महाराजा गंगा सिंह का इतिहास

महाराजा गंगा सिंह का इतिहास, महाराजा गंगा सिंह का जन्म, महाराजा गंगा सिंह की वीरता, महाराजा गंगा सिंह के सामने चुनौती, महाराजा गंगा सिंह की मृत्यु 

महाराजा गंगा सिंह का जन्म 

महाराजा गंगा सिंह का जन्म 13 अक्टूबर 1880 को हुआ था यह बीकानेर के राजा लाल सिंह की तीसरी संतान थे इनके बड़े भाई थे ‘डूंगर सिंह’ इनके बड़े भाई का असमय में देहात होने के कारण इन्हें बीकानेर का राजा बनाया गया 16 दिसंबर 1887 को महाराजा गंगा सिंह का राज्याभिषेक किया गया 7 साल की उम्र में यह बीकानेर के राजा बन गए थे महाराजा गंगा सिंह बीकानेर का राजकाज और अपनी पढ़ाई दोनों एक साथ संभालते थे

स्कूली पढ़ाई करने के बाद इन्होंने अजमेर  के विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी 1898 में इन्होंने मिलिट्री ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी इनके जीवन काल में इन्हें केसर- ए- हिंद के अलावा 14 अलग-अलग उपाधियों से नवाजा गया था यह एकमात्र ऐसे राजा थे जो कि काशी विश्वविद्यालय के कुलपति रहे थे यदि महाराजा गंगा सिंह नहीं होते तो राजस्थान आज भी प्यासा और बंजर बनकर रह जाता उस समय जब लोगों को यह पता ही नहीं था कि नहर क्या होती है उस समय महाराजा गंगा सिंह बीकानेर के लिए नहर बनवा रहे थे | महाराजा गंगा सिंह का इतिहास |

महाराजा गंगा सिंह की वीरता 

जब 1910 में लंदन में ‘जॉर्ज पंचम’ का दरबार लगा हुआ था तब इस दरबार में महाराजा गंगा सिंह को बुलाया गया था जॉर्ज पंचम जानता था कि महाराजा गंगा सिंह मां करणी का बहुत बड़ा भक्त है इसके बाद जॉर्ज पंचम ने दरबार में एक पिंजरा मंगवाया उस पिंजरे में एक शेर दहाड़ रहा था जॉर्ज पंचम ने पूरे दरबार के सामने महाराजा गंगा सिंह को यह चुनौती दी कि आप इस शेर से लड़ कर दिखाओ तभी हम आपकी वीरता को मानेंगे महाराजा गंगा सिंह ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया

उन्होंने पिंजरे में जाने से पहले हाथ जोड़कर मां करणी को याद किया पिंजरे में महाराजा गंगा सिंह को देखकर शेर जोर से दहाड़ने लगा जब शेर ने उन पर हमला किया तब गंगा सिंह ने एक ही बार में शेर को मार गिराया था जब उन्होंने शेर से युद्ध किया तब पूरे दरबार में चूड़ियों की आवाज सुनाई दे रही थी इस चमत्कार को देखकर दरबार में मौजूद सभी लोग हैरान रह गए सभी लोगों को यह समझ आ गया था कि मां करणी ने खुद युद्ध लड़ कर महाराजा गंगा सिंह के प्राण बचाए हैं ब्रिटिश के महारानी ने खुद ने इस गलती के लिए माफी मांगी थी | महाराजा गंगा सिंह का इतिहास |

महाराजा गंगा सिंह के सामने चुनौती 

राजस्थान में आज उनके नाम पर विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी,  नेहरे बनी हुई है बीकानेर के राजघराने में सबसे अधिक सम्मान महाराजा गंगा सिंह को दिया जाता था जब 1899 में राजस्थान में बहुत भयंकर अकाल पड़ा था उस समय वर्षा की एक बूंद भी नहीं हुई थी तलाब और कुबेर सूख गए थे लोग अनाज के एक-एक दाने के लिए तरस गए थे हजारों लोग भूख के कारण दम तोड़ने लगे उस समय महाराजा गंगा सिंह केवल 19 साल के थे राजा बनने के बाद यह उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी

महाराजा गंगा सिंह इस समस्या का एक स्थाई समाधान चाहते थे तक गंगा सिंह के मन में यह विचार आया कि राजस्थान में एक नहर बनवाई जाए इसके बाद उन्होंने चीफ कवर सेन से  इस बारे में बात की तब कवर सेन ने उन्हें बताया यदि पंजाब सतलुज नदी का पानी देने के लिए तैयार हो जाएगा तो राजस्थान में नहर बनवाई जा सकती है उस जमाने में नहीं तो अच्छी मशीनें थी और ना ही अच्छी टेक्नोलॉजी थी भयानक गर्मी और लू के थपेड़े मजदूरों और जानवरों  के काम करने में सबसे बड़ी समस्या  थे 

