अहिछत्र गढ़ का किला

अहिछत्र गढ़ का किला, नागौर किले का निर्माण , नागौर किले की विशेषता, नागौर का किला जल संरक्षण का उदाहरण

अहिछत्र गढ़ का किला

यह एकमात्र ऐसा किला है जिस पर दागी गई तोप के गोले किले को क्षति पहुंचाए बिना ऊपर से निकल जाते हैं यह राजस्थान का सबसे अच्छा सपाट भूमि पर बना किला है यह किला ऊंची ऊंची दीवारें और विशाल परिसर के लिए प्रसिद्ध है यह किला नागौर शहर में स्थित एक प्रमुख और आकर्षक पर्यटन स्थल है यह एक सुंदर रेतीला गढ़ है जिसे चौथी सदी में बनाया गया था

“नाग वंश” द्वारा निर्मित “नागौर दुर्ग” महाभारत कालीन अन्य बहुत से दुर्गा की भांति मिट्टी से बना था इस प्रकार समय बदलता रहा और यह भी काल के थपेड़ों को सहन करता हुआ बदलता रहा आज नागौर दुर्ग का जो वर्तमान स्वरूप दिखाई देता है वह राजाधिराज “बख्तावर सिंह” के समय का प्रतीत होता है जिसमें कुछ संरचनाएं अत्यंत पुरानी और उसके बाद के कुछ संरचनाएं हैं | अहिछत्र गढ़ का किला |

नागौर किले का निर्माण 

16वी शताब्दी में इस किले का पत्थर से निर्माण शुरू हुआ जिला नागौर दुर्ग भारत के प्राचीन क्षत्रिय द्वारा बनाए गए दुर्ग में से एक है ऐसा माना जाता है इस दुर्ग के मूल निर्माता नाग क्षत्रिय थे नाग जाति महाभारत काल से भी कई हजार साल पुरानी थी यह आर्यों की एक शाखा थी तथा ‘इक्ष्वाकु’ से किसी समय अलग हुई थी महाभारत काल में नागौर तथा पूर्व वंशीयों के बीच राजनीतिक सत्ता को लेकर विराट संघर्ष हुए जिसके चलते बहुत से लोग नागो को औरों से अलग जाति मानने लगे

551 ईसवी के आसपास वासुदेव नाग यहां के शासक थे महाभारत काल के जन्मेजय यज्ञ के बाद नागों की क्षति हुई किंतु कालांतर में नागों का एक बार फिर से अभ्युदय हुआ जो मगध के गुप्त वंश के उदय होने तक चलता रहा गुप्त शासकों ने नागौर को अपने अधीन कर लिया इसके बाद नाग छोटे-छोटे राजाओं के रूप में राज्य करने लगे वर्तमान नागौर भी नागौर की राजधानी थी उन्होंने ही यह नाथ दुर्ग बनाया जो अहिछत्रगढ़ तथा नागौर किले के नाम से विख्यात हुआ

नागौर का किला बहुत से युद्ध का प्रत्यक्ष दर्शी है नागौर का किला बीरबल राव, “अमर सिंह राठौड़” के नाम से प्रसिद्ध है यह किला कई युद्धों का साक्षी है यह राजस्थान का सबसे अच्छा सपाट भूमि पर बना किला है यह ऊंची दीवारों और विशाल परिसर के लिए प्रसिद्ध है | अहिछत्र गढ़ का किला |

नागौर किले की विशेषता

पर्यटक किले के अंदर आकर कई महलों, मंदिरों और खूबसूरत बगीचे को देख सकते हैं इस किले का निर्माण नागवंशो द्वारा किया गया था और बाद में मोहम्मद बहलीन द्वारा पुनः निर्मित करवाया गया इस किले के 6 मुख्य प्रवेश द्वार है पहला प्रवेश द्वार लोहे और लकड़ी के नुकीली किलो से मिलकर बना है जो दुश्मनों और हाथियों के हमले से रक्षा करने के उद्देश्य से बनाया गया था दूसरा प्रवेश द्वार बिजली पोल, तीसरा कचहरी पोल, चौथा सूरजपोल ,पांचवा धरतीपोल और छटाराज पोल है आखरी दरवाजे को प्राचीन काल में नागौर की न्यायपालिका के रूप में प्रयोग किया जाता था इसके अलावा यहां राजा का दीवाने आम में दरबार लगता था जहां राजा लोगों की समस्याएं सुनते थे

