केदारनाथ का इतिहास 

केदारनाथ का इतिहास,  केदारनाथ मंदिर का निर्माण, पौराणिक कथा, केदारनाथ का चमत्कार

केदारनाथ मंदिर का निर्माण 

केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है सदियों से यह हिंदुओं का धार्मिक स्थल रहा है मंदाकिनी और सरस्वती नदी के संगम पर केदार घाटी में स्थित है हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महा तपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थना अनुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वरदान दिया

यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित है यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग अति प्राचीन है साथ ही आदि “शंकराचार्य” ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था केदारनाथ धाम और मंदिर तीनों तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ है केदारनाथ मंदिर की ऊंचाई 3553 मीटर है यह मंदिर 400 साल पुराना है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत की लड़ाई के बाद पांडवों को जब अपने ही भाइयों के मारे जाने पर भारी दुख हुआ तो वे पश्चाताप करने के लिए केदार की इसी भूमि पर आ पहुंचे उनके ही द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी

इस मंदिर के निर्माण में भूरे रंग के बड़े पत्थरों का प्रयोग किया गया है मंदिर की छत लकड़ी की बनी हुई है जिसके शिखर पर सोने का कलश रखा हुआ है मंदिर के भारी द्वार पर पहरेदार के रूप में शिव के सबसे प्रिय नंदी की विशालकाय प्रतिमा बनी हुई है केदारनाथ मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है गर्भ ग्रह, दर्शन मंडप ,सभा मंडप | केदारनाथ का इतिहास  |

पौराणिक कथा 

बहुत समय पहले जब हमारे देश में बस और ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी सफर तय करने के लिए धनवान लोग बैलगाड़ी या घोड़े का सहारा लेते लेकिन गरीब लोगों के लिए पैदल यात्रा करना ही एकमात्र उपाय था इसी समय एक निर्धन शिव भक्त ने भगवान केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्रण किया और पैदल यात्रा आरंभ कर दी उसे तो केदारनाथ का सही सही रास्ता भी पता नहीं था बस विश्वास था कि बाबा केदार उसको दर्शन जरूर देंगे लोगों से रास्ता पूछते पूछते वह आगे बढ़ने लगा और भोलेनाथ का नाम जपते जपते 2 महीने तक सफर करता रहा 2 महीने बाद जैसे-तैसे तब वह केदारनाथ मंदिर के पास पहुंचा तो उसने देखा कि मंदिर के आसपास सन्नाटा मंदिर बंद पड़ा है और भारी बर्फबारी हो रही थी उसके मन में बहुत से सवाल उठने लगे

जिज्ञासा भरी आंखों से वह मंदिर की ओर बढ़ता चला गया और उसे उम्मीद की रोशनी दिखाई दी दिखाई दिए मंदिर के महंत जी जो बाबा केदारनाथ की पूजा करके मंदिर के कपाट बंद करके अपने घर को जा रहे थे उसने महंत जी से कांपती हुई आवाज में बोला पंडित जी ‘मैं बाबा केदारनाथ के दर्शन करना चाहता हूं, कब होंगे मुझे मेरे प्रभु के दर्शन इसके बाद जो पंडित जी ने कहा वह सुनकर शिवभक्त के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई पंडित जी ने उसे बताया कि मंदिर के पट अब 6 महीने के लिए बंद हो गए हैं और अब से महीने से पहले मंदिर के पट नहीं खुलेंगे केदारनाथ ज्योतिर्लिंग धाम मंदिर साल में सिर्फ 6 महीने के लिए खुलता है और बाकी 6 महीने बंद रहता है

मंदिर “नवंबर में दिवाली के बाद भाई दूज” के बाद बंद हो जाता है क्योंकि इस समय यहां पर इतनी बर्फ गिरती है कि पूरा का पूरा मंदिर बर्फ में विलीन हो जाता है और ऐसे समय में मंदिर तक आसानी से पहुंचा भी नहीं जा सकता और अप्रैल के महीने में “अक्षय तृतीया” के दिन मंदिर के पट खोले जाते हैं और बाबा केदार अपने भक्तों को दर्शन देते हैं शिव भक्तों के कानों में जब पंडित जी की तो उसके होश उड़ गए आया और आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी थोड़ी देर तक तो गले से कोई आवाज ही नहीं निकल पाई एकाएक रोते हुए बोल पड़ा पंडित जी मैं 2 महीने तक पैदल चलकर बहुत दूर से आया हूं मैं बहुत गरीब हूं ठंड में मैं कहां जाऊंगा

आप मुझे एक बार मेरे भोले बाबा के दर्शन करने दो, लेकिन पंडित जी कहां उस गरीब की बात सुनने वाले थे अगर कोई धनवान व्यक्ति होता भी तो कोई बात थी लेकिन यह तो एक गरीब था जिसके पास उस वीराने में ना खाने का कोई जुगाड़ था और ना ओढ़ने का बातों बातों में पंडित जी ने कह दिया कि या तो 6 महीने बाद आओ या फिर 6 महीने तक यहीं रुक जाओ लेकिन तुम ऐसे ठंड में यहां एक रात भी नहीं रुक सकते इसलिए अपनी जान बचाओ और वापस लौट जाओ 6 महीने बाद ना मंदिर के पट खोल लूंगा तब चैन से देख लेना अपने भोले बाबा को इतना कहकर पंडित जी चले गए धीरे-धीरे रात का अंधेरा और गहराता जा रहा था

