मास्टर चंदगी राम जी का जीवन परिचय, मास्टर चंदगी राम का जन्म, चंदगीराम का विवाह, मास्टर चंदगीराम को प्राप्त उपाधि, चंदगीराम की उपलब्धियां
मास्टर चंदगी राम का जन्म
मास्टर चंदगी राम का जन्म 9 नवंबर 1937 को हरियाणा के हिसार जिले के सिसाय में हुआ था और सिसाय हरियाणा का एक सबसे बड़ा गांव भी है मास्टर जी की हाइट 6 फुट 3 इंच थी उनका वजन 90 किलो था मास्टर चंदगी राम के पिता चौधरी माडूराम एक मेहनती ईमानदार तथा धर्म पक्ष पर चलने वाले इंसान थे जब चंदगीराम 2 वर्ष के थे तब उनकी माता “श्रवण देवी” का निधन हो गया था चंदगीराम खुश हुआ नरम स्वभाव के व्यक्ति थे
जिसके कारण देश के बच्चे व बूढ़े उनसे बहुत प्यार करते थे चंदगीराम ने 1954 में मैट्रिक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद जालंधर से आर्ट व क्राफ्ट का डिप्लोमा प्राप्त किया था 1957 में उनकी नियुक्ति गवर्नमेंट हाई स्कूल मुंढाल में एक ड्राइंग मास्टर के रूप में हुई थी इसी कारण इन्हें ‘मास्टर’ नाम से पुकारने लगे थे मास्टर चंदगीराम के चाचा श्री सदाराम अपने जमाने के बड़े पहलवान थे जिनकी मृत्यु 1954 में हो गई थी
पहलवानी की वंश परंपरा को बनाए रखने के लिए चंदगीराम के पिता ने चंदगी को कुश्ती के लिए उकसाया था और चंदगी राम कुश्ती के लिए मान भी गए थे चंदगीराम बचपन में बहुत ही कमजोर थे विद्यार्थी जीवन में उन्हें अपनी कमजोरी बहुत ही महसूस होती थी चंदगीराम शुरू से ही लंबे कद के थे अध्यापक बनने के बाद उन्होंने शरीर साधना शुरू कर दिया था उन्होंने अपने शरीर को मजबूत और मोटा बनाने के लिए अच्छा खानपान शुरू कर दिया था चंदगीराम ने अपने पिता को 5 वर्षों में ख्याति प्राप्त करने का वचन दे दिया था और अखाड़े में उतर आए थे | मास्टर चंदगी राम जी का जीवन परिचय |
मास्टर चंदगी राम के गुरु
अखाड़े में उतरने के कुछ समय बाद चंदगी को एहसास हुआ कि कुश्ती एक कला है और बिना गुरु के विजय पाना असंभव है उस समय चिरंजी एक महान गुरु हुआ करते थे उनकी ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी सदाराम जो चंदगीराम के चाचा थे उन्होंने भी अपना गुरु चिरंजी को ही बना रखा था दिसंबर 1959 में चंदगी राम गुरु चिरंजी जी की शरण में आए और भारतीय संस्कृति के अनुसार चंदगी ने गुरु के पैर छूकर पगड़ी बांधी और इनकी देखरेख में कुश्ती कला सीखने लगे
इसके बाद चंदगीराम कुछ ही समय में कुश्ती कला में निपुण हो गए चंदगीराम 1961 में अपने गुरु जी के साथ अजमेर आए जहां इन्होंने महादेव मदने अचंभा को हराने के बाद भारत के “हेवी लाइट वेट” चैंपियन बने 1962 में चंदगी राम जाट रेजीमेंट के बुलाने पर सेना में चले गए सर्वप्रथम चंदगीराम हेवी लाइट वेट में शामिल थे 1 जनवरी 1962 में मोहम्मद चार्ली कर्नाटका जो कोल्हापुर में हिंद केसरी पहलवान श्रीपत खनाले पहलवान के बराबर रहा था उसे चंदगीराम ने सिर्फ 16 मिनट में हरा दिया था
इसके बाद चंदगी राम ने पाकिस्तान के ‘गुलाब कादिर’ को भी सिर्फ 18 मिनट में ही पराजित कर दिया था इस प्रकार इस बच्चे पहलवान ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक अकेले ही अपनी कुश्ती कला के जौहर से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया चंदगी राम ने अपने देश के सभी समकालीन पहलवानों से मुकाबला किया था और सभी को धूल चटाई थी
चंदगीराम का विवाह
चंदगीराम ने दो बार विवाह किया था उनकी एक शादी बचपन में ही कर दी गई जब वह 7 वर्ष के थे क्योंकि उस समय देहात में बाल विवाह की प्रथा थी जब चंदगीराम 14 वर्ष के हुए तो उनके बड़े भाई टेकचंद की मृत्यु हो गई तो गांव वालों ने जातीय प्रथा को देखते हुए बड़े भाई की पत्नी का भी उन्हीं के साथ विवाह कर दिया चंदगीराम से विवाह के बारे में प्रश्न किया जाता है तो वह कहते हैं कि पहलवान बनने के लिए नियमित रूप से अभ्यास और ब्रह्मचर्य का पालन दोनों ही आवश्यक है और कहते हैं कि गृहस्थ आश्रम में रहकर भी पहलवान ब्रह्मचार्य की रक्षा कर सकता है
