पुलकेशिन द्वितीय का इतिहास

पुलकेशिन द्वितीय का इतिहास, पुलकेशिन द्वितीय का विजय अभियान, पुलकेशिन द्वितीय और हर्षवर्धन के बीच युद्ध, पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु

पुलकेशिन द्वितीय का इतिहास 

पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य राजवंश का एक महान शासक था इन्होंने लगभग 610 ईसवी में शासन किया था इन्हें ‘पुलकेशी’ के नाम से भी जाना जाता था पुलकेशिन के राजकवि ‘रवि कीर्ति’ थे चालुक्य राजवंश की तीन प्रमुख शाखाएं मानी जाती हैं- बादामी चालुक्य, वेंगी चालुक्य और कल्याणी के चालुक्य इनमें से बादामी के चालुक्य सबसे पहले चालुक्य थे चालुक्य दक्षिण भारत और मध्य भारत में शासन करने वाले थे चालुक्य वंश का शासन काल 583 से 753 ईसवी तक माना जाता है चालुक्य वंश का संस्थापक पुलकेशिन प्रथम को माना जाता है जो पुलकेशिन द्वितीय के दादाजी थे

आगे चलकर पुलकेशिन प्रथम के दो पुत्र हुए ‘कीर्तिवर्मन’ प्रथम और ‘मंगलेश’ पुलकेशिन प्रथम के बाद उनके पुत्र कीर्तिवर्मन प्रथम राजा बने कीर्तिवर्मन प्रथम के भी 2 पुत्र थे ‘पुलकेशिन द्वितीय’ इन के छोटे पुत्र थे कीर्तिवर्मन के बाद पुलकेशिन द्वितीय राजा नहीं बने क्योंकि उस समय उनकी आयु छोटी थी इसके बाद कीर्तिवर्मन के छोटे भाई मंगलेश को राजा बनाया गया पुलकेशिन द्वितीय के बचपन का नाम एरैया था जब 609- 610 ईसवी में पुलकेशिन द्वितीय राजा बनने योग्य हुए तब उनके चाचा मंगलेश ने उन्हें राजा नहीं बनाया इसके बाद पुलकेशिन द्वितीय ने अपने चाचा पर आक्रमण कर दिया उनकी हत्या कर उनकी हत्या कर के राजा बन गए पुलकेशिन द्वितीय ने बहुत सी उपाधि धारण की हुई थी जैसे- परमेश्वर, श्री पृथ्वी वल्लभ सत्य, श्रेया, दक्षिणा पतेश्वर, महाराजाधिराज | पुलकेशिन द्वितीय का इतिहास |

पुलकेशिन द्वितीय का विजय अभियान

पुलकेशिन द्वितीय की उपलब्धियों का विवरण हमें एहोल लेख लेख से प्राप्त होता है यह लेख एक प्रशस्ति के रूप में है सर्वप्रथम पुलकेशिन ने भीमरथी नदी के उत्तर में आपायक को परास्त किया तथा उसके सहयोगी ‘गोविंद’ को अपनी ओर मिला लिया यह दोनों दक्षिणी महाराष्ट्र के स्थानीय शासक थे जिन्होंने तत्कालीन परिस्थिति का लाभ उठाकर अपनी शक्ति आजमाने का प्रयास किया था इन दोनों को परास्त  कर पुलकेशिन द्वितीय ने राजधानी में अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी इसके बाद उसने अपने विजय अभियान प्रारंभ किया था पुलकेशिन का सबसे पहले कदंबो के साथ संघर्ष हुआ कदंबो के राज्य पर कीर्तिवर्मन के समय में चालूक्यों का अधिकार हो गया था

ऐसा प्रतीत होता है कि मंगलेश तथा पुलकेशिन के बीच हुए गृह युद्ध से चालुक्य के राज्य में जो राजनीतिक व्यवस्था फैली उसका लाभ उठाते हुए कदंबो  ने अपने को चालूक्यों की अधीनता से मुक्त कर दिया था पुलकेशिन ने कदंबो पर आक्रमण कर उसकी सेना ने ‘बनवासी नगर’ को घेर लिया एहोल लेख से पता चलता है कि बनवासी को ध्वस्त कर दिया गया था इस प्रकार यह अभियान पूर्णतया सफल रहा तथा कदंब राज्य पर पुलकेशिन का अधिकार हो इसके बाद आलूप तथा गंगो को जीतने के बाद पुलकेशिन ने कोकण प्रदेश पर आक्रमण किया यहां मौर्य का शासन था वह बड़ी आसानी से परास्त कर दिए गए इसके बाद पुलकेशिन ने उनकी राजधानी ‘धारा पूरी’ जिसे पश्चिमी समुंदर की ‘लक्ष्मी’ कहा गया है उसके ऊपर सैकड़ों नौकाओं के साथ आक्रमण किया यह उस समय का प्रसिद्ध समुद्री बंदरगाह था पुलकेशिन ने वहां अपना अधिकार कर लिया था | पुलकेशिन द्वितीय का इतिहास |

