नाग पंचमी कब और क्यों मनाई जाती है 

नाग पंचमी कब और क्यों मनाई जाती है 

नाग पंचमी कब और क्यों मनाई जाती है 

नाग पंचमी श्रावण में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है आइए जानते हैं नाग पंचमी क्यों मनाते हैं  कालिया नाग यमुना नदी में विचरण करता था इसका विश इतना भयंकर था कि यमुना नदी स्वयं विषाक्त होती थी आसपास की फसलें नष्ट हो रही थी एवं पशु मर रहे थे भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को यमुना छोड़कर पाताल लोक में भेज दिया तथा लोगों को उसके भय से मुक्त कराया  ब्रज क्षेत्र में नाग पंचमी उसी दिन से मनाई जाती है यह अत्यंत प्राचीन पर्व है वाराह पुराण के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने शेषनाग को पृथ्वी धारण करने की अनुपम सेवा सौंपी थी है पुराणों में नाग लोक की राजधानी बोगपुरी बताई गई है भविष्य पुराण,चरक संहिता, गरुड़ पुराण आदि में  संबंधी विषयों का उल्लेख मिलता है भगवान विष्णु की सैया शेषनाग है और भगवान शिव के  गले में नाग  है और गणेश जी का अलंकार भी  नाग है

इस प्रकार भारतीय संस्कृति में नाग को  देव रूप में स्वीकार किए गए हैं देश के पर्वतीय प्रदेशों में नाग पूजा होती है हमारे ऋषि-मुनियों ने नाग पूजा में पूजन का विधान किया है श्रावण की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागों को गाय के कच्चे दूध से स्नान कराया जाता है उनको तथा उनके परिवार को सांपों का भय नहीं होता औरतें अपने घरों में सांप के चित्र बनाती है इस दिन दूध,   घी सरप देवता को अर्पित किया जाता है इस दिन किसान हल नहीं चलाते वह सोचते हैं कि हल चलाते समय सांप को चोट ना लग जाए ऐसा विश्वास किया जाता है नाग पंचमी के दिन किसान खेतों में जाकर नाग देवता की पूजा करते हैं वह मानते हैं कि ऐसा करने से नाग देवता उनकी इच्छा को पूरा कर देंगे शाम के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में श्रद्धालुओं  सजी गाड़ियों में पूजा का सामान लेकर नाग पंचमी के दिन शिव मंदिरों में जाते हैं मंदिर पहुंचकर सभी देर रात तक आनंद से त्योहार मनाते  हैं | नाग पंचमी कब और क्यों मनाई जाती है 

नाग पंचमी की कथा 

प्राचीन काल में किसी नगर में एक सेठ जी रहते थे उसके 7 पुत्र थे और उन सभी की शादी हो चुकी थी सातों पुत्रों की बहू में सबसे छोटी बहू सबसे ज्यादा विदुषी, सुशील और संस्कारी थी 1 दिन सबसे बड़ी बहू ने सारी देव रानियों से कहा कि घर को लीपने के लिए पीली मिट्टी ले आते हैं सभी बहुएं दलिया और खुरपी लेकर मिट्टी लेने चलती जब वह मिट्टी खोदने लगी तो वहां पर एक सांप निकला बड़ी बहू उस सांप को खुरपी से मारने लगी तो छोटी बहू बोली मत मारो इसे यह बेचारा तो निरपराधी है यह सुनकर बड़ी बहू ने उस सांप को नहीं मारा तब वह सांप और जाकर बैठ गया छोटी बहू ने सांप से कहा आप यहां से जाना मत मैं अभी आती हूं ऐसा कहकर छोटी बहू सांप के लिए दूध लेने चली गई

घर पहुंचकर वह अपने कामों में लग गई और सांप को किया वादा भूल गई अगले दिन जैसे ही उसे यह बात याद आई तब वह दूध लेकर वहां पहुंची तो उसने देखा सांप तो वहीं बैठा है सांप को देख कर वह बोली भैया मुझे माफ कर दो मैं अपने कार्य में लग गई थी आप से किया वादा भूल गई तब सांप बोला मुझसे झूठ बोलने के लिए मैं अभी तुझे डस लेता लेकिन तूने मुझे भैया कहा है इसलिए मैं तुझे छोड़ रहा हूं और आज से तू मेरी बहन हुई तुझे जो चाहिए मांग ले छोटी बहू बोली भैया मेरा कोई नहीं है मुझे एक भाई मिल गया मुझे और कुछ नहीं चाहिए बस जब भी मैं अपने भाई को पुकारूं तब तुम चले आना कुछ दिनों बाद सावन के महीने में  सेठ जी की सभी बहुएं अपने अपने पीहर जाने लगी और छोटी बहू से बोली तेरा तो कोई पीहर नहीं है तू कहां जाएगी यह सुनकर छोटी बहू बहुत रोई तभी उसके घर उसके दूर के रिश्ते का एक भाई आया और बोला मैं इसे लेने आया हूं मैं इसका दूर के रिश्ते का भाई हूं