आसमान से आफत बनकर बर्फ गिर रही थी और बर्फीले पहाड़ों की ठंडी हवा मानव शरीर में सुराख कर रही थी लेकिन वह बैठा रहा शिव का ध्यान करते हुए उसने मन में प्रण किया कि बाबा केदार के दर्शन किए बिना वहां से हीलेगा भी नहीं उसका शरीर इतना कांप रहा था मानो अभी पल दो पल में उसके प्राण निकल जाएंगे तभी उस अंधेरे में एक रोशनी दिखती है उसने देखा कि अघोरी बाबा उसके पास चले आ रहे हैं पास आकर अघोरी बाबा ने उसे खाने के लिए खाना दिया और उससे बोले तुम थक गए होंगे खाना खाकर सो जाओ शिवभक्त सचमुच बहुत थक चुका था और खाना और आग की गर्माहट मिलते ही उसे बहुत गहरी नींद लग गई | केदारनाथ का इतिहास  |

केदारनाथ का चमत्कार 

जब सुबह उसकी नींद खुली और जैसे ही उसने आंखें खोली तो देखा कि दूर दूर तक बर्फ का नामोनिशान नहीं है और ठंड भी बहुत कम हो चुकी है यह देखकर वह सोचने लगा कि पंडित जी ने तो कहा था कि यहां अगले 6 महीने तक बर्फ गिरेगी लेकिन अचानक यह क्या हो गया फिर उसे उस अघोरी बाबा की याद आई वह यहां वहां दौड़ कर उन्हें ढूंढने लगा लेकिन वह बाबा कहीं नहीं मिले थक हारकर शिवभक्त मंदिर के पास ही बैठ गया तभी उसने देखा कि दूर मंदिर के पंडित जी अपने सेवकों के साथ मंदिर की ओर आ रहे हैं शिव भक्त ने भारी जिज्ञासा से पंडित जी से पूछा कि क्या मंदिर के पट आज खुलेंगे पंडित जी ने जवाब में कहा जी हां

आज के महीने की ठंड के बाद अक्षय तृतीया के शुभ दिन मंदिर के पट खोले जाएंगे पंडित जी अभी तक उस शिव भक्त को नहीं पहचान पाए थे पंडित जी की बात सुनकर शिवभक्त बोला महाराज 6 महीने बाद लेकिन आप तो कल रात में ही पट बंद करके गए थे और आपने यह भी बोला था कि अगले 6 महीने तक नहीं खुलेंगे यह सुन कर पंडित जी ने अपने दिमाग पर जोर डाला और बोले तुम तो वही हो ना जो 6 महीने पहले दर्शन के लिए आए थे लेकिन मंदिर बंद होने के कारण दर्शन नहीं कर पाए थे तब उस भगत ने कहा कि पुजारी जी मैं तो कल ही यहां आया था

रात में यही सोया था और आज आप आ गए तो 6 महीने कैसे हो गए शिव भक्त की बात सुनकर पुजारी जी ने सोचा कि कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है और दूसरी और पुजारी जी के दिमाग में बाबा केदारनाथ के चमत्कारों के बारे में ख्याल आ रहा था पुजारी जी ने कहा हे शिव भक्त तुम्हारे साथ कल रात क्या हुआ मुझे विस्तार से बताओ शिव भक्त ने रात को जो भी याद था

वह पुजारी जी को बताया उसने बताया कि अघोरी बाबा मेरे पास आए उन्होंने मुझे खाना दिया और मेरे लिए आग भी जलाई और आज सुबह जब में उठा तो वह कहीं नहीं दिखे यह सुनकर पुजारी जी और उनके साथियों की आंखें भर आई कांपती हुई आवाज में पुजारी जी ने पूछा कि कैसे दिखते थे वह अघोरी बाबा शिव भक्तों ने अपनी आंखें बंद की और बोला एकदम अघोरियों की तरह पूरी तरह से वैरागी शेर की खाल बदन पर लपेटे हुए, हाथ में त्रिशूल, माथे पर त्रिकोण ,शरीर पर भस्म, रुद्राक्ष की बहुत सी माला पहने हुए थे वह अघोरी बाबा बस इतना सुनकर पुजारी जी और उनके सभी साथी हर हर महादेव कहते हुए उस शिवभक्त के चरणों में गिर गए

सबकी आंखों से आंसुओं की धाराएं बह रही थी सभी के शिव के प्रति भाव उमड़ रहे थे शिव भक्तों के पैर पकड़कर पुजारी जी बोले थे शिवभक्त तुम धन्य हो तुम्हारे पास मंदिर से निकलकर स्वयं केदार बाबा आए थे और उन्होंने अपनी योग माया से तुम्हारे 6 महीने को एक रात में परिवर्तित कर दिया कालखंड को छोटा कर दिया आखिरकार यानी कि समय के साथ खेलने की शक्ति सिर्फ महादेव के पास है और वह अपने भक्तों के लिए समय को भी आगे बढ़ा सकते हैं जैसा कि यहां पर बाबा केदार ने उस शिव भक्त के छह महीनों को एक रात में बदल दिया 

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