डॉ एस आर रंगनाथन का जीवन परिचय, डॉक्टर रंगनाथन के कार्य, रंगनाथन को प्राप्त उपाधि, रंगनाथन का निधन
डॉ एस आर रंगनाथन का जीवन परिचय
रंगनाथन का जन्म -डॉ. एस. आर. रंगनाथन भारतीय पुस्तकालय विज्ञान के जनक हैं रंगनाथन का जन्म 9 अगस्त 1892 में तमिलनाडु के सियाली गांव में हुआ था इनका पूरा नाम ‘रामामृत रंगनाथन’ था रंगनाथन के पिता का नाम रामामृत अयर था जब रंगनाथन 6 वर्ष के थे तब उनके पिता का निधन 13 जनवरी 1898 में 30 वर्ष की आयु में हो गया था रंगनाथन की माता का नाम ‘सीतालक्ष्मी’ था रंगनाथन की माता का निधन जनवरी 1953 में घर में आग लगने के कारण दिल्ली में हो गया था
रंगनाथन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सियाली गांव से ही प्राप्त की थी इसके बाद 1909 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की ओर इसके बाद B.a.मार्च 1913 में प्रथम श्रेणी के साथ और 1916 में मास्टर डिग्री हासिल की थी 15 वर्ष की आयु में रंगनाथन का विवाह हो गया था डॉक्टर रंगनाथन की दो शादियां हुई थी 1907 में रुक्मणी से और 1929 में शारदा से हुई थी रंगनाथन के पुत्र का नाम ‘योगेश्वर’ था जिनका जन्म 1932 में हुआ था 13 नवंबर 1928 में रंगनाथन की पत्नी रुक्मणी का निधन हो गया और 30 जुलाई 1985 को बेंगलुरु में 78 वर्ष की आयु में रंगनाथन की पत्नी शारदा का भी निधन हो गया था
पुस्तकालय ‘विज्ञान पद’ का प्रयोग रंगनाथन के द्वारा किया गया था डॉक्टर रंगनाथन के बचपन का गुरु “एडवर्ड बी.रोस” है जो गणित पढ़ाते थे रंगनाथन ने अपनी बुक The five laws of library science अपने गुरु एडवर्ड को समर्पित कर दी थी उनके दवी बिंदु वर्गीकरण ने ऐसी प्रणाली शुरू की जिसे विश्व भर में व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है इस पद्धति ने देवी दशमलव वर्गीकरण जैसी पुरानी पद्धति के विकास को प्रभावित किया है सन 1934 में वर्गीकृत सूचीकरण पद्धति का प्रकाशन हुआ, उन्होंने इसमें अनुक्रमणिकरण प्रविष्टियों के लिए श्रंखला अनुक्रमणिकरण की तकनीक का विकास किया था उन्होंने राष्ट्रीय और कई राज्य स्तरीय पुस्तकालय प्रणालियों के विकास की योजनाएं तैयार की एवं कई पत्रिकाएं संपादित की और कई व्यवसायिक समितियों में सक्रिय रहे थे | डॉ एस आर रंगनाथन का जीवन परिचय |
डॉक्टर रंगनाथन के कार्य
1917 में गवर्नमेंट कॉलेज मंगलोर में रंगनाथन ने गणित के प्राध्यापक पद पर काम किया था इसके बाद 1920 में गवर्नमेंट कॉलेज कोयंबटूर के पद पर नियुक्त हुए रंगनाथन ने 1921 से 1923 के दौरान प्रेसिडेंसी कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया था इसके बाद 1924 में उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय का पहला पुस्तकालय अध्यक्ष बनाया गया 1925 से मद्रास में उन्होंने यह कार्य पूरी लगन से शुरू किया और 1944 तक वे इस पद पर बने रहे थे
3 जनवरी 1928 को रंगनाथन ने “मद्रास पुस्तकालय संघ” की स्थापना की थीजिसे पुस्तकालय सेवा को नया आयाम प्राप्त हुआ था पुस्तकालय विज्ञान के लिए रंगनाथन का योगदान सभी क्षेत्रों में रहा उन्होंने वर्गीकरण सूचीकरण प्रबंधन और अनुक्रमणिकरण आदि क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया था 1935 में रंगनाथन को भारत सरकार द्वारा ‘रावसाहेब पुरस्कार’ दिया गया था रंगनाथन ने 1945 से 1947 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया था इसके बाद रंगनाथन 1944 से 1953 तक भारतीय पुस्तकालय संघ के अध्यक्ष रहे थे