नागौर की सुंदरता यहां के पुराने किलो व छतरियो में उत्कृष्ट उदाहरण हमें नागौर में प्रवेश करते ही देखने को मिलता है इस नगरी में प्रवेश करने के लिए तीन मुख्य द्वार हैं जिनके नाम दिल्ली दवार,त्रिपोलिया द्वार तथा नकाश द्वारा है इस किले के भीतर भी छोटे बड़े सुंदर महल व छतरियां बनाई गई है जो हमें राजस्थान के गौरवशाली इतिहास में खींच ले जाते हैं यहां पर संरक्षित है सैनिकों की यादें किले के अंदर चार सुंदर पहले से हैं हाड़ी रानी महल,अकबरी महल,आभा,वह बख्त सिंह पैलेस है जो अपने सुंदर भित्ति चित्रों और स्थापत्य कला के कारण प्रसिद्ध है इसके समीप एक शाहजहां की मस्जिद है जिसे शाहजहां ने बनवाया है

इसके अतिरिक्त इस किले के अंदर कुछ मजारे भी बनी हुई है इसी के साथ ही राजपूताना में बनी हुई सैनिकों की सुंदर छतरियां भी है इस किले में राधा, कृष्ण,श्री गणेश, भैरव जी ,व नाहर माताजी का मंदिर है गणेश मंदिर में हर बुधवार भक्तों की बड़ी भीड़ रहती है बड़ी तीज पर किले में राधा कृष्ण मंदिर में मेला लगता है और किले का श्रंगार किया जाता है राधा कृष्ण मंदिर के सामने विशाल मैदान में दरबार की ओर से खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है यहां हाथियों को रखा जाता है नागौर किलो और महलों के कारण सदा से ही पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है | अहिछत्र गढ़ का किला | 

नागौर का किला जल संरक्षण का उदाहरण 

नागौर का किला दूर-दूर तक फैली रेत के बीच एक प्रकाश स्तंभ की तरह दिखाई देता है चौथी शताब्दी में अस्तित्व में आया यह किला राजस्थान के अन्य किलो की तरह ही ऊंचाई पर स्थित है यूनेस्को ने  नागौर किले को 2002 में “अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस” पुरस्कार से अलंकृत किया है पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा नागौर किलों व महलों के रूप में खूबसूरती को समेटे हुए है इस किले में तीन मुख्य ऐसी जगह है जहां राज परिवार के लिए मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं

नागौर का किला जल संरक्षण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है इसके लिए हमें आज के समय में जल संरक्षण सीखना चाहिए वर्षों पहले भी पूरे किले के पानी को एक स्थान पर संग्रहित कर रखे जाने की व्यवस्था थी किले की मोटी मोटी प्राचीरो के ऊपर इस प्रकार नालियों का निर्माण किया गया था कि सारा पानी छोटे-छोटे गड्ढों से होता हुआ बावड़ी में पहुंच जाता था पूरे महल में जल प्रबंधन इस प्रकार था कि फाउंटेन भी पानी से एक्टिवेट होते हैं और पानी भी बाहर वापस बावड़ी में चला जाता है इसी प्रकार महल के विभिन्न भागों में पानी की आपूर्ति भी इन्हीं बावड़ीयो से होती थी

निकटवर्ती चिनार गांव के शंकर तालाब से नालियों से किले में पानी को पहुंचाया जाता था इसके अवशेष आज भी विद्यमान है अकबर के नागौर प्रवास के दौरान किले में उनके लिए एक महल का निर्माण करवाया गया था जिसे अकबरी महल कहा जाता है इसके अलावा महल में रानियों के लिए विशाल स्नानागार और उनमें भित्ति चित्र देखते ही बनते हैं इस किले में दीपक महल भी है जो राजा महाराजा के आयोजनों व रोशनी की व्यवस्था के लिए के समय में सैकड़ों दीपक जलाए जाते थे दीप जलाए जाने के सबूत आज भी यहां पर विद्यमान है | अहिछत्र गढ़ का किला |

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