मैं अपनी सफलता का सारा श्रेय अपनी धर्मपत्नी को देता हूं चंदगीराम ईश्वर के प्रति अधिक श्रद्धा रखते थे और किसी भी तरह के नशे या मांस मदिरा से दूर रहते थे चंदगीराम की यह धारणा है कि पहलवान को लंबी सांस बनाए रखने के लिए शाकाहारी भोजन करना चाहिए चंदगी राम अपनी दिनचर्या में लगभग ढाई सौ ग्राम घी, ढाई किलो दूध, 1 किलो फल, ढाई सौ ग्राम बदाम और हरी सब्जियां लेते थे इनके अनुसार पहलवान का शरीर अत्यंत सुगठित ,ताकतवर, हल्का, फुर्तीला होना चाहिए क्योंकि अधिक वजन का पहलवान ज्यादा देर तक नहीं लड़ सकता | मास्टर चंदगी राम जी का जीवन परिचय |
मास्टर चंदगीराम को प्राप्त उपाधि
चंदगी राम ने एक बार कहा था मैं इस देश के सभी पहलवानों से दो -तीन बार लड़ चुका हूं और सभी को हरा चुका हूं उन्होंने बताया है कि अकेले महाराष्ट्र के मारुती माने से मेरी 3 घंटे की एक कुश्ती बराबर छुट्टी थी और यह मेहर दिन से मैं एक बार हार चुका हूं मेहर दिन और चंदगीराम एक दूसरे के मजबूत प्रतिनिधि थे पहले भारत केसरी आयोजन में भी यही दोनों पहलवान फाइनल में पहुंचे थे
साल 1968 में भारत में आयोजित की जाने वाली भारत केसरी कुश्ती प्रतियोगिता में मात्र 38 मिनट में ही चंदगी ने मेहर दिन को पराजित कर दिया था तथा भारत केसरी की उपाधि प्राप्त की थी और दूसरी बार भारत केसरी दंगल के फाइनल में मेहर दिन में 8 मिनट में ही अखाड़ा छोड़ दिया था और अपनी हार मान ली थी इसके बाद सेना के वीर अर्जुन उपाधि प्राप्त पहलवान “उदय चंद” से भी कुश्ती में इनकी भिड़ंत हुई थी इस कुश्ती का आयोजन 1959 में उकलाना मंडी में हुआ था इस कुश्ती का समय 30 मिनट निश्चित किया गया था 30 मिनट ताबड़तोड़ घमासान कुश्ती होने के बाद कोई भी पराजय नहीं हुआ
इनकी कुश्ती को बराबर में देख कर गांव वालों ने कुश्ती को रोकने के लिए कहा लेकिन दोनों ने मना कर दिया और दोनों को 15 मिनट और दी गई लेकिन फिर भी दोनों बराबर रहे और गले मिलकर अखाड़ा छोड़ दिया मास्टर चंदगी के जीवन का सबसे अहम पड़ा 1970 में आया इन्होंने बैंकॉक में विश्व चैंपियन इराक के अमूवानी अब्बू फाजी को हराकर एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीता था इसके बाद 1971 में इन्हें पदम श्री से सम्मानित किया गया मास्टर चंदगीराम ने 1972 के ‘म्यूनिख ओलंपिक’ में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था
चंदगीराम ने हरियाणा राज्य के अतिरिक्त खेल निदेशक का कार्य भी किया है इन्होंने दो फिल्मों में अभिनय भी किया है जिसमें उन्होंने घटोत्कच तथा टार्जन की भूमिका निभाई है इन्होंने कुश्ती से अपना रिश्ता बाद तक भी रखा क्योंकि कुश्ती चाहिए इन्हें नाम और प्रसिद्धि मिली इसलिए चंदगी राम ने दिल्ली में यमुना नदी के किनारे अखाड़ा खोला जहां कुश्ती के नए खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जाती है चंदगीराम ने कुश्ती पर एक पुस्तक भी लिखी है जिसका नाम “भारतीय कुश्ती के दाव पेच” है | मास्टर चंदगी राम जी का जीवन परिचय |
चंदगीराम की उपलब्धियां
चंदगीराम को बहुत सी उपलब्धियां मिली जैसे- हिंद केसरी ,भारत केसरी, भारत भीम, रुस्तम ए हिंद, महाभारत केसरी, तथा अर्जुन पुरस्कार और 1961 में अजमेर, 1918 में रोहतक, 1972 में इंदौर तथा 1962 में जालंधर में राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी जीती है चंदगीराम की पुत्री सोनिका पहली महिला ‘भारत केसरी’ बनी थी जो बिग बॉस 5 को खतरों के खिलाड़ी में भी जा चुकी है
चंदगी राम के पुत्र जगदीश यूपी पुलिस में डी.एस.पी. के पद पर कार्यरत हैं जो ‘भारत केसरी’ रह चुके हैं और तीन बार नेशनल चैंपियनशिप जीत चुके हैं और 19 बार भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं इन दोनों भाई बहनों ने 2001- 2002 में भारत केसरी का खिताब जीता था
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