इसके बाद रंगनाथन 1947 से 1954 के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापक के पद पर रहे इसके बाद रंगनाथन 1954 से 1957 के दौरान स्विट्जरलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे थे 1950 से 1962 के बीच रंगनाथन FID के वर्गीकरण रिसर्च ग्रुप के अध्यक्ष थे जब उन्होंने FID के लिए 12 रिपोर्ट तैयार की थी रंगनाथन को 1957 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया था उस समय राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे रंगनाथन ने 1957मे मद्रास विश्वविद्यालय में लाइब्रेरी साइंस एंड एडोवडमेट के अध्यक्ष के लिए विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के दौरान उन्होंने ₹100000 विश्वविद्यालय को दान कर दिए थे
1961 में प्रसिद्ध पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान डॉ एस आर रंगनाथन ने शारदा रंगनाथन एग्रीमेंट फॉर लाइब्रेरी साइंस की स्थापना की थी 1962 में रंगनाथन ने बंगलुरु में प्रलेखन एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया और इसके प्रमुख बने थे नेशनल रिसर्च प्रोफेसर के रूप में रंगनाथन ने अधिकांश वेतन और उनकी पुस्तकों पर रॉयल्टी को ‘शारदा रंगनाथन एंडोवमेंट फार लाइब्रेरी साइंस’ को दान कर दिया था इस लाइब्रेरी को 1963 में भारत सरकार और कर्नाटक सरकार के साथ चैरिटेबल एंडोमेंट के रूप में पंजीकृत किया गया था | डॉ एस आर रंगनाथन का जीवन परिचय |
रंगनाथन को प्राप्त उपाधि
1964 में रंगनाथन को डी लिट की उपाधि पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया था इसके बाद 1965 में रंगनाथन लाइब्रेरी साइंस में नेशनल रिसर्च प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए थे 1965 में भारत सरकार ने उन्हें पुस्तकालय विज्ञान में “राष्ट्रीय शोध” की उपाधि से सम्मानित किया था 1970 में रंगनाथन को “मार ग्रेट मान अवार्ड” अमेरिकन लाइब्रेरी एसोसिएशन द्वारा दिया गया था इसके बाद 1971 में रंगनाथन को ग्रेड नाइट ऑफ अवार्ड मार्क सोसाइटी अमेरिका द्वारा दिया गया था
भारतीय पुस्तकालय विज्ञान के छात्र डॉक्टर रंगनाथ के संपर्क में सर्वप्रथम उसकी पुस्तकों तथा शोध पत्रों द्वारा आते हैं पुस्तकालय विज्ञान की कोई भी ऐसी शाखा नहीं रही जिस पर उन्होंने नहीं लिखा हो उन्होंने 50 से अधिक ग्रंथ तथा लगभग 2000शोध लेख, सूचना लेख टिप्पणियां लिखी है डॉक्टर रंगनाथ के 71 वें जन्म वर्षगांठ पर उसकी रचनाओं की 1 वर्ग में सूची ए.के. दास गुप्ता द्वारा तैयार की गई है | डॉ एस आर रंगनाथन का जीवन परिचय |
रंगनाथन का निधन
27 सितंबर 1972 को रंगनाथन का निधन हो गया था रंगनाथन का जन्मदिवस पुस्तकालय दिवस के रूप में 1984 से मनाया जाता है 30 अगस्त 1992 को रंगनाथन के सम्मान में भारत सरकार के डाक विभाग ने सामान्य सम्मेलन के उद्घाटन में एक डाक टिकट जारी किया गया डाक टिकट जारी समारोह माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह द्वारा सीरीफोर्ट सभागार में किया गया अपने पुस्तकालय व्यवसाय के 48 वर्षों के दौरान उन्होंने भारत में ग्रंथालय व्यवसाय की उन्नति के लिए एक महान भूमिका निभाई है
डॉ रंगनाथन ने ना केवल मद्रास विश्वविद्यालय पुस्तकालय को संगठित किया बल्कि अपने को एक मौलिक विचारों की तरह प्रसिद्ध भी किया 40 वर्षों के दौरान उनके कार्य और शिक्षा का ही परिणाम है कि भारत में पुस्तकालय विज्ञान तथा पुस्तकालय व्यवसाय उचित प्रतिष्ठा प्राप्त कर सका डॉ रंगनाथन ने अत्यधिक सृजनात्मक उत्साह के साथ कार्य किया था उन्होंने स्वयं के विचारों को विकसित किया था | डॉ एस आर रंगनाथन का जीवन परिचय |