सेठ जी बोले छोटी बहू का तो कोई भाई नहीं है उनको विश्वास दिलाने पर सेठ जी ने छोटी बहू को सांप के साथ भेज दिया रास्ते में उसने छोटी बहू को बताया बहन मैं तुम्हारा भाई सांप हूं और तुम्हें अपने साथ अपने घर नाग लोक ले जाने आया हूं तुम डरना मत तुम मेरी पूछ को पकड़ लो और डरना मत मैं तुम्हें अपने साथ अपने घर ले जा रहा हूं छोटी बहू ने सर्प के कहे अनुसार किया जैसे ही छोटी बहू नाग लोक पहुंची तो धन ऐश्वर्य को देखकर छोटी बहू चकित रह गई सांप उसे अपनी माता के पास ले गया और बोला माता यह मेरी बहन है इसने मेरी जान बचाई थी और यह यहां हमारे साथ रहने आई है सांप की माता ने छोटी बहू को गले लगा लिया अब वह वहां खुशी-खुशी रहने लगी उस समय वहां शेषनाग के बहुत से छोटे-छोटे बच्चे जन्मे हुए थे

वह रोज देखती की मां सभी के लिए दूध ठंडा करके घंटी बजाती घंटी की आवाज सुन के सभी बच्चे वहां आकर दूध पी लेते थे एक दिन वह मां से बोली मां आज दूध में ठंडा कर देती हूं अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि उसने जल्दबाजी में घंटी बजा दी घंटी की आवाज सुनते ही छोटे छोटे सांप दूध पीने दौड़ पड़े इतने में दूध में मुंह डालते हैं कईयों के फन  जल गए तब सभी सर्प बोले हम इसे  मारेंगे परंतु मां के समझाने पर वह मान गए तब सर्प ने और उसकी मां ने छोटी बहू को बहुत धन दौलत हीरे मोती और जवारा देकर उसके घर के लिए विदा किया इतना सारा धन दौलत देख कर बड़ी बहू बोली भाई ने इतनी सारी दौलत दी है तो इसे झाड़ने के लिए सोने की झाड़ू भी दे देता यह सुनकर सर्प ने सोने की झाड़ू भी ला कर दे दी मां की तरफ से हीरे मोती और मणियों का एक अद्भुत हार दिया उस हार की प्रशंसा सारे नगर में होने लगी जब यह प्रशंसा नगर की रानी ने सुनी तो उस हार को पहनने की अपनी इच्छा राजा को कहीं राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को हार लेने भेज दिया

राजा के डर से वह हार सेठ जी ने सैनिकों को दे दिया इस बात से छोटी बहू बहुत दुखी हुई और अपने भाई सर्प को याद कर उसे सारी बात बताई सर्प बोला बहन तुम दुखी मत हो राजा खुद तुम्हें हार लौटने आएंगे रानी ने जैसे ही  हार पहना तो वह हार सर्प बन गया और रानी ने हार को बाहर फेंक दिया यह देखकर राजा ने छोटी बहू को उपस्थित होने का आदेश दिया सेठ जी स्वयं छोटी बहू को लेकर उपस्थित हुए राजा ने छोटी बहू से पूछा तूने क्या काला जादू किया है छोटी बहू बोली राजन मुझे क्षमा कीजिए यह हार ही ऐसा है यह हार मुझे मेरे भाई ने दिया है इतनी देर में सर्प वहां प्रकट हुआ और बोला यह मेरी बहन है और यह आज मैंने इसे दिया है यह देखकर सभी लोगों ने नाग देवता को प्रणाम किया और उसी दिन से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा और तभी से सभी स्त्रियां सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करने लगी

 सर्प देवता की पूजा कैसे करें 

नाग पंचमी के दिन सांप की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में जो सर्प दोष होता है वह दूर हो जाता है इस दिन यदि हमें कहीं पर भी सांप के दर्शन होते हैं तो सर्प दोष कम हो जाता है नाग पंचमी के दिन सांप की पूजा करने से धन और व्यापार में लाभ होने लगता है नाग पंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाया जाता है नागों की पूजा करते समय  चावल, हल्दी, रोली, फूल का प्रयोग करना चाहिए नाग देवता की पूजा करते समय हमें यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाई नाग पंचमी के दिन पूजा करते समय कथा का विशेष महत्व होता है कथा पढ़ने के बाद आरती कर नाग देवता का आशीर्वाद लेना चाहिए | नाग पंचमी कब और क्यों मनाई जाती है 

 

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