पुलकेशिन द्वितीय और हर्षवर्धन के बीच युद्ध

उस समय उत्तर भारत में राजा हर्षवर्धन का राज्य फैला हुआ था राजा हर्षवर्धन भी बहुत ही प्रतापी राजा हुए थे इन्होंने 14 से 15 वर्ष की उम्र में ही सत्ता को अपने हाथों में ले लिया था हर्षवर्धन को उत्तर का राजा भी कहा जाता है हर्षवर्धन ने दक्षिण में अपने राज्य का विस्तार करने के बारे में सोचा और यहां दक्षिण में पुलकेशिन द्वितीय को भी अपने राज्य का विस्तार करना था इसके बाद 618 ईसवी में इन दोनों महान शासकों में युद्ध छिड़ गया राजा हर्षवर्धन को दक्षिण में जाने के लिए नर्मदा नदी को पार करना था लेकिन उनकी सेना को पुलकेशिन द्वितीय ने नदी पार ही नहीं करने दी और नर्मदा नदी के तट पर ही दोनों शासकों के मध्य युद्ध हुआ और पुलकेशिन द्वितीय ने राजा हर्षवर्धन को हरा दिया इसके बाद हर्षवर्धन जैसे महान शासक को पराजित करने के कारण पुलकेशिन द्वितीय की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई

पुलकेशिन द्वितीय और पल्लव राजवंश के बीच भी बहुत युद्ध हुए और यह युद्ध 200 सालों तक ऐसे ही चलते रहे थे यह युद्ध एक दूसरे से बदला लेने के लिए लड़े गए थे कभी किसी युद्ध में पल्लव जीते थे तो कभी किसी युद्ध में चालुक्य जीता करते थे ऐसे ही युद्ध करते-करते चालुक्य पुलकेशिन द्वितीय ने कृष्ण नदी और तुंगभद्रा के उपजाऊ क्षेत्र को अपने अधीन कर लिया था पूर्वी क्षेत्र में पुलकेशिन द्वितीय ने जीता था और उस क्षेत्र का शासन पुलकेशिन द्वितीय ने अपने छोटे भाई खूब और उस क्षेत्र का शासन पुलकेशिन द्वितीय ने अपने छोटे भाई “कुब्जविष्णुवर्धन” को दिया था इस पूर्वी क्षेत्र को ‘वेंगी’ के नाम से जाना जाता था इसके बाद 624 ईसवी में वेंगी के चालूक्यों का शासन शुरू हुआ पुलकेशिन द्वितीय ने पल्लव राजा महेंद्र को युद्ध में कई बार पराजित किया था लेकिन महेंद्र की राजधानी कांची पर अपना अधिकार नहीं कर पाया | पुलकेशिन द्वितीय का इतिहास |

पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु 

महेंद्र वर्मन के पुत्र नरसिंह वर्मन के राजा बनते ही पुलकेशिन द्वितीय ने पल्लव पर फिर से आक्रमण कर दिया था लेकिन नरसिंह वर्मन ने पुलकेशिन द्वितीय को युद्ध में हरा दिया था इसके बाद 642 ईसवी में नरसिंह वर्मन ने चालुक्य पर अधिकार करने के लिए अपने सेनापति श्रीतोंड को सेना के साथ भेजा इसी युद्ध में लड़ते हुए पुलकेशिन द्वितीय मारा गया था पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु के बाद उसके पुत्र विक्रमादित्य प्रथम ने पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु का बदला लेने के लिए पल्लव पर आक्रमण किया और वे युद्ध जीत गए थे इसके बाद पल्लव ने भी चालुक्य पर आक्रमण कर दिया इसी तरह चालुक्य और पल्लव के बीच 200 सालों तक कई युद्ध लड़े गए और यह युद्ध एक दूसरे से बदला लेने की भावना के साथ लड़े गए थे 

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