हनुमान जयंती कब और क्यों मनाई जाती है
हनुमान जयंती कब और क्यों मनाई जाती है
हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है हनुमान जी “ शिव जी के 11वा रुद्र अवतार हैं ” त्रेता युग में भगवान श्री राम की भक्ति और सेवा करने के लिए उन्होंने जन्म लिया था हनुमान जी को बल का ही नहीं बल्कि बुद्धि का भी देवता कहा जाता है इन्हें अष्ट सिद्धियां प्राप्त है यह कलयुग के जागृत देवता माने गए हैं श्री राम के भक्त संकट मोचन महावीर बजरंगबली हनुमान की महिमा सबसे न्यारी है सूरज को निगलना ,पर्वत को उठा कर उड़ना, रावण की सोने की लंका को फूंकना कितने ही ऐसे असंभव लगने वाले कार्य हैं जिन्हें श्री हनुमान जी ने कर कर दिखाया|हनुमान जयंती कब और क्यों मनाई जाती है
हनुमान जी का जन्म
त्रेता युग में कौशल देश के राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए अपने गुरु वशिष्ठ के कहे अनुसार यज्ञ करवाया यह यज्ञ श्रृंगी ऋषि द्वारा संपन्न करवाया गया यज्ञ की पूर्णाहुति हुई तो यज्ञ कुंड से अग्नि देव प्रकट हुए और राजा दशरथ को एक खीर का पात्र देते हुए बोले राजन यह खीर आप अपनी रानियों को खिला देना जल्द ही आपको संतान सुख की प्राप्ति होगी राजा ने वह खीर का पात्र अपनी रानियों को दे दिया तीनों रानियों ने खीर आपस में बांट ली जब राजा दशरथ की तीसरी रानी कैकेई खीर खाने लगी तो वहां एक चील उड़ती हुई आई और उस पात्र से कुछ खीर मुंह में भर कर उड़ गई उड़ती हुई वह चील उस स्थान पर जा पहुंची
जहां माता अंजना और उनके पति वानर राज केसरी संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या कर रहे थे उड़ती हुई चील के मुख से कुछ खीर माता अंजनी की हथेली पर गिरी उन्होंने अपने पति यह बात बताई तो वह बोले इसे भगवान शिव का प्रसाद समझकर ग्रहण कर लो माता अंजनी ने वह खीर ग्रहण कर ली और वह गर्भवती हो गई और उन्होंने चैत्र पूर्णिमा के दिन एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम हनुमान रखा गया प्रभु माता अंजनी के लाल और पिता पवन के पुत्र वीर हनुमान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है
पवन पुत्र हनुमान के जन्म के बारे में हनुमान जी का जन्म वैसे तो दो तिथियों में मनाया जाता है पहला- चैत्र माह की पूर्णिमा को तो दूसरा- तिथि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है पौराणिक ग्रंथों में भी दोनों तिथियों का उल्लेख मिलता है हनुमान जी की पहली जयंती जन्म दिवस के रूप में तो दूसरी को विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है उनकी जयंती को लेकर दो कथाएं प्रचलित भी हैं चैत्र माह की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ था माना जाता है कि माता अंजनी की कोख से हनुमान जी पैदा हुए उन्हें बड़ी जोर की भूख लगी हुई थी
इसलिए वे जन्म लेने के तुरंत बाद आकाश में उछले और सूर्य देव को फल समझकर खाने के लिए दौड़े उसी दिन राहु भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया हुआ था लेकिन हनुमान जी को देखकर उन्होंने इसे दूसरा राहु समझ लिया तभी इंद्र ने पवनपुत्र पर अपने ब्रिज से प्रहार किया जिससे उनकी ठोड़ी पर चोट लगी और उसमें टेढ़ापन आ गया “ इसी कारण उनका नाम भी हनुमान पड़ा ” इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा होने से इस स्थिति को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है
दूसरी कथा -एक बार माता सीता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी तभी हनुमान जी ने उनसे पूछा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि ऐसा करने से मेरे स्वामी प्रभु श्री राम की आयु लंबी हो जाएगी और उन्हें सौभाग्य प्राप्त होगा इसके बाद हनुमान जी ने सोचा यदि माता सीता के चुटकी भर सिंदूर से भगवान श्री राम की आयु लंबी होती है तो क्यों ना मैं पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लूं इसके बाद हनुमान जी ने ऐसा ही किया उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया इसके बाद माता सीता ने उनके भक्ति और समर्पण को देखकर उन्हें अमरता का वरदान दिया यह दिन दीपावली का दिन था इसलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है सिंदूर चढ़ाने से बजरंगबली का खुश होने का भी यही रहस्य है |हनुमान जयंती कब और क्यों मनाई जाती है
व्रत की विधि
व्रत रखने वाले व्रत से पूर्व रात्रि ब्रह्माचार्य का पालन करें वह जमीन पर ही सोए तो अच्छा रहता है प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें प्रभु श्री राम, माता सीता एवं श्री हनुमान का स्मरण करें फिर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करें बजरंगबली हनुमान की प्रतिमा की प्रतिष्ठा कर विधि पूर्वक पूजा करें और श्री हनुमान जी की आरती उतारे इसके बाद हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें इस दिन श्री राम चरित्र मानस के सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का अखंड पाठ भी करवाया जा सकता है
प्रसाद के रूप में गुड या भीगे हुए चने एवं बेसन के लड्डू रख सकते हैं पूजा सामग्री के लिए गेंदा, गुलाब, कनेर, सूरजमुखी आदि के लाल या पीले फूल इसके साथ सिंदूर, केसर युक्त चंदन ,धूप ,अगरबत्ती ,सुधिया चमेली के तेल का दीप आदि ले सकते हैं इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं तो उससे भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं हनुमान जयंती पर लोग अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए सवामणी भी लग जाते हैं हनुमान जयंती पर चूरमे के प्रसाद का विशेष महत्व है हनुमान जयंती के दिन लोग अपने घर से संकट को दूर करने के लिए हवन भी करवाते हैं |हनुमान जयंती कब और क्यों मनाई जाती है