केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय, केदारनाथ सिंह का जन्म , केदारनाथ सिंह की रचनाएं , केदारनाथ सिंह जी के गुरु, केदारनाथ सिंह की मृत्यु
केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय
केदारनाथ सिंह हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे केदारनाथ सिंह सच्चिदानंद, हीरानंद वात्स्यायन ,अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक के कवि रहे इनकी कविताओं के अनुवाद लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, रूसी, जर्मन, अधिक विदेशी भाषाओं में भी हुए हैं केदारनाथ सिंह ने अपनी कविताओं में गांव से लेकर शहर तक के दृश्य को शामिल करने का प्रयास किया है इन्होंने अपने विचारों को अपने काव्य के माध्यम से समाज के सामने प्रस्तुत किया है इनकी रचना सरल और सहज है हिंदी में केदारनाथ सिंह का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है इनकी एक कविता है जिसका नाम है बनारस इस कविता के माध्यम से प्राचीनतम शहर बनारस के सांस्कृतिक वैभव के साथ ठेठ बनारसीपन का प्रकाश डाला है इनकी यह रचना लोगों को बहुत पसंद है | केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय |
केदारनाथ सिंह का जन्म
केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई सन 1934 ईस्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ था इनके पिता का नाम “डोमन सिंह” था और इनकी माता का नाम “लालझरी देवी” था केदारनाथ सिंह की प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय में आठवीं कक्षा तक हुई थी इसके बाद केदारनाथ सिंह बनारस में आ गए और बनारस से ही इन्होंने ‘इंटर’ की पढ़ाई की थी इन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से सन 1956 ईस्वी में हिंदी में M.A. की पढ़ाई की फिर इन्होंने कुछ समय बाद सन 1964 ईस्वी में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी केदारनाथ सिंह ने गोरखपुर के कॉलेज में भी पढ़ाया और फिर अंत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए इन्होंने कई रचनाएं लिखी है| केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय |
केदारनाथ सिंह की रचनाएं
केदारनाथ सिंह ने बहुत सी रचनाएं लिखी है जैसे- अभी बिल्कुल अभी, जमीन पक रही है, यहां से देखो, बाघ, अकाल में सारस केदारनाथ सिंह को इनकी रचना ‘अकाल के सारस’ में सन 1989 का “साहित्य अकादमी” पुरस्कार प्रदान किया गया था सन 1994 में मध्यप्रदेश के शासन द्वारा संचालित “मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान”, “व्यास सम्मान” आदि प्रदान किए गए थे केदारनाथ सिंह को “भारत- भारती” सम्मान भी दिया गया था केदारनाथ सिंह को बिहार का दिनकर सम्मान एवं केरल कुमार आशान सम्मान मिला था केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 में उन्हें प्रतिष्ठित “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था दिल्ली की हिंदी अकादमी का 2लाख का सर्वोच्च शलाका सम्मान इनके द्वारा सन 2010 में ठुकराया गया | केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय |
केदारनाथ सिंह जी के गुरु
कवि केदारनाथ सिंह जी एक आधुनिक हिंदी कवि और लेखक के रूप में जाने जाते हैं यह आधुनिक हिंदी कवियों एवं लेखकों में से एक थे केदारनाथ जी ने अपनी कविताओं का अनुवाद भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में किया है केदारनाथ जी के गुरु आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी थे इनके सारे शोध कार्य द्विवेदी जी के द्वारा ही संपन्न हुए हैं इनकी कविताओं में शोर-शराबा ना होकर विद्रोह का शांत और सयंत स्वर सशक्त उभरता है इनकी कविताओं में रोजमर्रा के जीवन के अनुभव परिचित बिंबो में बदलते दिखाई देते हैं | केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय |
केदारनाथ सिंह की मृत्यु
केदारनाथ सिंह की मृत्यु 19 मार्च 2018 को हुई थी केदारनाथ सिंह की कविताओं की भाषा सरल और सहज रही है इन्होंने अपने काव्य में कहीं-कहीं पर अंग्रेजी उर्दू और संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग भी किया है इनकी रचनाओं की भाषा इतनी सरल है कि कोई भी व्यक्ति पढ़ कर उसे आराम से समझ सकता है इनकी रचनाओं में मुहावरे एवं लोकोक्तियां का प्रयोग भी हुआ है जिससे उनके काव्य की भाषा और अधिक सुंदर बन गई है | केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय |