श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का इतिहास अज्ञात है भारत के सुदूर दक्षिण पश्चिम में स्थित केरल राज्य की राजधानी तिरुवंतपुरम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र अपने समुद्री किनारों के अलावा भी किसी और बात के लिए प्रसिद्ध है वह है श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के कारण यह मंदिर विश्व का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है एक समय इस मंदिर को महमूद गजनवी ने लूटा था और वह अपने साथ देश का अपार धन लूटकर ले गया था इस मंदिर में इतना धन व्याप्त है कि देश की आर्थिक व्यवस्था को दो बार ठीक किया जा चुका है इस मंदिर में केवल हिंदू धर्म के लोग ही प्रवेश कर सकते हैं | श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास |
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की विशेषता
इस मंदिर का रहस्य उतना ही पुराना है जितनी पुरानी यहां रखी भगवान विष्णु की मूर्ति है प्रचलित कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण के भाई बलराम इस मंदिर में आए थे उन्होंने यहां स्नान किया और भगवान के लिए प्रसाद भी बनाया था इस मंदिर का निर्माण 5000 साल पहले कलयुग के पहले दिन किया गया था कलयुग में 950 वें साल में मंदिर के अंदर मूर्ति की स्थापना की गई थी मंदिर के गर्भ गृह में रखी गई भगवान विष्णु की मूर्ति बहुत ही खास महत्व रखती है पांच फन वाले नाग के ऊपर विश्राम करते हुए भगवान विष्णु की मूर्ति को दर्शाया गया है यह मूर्ति कुछ खास संदेश देती है
इस मूर्ति में भगवान विष्णु के सिर दक्षिण की ओर, और पैर उत्तर की ओर है भगवान के ऊपर पांच फन वाले सांप अनंत को प्रदर्शित करते हैं और सांपों का तीन बार घुमाओ सत,तन, रज, तीन तत्वों को बताता है वही शेषनाग के पांच फन पांच इंद्रियों की ओर इशारा करते हैं भगवान विष्णु की नाभि से निकले हो कमल पर ब्रहमांड के निर्माता ब्रह्मा जी विराजमान है और भगवान विष्णु के सीधे हाथ की तरफ ब्रहमांड के सहार कर्ता भगवान शिव का लिंग स्थापित है इस प्रकार ब्रह्मा विष्णु महेश ब्रह्मांड के निर्माण, पालन पोषण और विनाश को दर्शाते हैं
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पौराणिक कथा
1750 में त्रावणकोर साम्राज्य के संस्थापक थे राजा मार्तड वर्मा उन्होंने अपनी युद्ध नीति से आसपास के कई क्षेत्रों को मिलाकर त्रावणकोर साम्राज्य को एक व्यवसाय क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया जहां दूर-दूर से लोग आयुर्वेदिक औषधियां, स्वादिष्ट मसाले खास कर काली मिर्च खरीदने के लिए कीमती जवाहरात और स्वर्ण मुद्राएं लेकर भारत आते थे मसालों के व्यापार से राज्य को काफी फायदा होता था कुछ ही वर्षों में राजा मार्तंड वर्मा के पास इतनी अधिक संपत्ति इकट्ठा हो गई कि मंदिर के खजाने और वैभव की कहानियां दूर-दूर तक फैलने लगी
माना जाता है कि मार्तंड वर्मा ने पुर्तगाली समुद्री बेड़े और उसके खजाने पर भी कब्जा कर लिया था लेकिन अब उसे अपने खजाने की सुरक्षा को लेकर भय सताने लगा 1750 में राजा मार्तंड वर्मा ने पद से मुक्त होकर शासन को दैवीय स्वीकृति दिलाने के लिए अपना राज्य भगवान को समर्पित करते हुए स्वयं भगवान विष्णु का आजीवक सेवक घोषित कर दिया सबसे पहले उनके पास जितनी भी संपत्ति थी उसको जमीन के नीचे गुप्त द्वार बनवाकर एकत्रित कर दिया फिर गुप्त स्थानों को आधार बनाते हुए इसके चारों तरफ मंदिर का निर्माण किया गया और मंदिर के गर्भ गृह के ठीक ऊपर भगवान विष्णु के पद्मनाभ नामक मुद्रा की मूर्ति स्थापित की गई
त्रावणकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने 1773 ईस्वी में इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने राजवंश के सभी पुरुष सदस्य दीवान और अन्य अधिकारियों के साथ अपने आप को भगवान श्री पद्मनाभस्वामी का दास बना लिया था यही नहीं राजा ने अपनी संपत्ति सहित त्रावणकोर का पूरा राज्य भगवान के चरणों में अर्पित कर दिया था श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुअटूर में स्थित आधी केशव पेरूमल मंदिर की नकल है 1790 में टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर कब्जा करने की कोशिश की थी मंदिर में केवल हिंदू धर्म के व्यक्ति ही प्रवेश कर सकते हैं | श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास |
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का रहस्य
