बढ़े तो कोई मंजिल ऐसी नहीं है जो चलकर उसके सामने ना आए 

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