रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों बनाते है इसका महत्व

रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों बनाते है इसका महत्व

रक्षाबंधन का महत्व 

 रक्षाबंधन का त्यौहार हिंदुओं में 4 त्योहारों में से एक है पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाने वाला यह त्यौहार ना केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक अपितु परिवारों को जोड़े रखने का एक बेहद अच्छा माध्यम है यह तुम्हारा जैन धर्म में भी मनाया जाता है उनके लिए भी इतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि हिंदुओं के लिए है इस त्यौहार में राखी या रक्षा सूत्र का बहुत ही महत्व है रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है “ रक्षा का अर्थ है- सुरक्षा  बंधन का अर्थ है-  वाद्य ” रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की रक्षा और उनकी तरक्की की कामना करती है यह मान्यता है कि बहन भाई को ही राखी बांधती है परंतु ब्राह्मणों और गुरुओं द्वारा भी राखी  बंधवाने की परंपरा है यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को ही मनाया जाता है | रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों बनाते है इसका महत्व |

रक्षाबंधन मनाने की विधि 

प्रात काल स्नान करके लड़कियों में महिलाओं को पूजा की थाली सजानी चाहिए इसमें सिंदूर, हल्दी, दीपक और मिठाई रखनी चाहिए इसके बाद भाई तैयार होकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाए और अभीष्ट देवता की पूजा करने के पश्चात रोली या हल्दी से भाई का टीका करके चावल टिके पर लगाया जाए और सिर पर छिड़का जाए उसके बाद उसकी आरती उतारकर दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधी जानी चाहिए और उन भाइयों को चाहिए कि वह रक्षाबंधन के इस पर्व के उपलक्ष में कुछ उपहार रक्षाबंधन करने वाले को दे | रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों बनाते है इसका महत्व |

रक्षाबंधन का अनुष्ठान पूरा होने तक बहनों द्वारा व्रत रखने की भी परंपरा है पुरोहित लोग यजमानो के घरों में जाकर राखी बांधते हैं और उनसे  उपहार के रूप में वस्त्र, आभूषण और मिठाइयां प्राप्त करते हैं यह त्यौहार इस लिए मनाया जाता है कि एक भाई अपनी बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है यह त्योहार भारतीय समाज में बहुत ही व्यापकता से समाया है कि इसका सामाजिक महत्व तो है ही इसका वर्णन भविष्य पुराण में भी मिलता है | रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों बनाते है इसका महत्व |

रक्षाबंधन मनाने का कारण 

 पुरातन काल से मनाए जाने वाले इस त्योहार के पीछे का क्या कारण है भगवान विष्णु की कथा के अनुसार दैत्यों की राजा बलि ने 110 यज्ञ पूर्ण कर लिए थे जिस कारण देवताओं का डर बढ़ गया कि कहीं राजा पहले अपनी शक्ति से स्वर्ग लोक पर भी अधिकार न कर ले इसलिए सभी देवता भगवान विष्णु के समक्ष रक्षा के लिए पहुंचे तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से भिक्षा मांगी भिक्षा में बलि ने तीन पग भूमि देने का निश्चय किया तब भगवान विष्णु ने एक पग में स्वर्ग दूसरे में पृथ्वी को लिया

जब राजा बलि ने तीसरा पग आगे बढ़ते हुए देखा तो वह परेशान हो गया और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करें फिर बलि ने अपना सिर वामन देव के चरणों में रख दिया और कहा कि अपना तीसरा पग यहां रखें इसके बाद राजा बलि का स्वर्ग और पृथ्वी से अधिकार छीन लिया और बली रसातल में चला गया राजा बलि ने अपनी भक्ति से भगवान से हर समय अपने सामने रहने का वचन लिया और भगवान विष्णु को राजा बलि का द्वारपाल बनना पड़ा

जिस कारण देवी लक्ष्मी दुविधा में पड़ गई वह विष्णु जी को रसातल से वापस लाना चाहती थी तब उन्हें नारद से इस समस्या का समाधान मिला लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर राखी बांधी और उसे अपना भाई बना लिया और उपहार में उन्होंने अपने पति विष्णु जी को मांगा था यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था और तब से ही रक्षाबंधन मनाया जाता है | रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों बनाते है इसका महत्व |

रक्षाबंधन की कहानी 

राखी का इतिहास तो महाभारत काल में देखने को मिलता है भगवान श्री कृष्ण की शुद्धवि नाम की एक चाची थी उन्होंने शिशुपाल नामक एक विकृत बच्चे को जन्म दिया था एक दिन  एक आकाशवाणी हुई थी उस आकाशवाणी से उन्हें पता चला कि  जिसके हाथों का स्पर्श होगा उसी के हाथों से यह मारा जाएगा 1 दिन श्रीकृष्ण अपनी चाची के घर आए और उनकी चाची  शुद्धवि  ने शिशुपाल को उनके हाथों में दिया जैसे ही उन्होंने वह बच्चा श्रीकृष्ण के हाथों में दिया तो वह स्वस्थ और सुंदर हो गया यह बदलाव देखकर उनकी चाची जी बहुत खुश हुई उसकी मौत श्री कृष्ण के हाथों से होने पर विचलित हो गई वह श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगी की शिशुपाल कितनी ही गलतियां कर बैठे पर उसकी मृत्यु श्री कृष्ण का तो नहीं होनी चाहिए तब श्री कृष्ण ने कहा कि मैं इस की गलतियों को माफ कर दूंगा परंतु यह 100 से अधिक गलतियां कर बैठेगा तो मैं इसे सजा जरूर दूंगा 

शिशुपाल बड़ा होकर सिद्धि नामक राज्य का राजा बन गया वह बहुत ही क्रूर राजा बन गया था वह प्रजा को बहुत अधिक प्रताड़ित करने लगा और साथ ही श्रीकृष्ण को चुनौती देने लगा 1 दिन शिशुपाल ने भरी सभा में भगवान श्री कृष्ण की निंदा कर दी थी उसी दिन वह अपनी 100 गलतियों को पार कर चुका था उसी समय भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल पर प्रहार किया और उसकी मृत्यु हो गई चेतावनी मिलने पर भी शिशुपाल नहीं बदला तो उसे उसकी सजा भुगतनी पड़ी थी 

जब भगवान श्री कृष्ण क्रोध में सुदर्शन चक्र को छोड़ रहे थे तो उनकी अंगुली में चोट लग गई थी आसपास के लोग उस अंगुली को कुछ ना कुछ बांधने के लिए इधर-उधर भागने लगे उसी समय वहां खड़ी द्रोपती ने बिना कुछ सोचे समझे अपनी साड़ी को एक कोने से फाड़ कर उनकी अंगुली पर बांध दिया तभी श्री कृष्ण ने कहा कि धन्यवाद मेरी प्यारी बहना तुमने कष्ट में मेरा साथ दिया है मैं भी हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा इसी घटना से रक्षाबंधन की शुरुआत हुई थी कुछ समय के बाद जब  कोरवो द्रोपती की साड़ी को खींचकर उसका अपमान करने की कोशिश की तो भगवान श्री कृष्ण ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए द्रोपती की रक्षा की थी इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने भाई के वचन को पूरा किया था | रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों बनाते इसका महत्व |

 

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