हरियाली तीज क्यों मनाते है इसका महत्व

हरियाली तीज क्यों मनाते है इसका महत्व

हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है 

सावन के महीने में बहुत से त्योहार आते हैं इन्हीं में से एक त्यौहार हरियाली तीज है सावन आने वाली हरियाली तीज सौभाग्य का  वरदान लेकर आती है  हरियाली तीज मुख्य रूप से स्त्रियों का त्यौहार है यह त्यौहार केवल महिलाओं के लिए ही सीमित नहीं होता बल्कि इसमें पुरुष भी माता पार्वती को पालकी में बिठाकर उसकी झांकी निकालते हैं कई जगहों पर इस त्यौहार को मेले का आयोजन भी होता है हरियाली तीज सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए 108 वर्षों तक घोर तपस्या की थी परंतु भगवान शिव वैराग्य थे उन्होंने माता पार्वती को समझाया कि वह महलों में रहने वाली राजकुमारी है वह कैलाश पर्वत पर सुख सुविधा वाला जीवन नहीं जी सकेगी परंतु माता पार्वती  हर त्याग को करने के लिए तैयार थी इसके बाद माता पार्वती की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें तीज के दिन ही पत्नी के रूप में स्वीकार किया था इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने अटल सुहाग के लिए भगवान शिव और पार्वती की आराधना करती है इसी दिन भगवान शिव  पृथ्वी पर अपने ससुराल आते हैं | हरियाली तीज क्यों मनाते है इसका महत्व |

तीज का महत्व 

 सावन में आने वाली तीज सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है कुछ लोग मानते हैं कि इस दिन गौरी शंकर की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है हरियाली तीज के दिन हरी चूड़ियां और हरे वस्त्र पहनने के साथ ही सोलह श्रृंगार करने का भी काफी महत्व है विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नवविवाहित लड़कियां अपने पीहर आकर यह व्रत करती है

परंपरा के अनुसार नवविवाहित लड़की के ससुराल  इस त्यौहार पर सिंजारा भेजा जाता है जिसमें कपड़े ,आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी, गेवर और मिठाई  आदि सामान भेजा जाता है इस दिन महिलाएं मिट्टी से माता पार्वती और शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करती है सुहाग की सभी चीजें माता पार्वती को चढ़ाई जाती है 

तीज माता की कथा सुनने के बाद खीर पुरी या हलवे का भोग लगाया जाता है पूजा संपन्न होने के बाद इन मूर्तियों को किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित कर दिया जाता है कई जगहों पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करने के बाद लाल मिट्टी से स्नान करती है उनका मानना है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध हो जाती है

शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती ने इस तिथि को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया है इसके साथ ही इस दिन जो सुहागन स्त्रियां सोलह सिंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं उनको सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है भगवान शिव और माता पार्वती की तरह उनका वैवाहिक सुख में जीवन व्यतीत होता है | हरियाली तीज क्यों मनाते है इसका महत्व |

हरियाली तीज की व्रत कथा 

हरियाली तीज व्रत कथा के अनुसार भगवान शिव ने माता पार्वती को इसके बारे में विस्तारपूर्वक समझाया था मां गोरा ने माता पार्वती के रूप में महाराज हिमालय के घर जन्म लिया था बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में पाना चाहती थी और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया 12 सालों तक निराहार रहकर उन्होंने कठोर तप किया यह सब देख कर उनके पिता बहुत दुखी थे

एक दिन नारद जी ने उनके पिता से कहा कि पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए इसके बाद नारद मुनि भगवान विष्णु के पास जाकर बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आप से करना चाहते हैं भगवान विष्णु ने इसकी अनुमति दे दी थी इसके बाद नारद मुनि ने माता पार्वती के पास जाकर इस बात की सूचना दी कि आपके पिताजी ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तेय कर दिया है यह बात सुनकर माता पार्वती बहुत ही उदास  हुई इसके बाद उन्होंने अपनी सखी को बताया कि भगवान  शिव को पाने के लिए यह व्रत कर रही है

माता पार्वती की इच्छा अनुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को  घने सुनसान जंगल में स्थित गुफा में छोड़ आई वहीं पर आकर माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की जिसके लिए उन्होंने रेत से एक शिवलिंग की स्थापना की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की थी इस दिन उन्होंने निर्जला उपवास रखा था उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया इसके बाद अगले दिन माता पार्वती ने अपने सखी के साथ इस व्रत का पारण किया और पूजा की सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया उधर उनके पिताजी माता पार्वती के घर छोड़ देने पर बहुत अधिक दुखी थे वह माता पार्वती को ढूंढते हुए स्थान तक जा पहुंचे जहां पर माता पार्वती थी

इसके बाद माता पार्वती ने अपने पिताजी से घर त्याग देने का कारण बताया उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने का संकल्प और भगवान शिव के द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया इसके बाद महाराज हिमालय ने भगवान विष्णु से माफी मांगी इसके बाद वह माता पार्वती का शिव के साथ विवाह के लिए राजी हो गए कुछ समय के बाद उन्होंने माता पार्वती का विवाह पूरे विधिवत तरीके से भगवान शिव के साथ करवा दिया उसी समय से यह मान्यता है कि जो स्त्री पूरी निष्ठा के साथ इस व्रत को करती है वह अपने मनचाहे वर को प्राप्त करती है | हरियाली तीज क्यों मनाते है इसका महत्व |

हरियाली तीज पर पूजा की विधि 

हरियाली तीज पर भगवान शिव माता पार्वती और गणेश की पूजा की जाती है इनकी पूजा मिट्टी की प्रतिमा बनाकर की जाती है यह पूजा मंदिर में जाकर भी कर  सकते हैं इसके बाद भगवान को भोग चढ़ाने के लिए  फिक्की वह मीठी पूरी बनाई जाती है इनके भोग में 11 पूरियां चढ़ाई जाती है 

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