महाराजा गंगा सिंह द्वारा नहर का निर्माण 

अंग्रेज भी यह नहीं चाहते थे कि राजस्थान में कोई नहर आए लेकिन गंगा सिंह ने हार नहीं मानी उन्होंने पंजाब से बातचीत करके राजस्थान को पानी देने के लिए मना लिया साल 1921 में गंग नहर की नींव रखी गई इस नहर का उद्घाटन “लॉर्ड इरविन” से करवाया गया ताकि अंग्रेज नहर के काम में कोई बाधा ना डालें उन्होंने 1899 में चीन में हुए बक्सर विद्रोह में अंग्रेजों की मदद की थी इससे खुश होकर अंग्रेजों ने इन्हें केसर -ए-हिंद की उपाधि से नवाजा था

कड़ी मेहनत और प्रयास से महाराजा गंगा सिंह बीकानेर तक नहर लाने में सफल रहे महाराजा गंगा सिंह ने नहर के आसपास के क्षेत्र को लोगों को खेती करने के लिए मुफ्त दे दिया था खाली बंजर भूमि में पानी आने से बाहर आ गई खेत खलियान हरे भरे दिखाई देने लगे लोगों के मन में अकाल का डर खत्म हो गया गंग नहर राजस्थान की पहली नहर थी इसके बाद महाराजा गंगा सिंह को राजस्थान का भागीरथ कहा जाने लगा | महाराजा गंगा सिंह का इतिहास |

ऊंटों की सेना का गठन 

महाराजा गंगा सिंह के शासन में हर काम बहुत ही अनुशासन से हुआ करता था 1894मे उस समय भी इन्होंने PWD जैसा सिस्टम बना रखा था साल 1891 में महाराजा गंगा सिंह बीकानेर को रेलवे से जोड़ने का काम शुरू किया रतनगढ़ से लेकर कई शहरों को रेलवे से जोड़ने का काम उन्हें के शासनकाल में हुआ था अपने राज्य की रक्षा के लिए उन्होंने ऊंटों की एक बड़ी सेना तैयार की थी इस सेना को गंगा रिसाला कहा जाता था

ऊंटों की सेना ने पहले और दूसरे दोनों विश्व युद्धों में हिस्सा लिया था इसी गंगा रिसाला ने भारत और पाकिस्तान की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था भारत की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी बी.एच.यू. को बनाने के लिए 1916 में महाराजा गंगा सिंह ने सबसे अधिक पैसा दिया था महाराजा गंगा सिंह आजीवन  इस यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे थे 

महाराजा गंगा सिंह द्वारा बनवाए गए मंदिर

महाराजा गंगा सिंह बीकानेर के राजघराने की कुलदेवी मां करणी के परम भक्त थे  मां करणी के मंदिर का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने ही करवाया था इस मंदिर पर चांदी के दरवाजे लगवाए थे और चूहों के प्रसाद के लिए चांदी के बड़े-बड़े थाल बनवाए थे साल 1921 में महाराजा गंगासिंह ने रामदेवरा में लोक देवता रामदेव के मंदिर का निर्माण करवाया था लोक देवता जाहरवीर गोगाजी की मेडी को सुंदर बनाने का श्रेय भी महाराजा गंगा सिंह को ही जाता है

महाराजा गंगासिंह ने बीकानेर की खूबसूरती में चार चांद लगाने में कोई भी कमी नहीं छोड़ी थी उन्होंने अपने पिता लाल सिंह की याद में लाल पत्थरों का एक सुंदर पैलेस बनवाया था जिसे लालगढ़ पैलेस कहा जाता है जब 1894 में राजस्थान में बड़ी ग्रेनाइट खान के होने का पता लगा तब 1896 में महाराजा गंगा सिंह ने उस खान से ग्रेनाइट कोयला निकलवाने का काम शुरू करवा दिया था ताकि इस रियासत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके | महाराजा गंगा सिंह का इतिहास |

गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेना 

1894 में महाराजा गंगा सिंह ने किसानों से लगान लेने की सीमा को तय कर दिया ताकि किसानों के शोषण को रोका जा सके उन्होंने बीकानेर में जेल सुधार और न्याय के कार्य भी किए थे प्रथम विश्व युद्ध के बाद सभी देश एक जगह पर एकत्रित ताकि इस खून खराबे को रोका जा सके

साल 1919 में हुए इस पेरिस शांति सम्मेलन में रियासतों की तरफ से केवल एक राजा को बुलाया गया था और वह थे महाराजा गंगा सिंह इसके बाद1930,1931,1932 में हुए तीन गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले मे भी महाराजा गंगा सिंह एकमात्र राजा थे महाराजा गंगा सिंह ने 1913 में “प्रजा प्रतिनिधि सभा” की भी स्थापना की थी 1921 में स्थापित नरेंद्र मंडल के वह पहले अध्यक्ष बने थे  

महाराजा गंगा सिंह की मृत्यु 

जीवन में हर लड़ाई जीतने वाले महाराजा गंगा सिंह 1943 में कैंसर की जंग हार गए कैंसर की बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी उनके जाने के बाद उनके बेटे शार्दुल सिंह को रियासत का राजा बनाया गया महाराजा गंगा सिंह बीकानेर के इतिहास में गौरवशाली राजाओं में गिना जाता है इनका नाम सबसे पहले लिया जाता है 

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