इस मंदिर की संपत्ति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि जब 1855 में इस क्षेत्र में वित्तीय तंगी आई थी तब सरकार ने अपने खर्चों को पूरा करने के लिए मंदिर से बड़ी मात्रा में कर्जा लिया था मंदिर के अंदर के मूर्ति के नीचे कई तहखाने दबे होने की बात कही जाती है दावा किया जाता है कि इन तहखाने में अरबों का खजाना छिपा हुआ है माना जाता है कि तहखानों की संख्या 6 है हर एक तहखाने के बाहर तीन अलग-अलग चीजों से दरवाजे बने हैं
सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार 30 जून 2011 को केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सी.एस. राजन और रतन विशेषज्ञों के साथ पर्यवेक्षकों के एक दल ने मंदिर के अंदर 6 तहखानों का निरीक्षण किया था बाद में उन्होंने बताया कि इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो इसको खोलने की कोशिश करेगा वह मारा जाएगा इसे केवल कुछ मंत्रों के उच्चारण द्वारा ही खोला जा सकता है कुछ लोगों का मानना है कि इस दरवाजे के पीछे आवाज आती है शायद खजाने की सुरक्षा में तैनात सर्प आवाजों को निकालते हैं इस लिहाज से इसे खोलने की हिम्मत करना भी आसान नहीं था
इस कड़ी में 2012 में एक ब्रिटिश अखबार को दिए साक्षात्कार में त्रावणकोर के चेयर वंश के सबसे बुजुर्ग सदस्य तिरुनल मार्तंड वर्मा ने कहा था मैं जानता हूं कि इस बंद दरवाजे के पीछे क्या छुपा हुआ है लेकिन यह जरूरी नहीं कि दुनिया भी इस रहस्य को जाने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के तहखाने में चोरी का आरोप लगाकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले टी.पी. सुंदर राजन की तहखाने खुलने के कुछ ही महीने बाद मौत हो गई हालांकि डॉक्टरों का कहना था कि उनकी मृत्यु हार्टअटैक की वजह से हुई है परंतु उनकी मौत सर्प के काटने पर हुई थी एक रिपोर्ट के मुताबिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में छह तहखाने है सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर तहखाना एक सन 2011 में खोला जा चुका है
इसके बाद समय-समय पर 5 ओर तहखाने खोले गए इसके बाद 2019 मे मुख्य दरवाजे को भी खोला गया था लेकिन उसके अंदर एक मजबूत दरवाजे ने आगे का रास्ता बंद किया हुआ था जो आज तक नहीं खुल सका है राजन ने मरने से पहले बताया था कि उन्होंने तहखाने बी. के दरवाजे को खोलने के लिए एक चाबी बनाने वाले को बुलाने का सोच लिया था लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया पूर्व प्रमुख विनोद राय की माने तो 1990 के बाद से कम से कम 7 बार खोला गया इसके बाद 2002 में 5 बार खोला गया श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की संपत्ति का
जब पद्मनाभस्वामी मंदिर के दरवाजे खोले गए तब पूरी दुनिया हैरान रह गई थी क्योंकि उस समय मंदिर का हर एक तहखाना हीरे, जवाहरात ,सोने चांदी से भरा हुआ था अंधेरों के बावजूद भी हीरे सोने चांदी बिखेर रहे थे यहां पर नेपोलियन के समय के इटालियन के सिक्कों से भरा एक मिला था यहां पर बेशकीमती हीरे और रतन भी मिले थे रतन विशेषज्ञों का अनुमान था कि यहां मिली भगवान विष्णु की सोने की मूर्ति जिस पर सैकड़ों रतन लगे हुए थे वह भी मिली जो कम से कम $30 लाख डॉलर की थी मंदिर के गर्भगृह से मिले खजाने की कीमत वैसे तो आंकी जा चुकी है लेकिन इतिहासकार बताते हैं कि वास्तविक कीमत सोच से कई गुना ज्यादा हो सकती है
यहां तक कि कई रत्नों की असली कीमत का अनुमान लगाना भी बेहद मुश्किल काम है इस मंदिर की रक्षा कुछ साल पहले तक लकड़ी के डंडे पकड़े हुए कुछ आदमी ही करते थे किंतु जब से मंदिर के तहखाने में से अरबों के हीरे और रतन मिले तब से दो सौ हथियारबंद इसकी सुरक्षा करते हैं वैसे भी इस मंदिर के अंदर कोई भी बिना तलाशी के नहीं जा सकता कुछ एक इतिहासकारों का मानना है कि सातवें दरवाजे के पीछे एक बहुत विशाल सिर्फ है जो कि उस खजाने की रक्षा करता है
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के नियम
इस मंदिर के अपने कुछ नियम है जैसे कि इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरुष के लिए धोती कुर्ता और औरत के लिए साड़ी निर्धारित की गई है इन्हीं कपड़ों से ही उन्हें अंदर जाने की इजाजत मिलती है जब बाहर से पर्यटक आते हैं तो वह सबसे पहले अपने लिए अंदर जाने के लिए कपड़े खरीदते हैं तभी उन्हें अंदर जाने दिया जाता है यहां पर सभी पुरुष और औरत सफेद कपड़ों में बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं
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